पटना : बिहार की राजधानी में स्थित पटना के अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज आइक्यूएसी के तत्वाधान में आयोजित वेबीनार के अंतर्गत तृतीय व्याख्यानमाला का आयोजन गुरुवार को आयोजित किया गया। इस व्याख्यानमाला की मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर डेज़ी बनर्जी थी । इन्होंने कोविड-19 के सामाजिक आर्थिक प्रभावों की चर्चा की।
अपने व्याख्यान में डॉक्टर बनर्जी ने कहा कि भारत औपनिवेशिक काल से ही कई महामारी से जूझता रहा है। वर्तमान में विज्ञान के पास कोविड-19 से निपटने हेतु कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं अपितु वैज्ञानिक निराश नहीं है तथा इससे निपटने के कारगर उपायों की तलाश जारी है। उन्होंने कहा कि हमें इन महामारियो से निपटने हेतु खुद को हमेशा तैयार रखना चाहिए क्योंकि पहले वर्ष 2008 फिर 2011 तथा अब 2019 में महामारी एक बार फिर से लोगों को प्रभावित कर रही है।
सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द पर जोर
देश के कई राज्य अब प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य में बुला रहे हैं ताकि उत्पादन का कार्य जारी रहे। संक्रमण के समय में प्रवासी मजदूर एक महत्वपूर्ण वर्ग के रूप में उभर कर सामने आया है। इन प्रवासी मजदूरों पर भी पुष्प वर्षा और इनके कार्यों की सराहना आवश्यक है क्योंकि इनके बिना उत्पादन संभव नहीं है। डॉक्टर बनर्जी ने सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द पर जोर दिया सोशल डिस्टेंसिंग के मायने अलग हो सकते हैं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह मानव निर्मित आपदा है? हमें अपने इच्छाएं और जरूरतों को एक सीमा में रखना चाहिए अत्याधिक इच्छाएं कई समस्याओं का कारण बन सकती है।
सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक
साथ ही साथ डॉक्टर बनर्जी ने कहा कि कोरोनावायरस ने सबक दिया है की सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह सभी वर्गों के पहुंच में है। विकास की परिभाषा को पुनर्भाषित करने की आवश्यकता है जिससे या देश के 70% लोगों के जरूरतों को पूरा किया जा सके ना की कुछ सीमित वर्ग के लोगों की आवश्यकता पर केंद्रित रहे।
प्रवासी मजदूर जो बाहर से आ रहे हैं ,समाज में उनको भी आदर मिलना चाहिए, उनके साथ अछूतों वाला व्यवहार करना ठीक नहीं है। । वही उड़ीसा जो की अक्सर प्राकृतिक आपदाओं से जूझता रहता है वहां आपदा प्रबंधन काफी मजबूत है, गरीब वर्ग के लोगों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है ताकि कोविड-19 के प्रभावों को कम किया जा सके।
जो भी वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं वह मानवता के पहलुओं को ध्यान में रखकर किए जाने चाहिए। मानवता में सृजन और विनाश करने की शक्तियां प्रदत रहती हैं हमें सृजनात्मक प्रयोग पर बल देना चाहिए। स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करना कोविड-19 का सबसे महत्वपूर्ण सबक है। गरीबों के लिए हितकारी कदम उठाए जाने चाहिए ताकि उन्हें ज्यादा परेशानियों का सामना ना करना पड़े।
इसके पहले अपने स्वागत भाषण में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर एसपी शाही ने कहा कि कोविड-19 हमें कई महत्वपूर्ण सबक दे रहा है जिसे हमें संज्ञान में रखना चाहिए तथा विकास को समावेशी बनाना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ रत्ना अमृत ने किया।वहीं धन्यवाद ज्ञापन आइक्यूएसी के समन्वयक डॉ अरुण कुमार ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक के साथ छात्र एवं छात्राएं भी उपस्थित थे।