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अब राम ही बचायेंगे केपी रमैया को, फिर खुलेगी ‘कुंडली’

पटना : सृजन घोटाला के कथित सूत्रधार पूर्व आईएएस अधिकारी व जदयू नेता केपी रमैया के खिलाफ लंबित केसों की कोर्ट में सुस्त चाल में अब गति आएगी। हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज राकेश कुमार द्वारा न्यायापालिका पर कल चलाए गए हंटर के बाद न्यायापालिका सहित कार्यपालिका के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया है।

रमैया के आर्डर से 16 सौ करोड़ गए सृजन के खाते में

इस सबंध में स्पष्ट हुआ है कि करीब 16,00 करोड़ रूपये की सरकारी राशि को केपी रमैया ने सरकारी सकुर्लर जारी कर एनजीओ सृजन के खाते में जमा करने का निर्देश जारी किया था। नतीजा, सरकारी खजाना से 16,00 करोड़़ से अधिक की राशि पानी की तरह बह गई। सीबीआई ने भी इस संबंध में उनसे की पूछताछ की थी।

रमैया महादलित विकास मिशन घोटाले में भी आरोपी

मामला सीबीआई में पहुंचने के बाद उक्त जांच एजेंसी ने आईएएस अधिकारी रमैया को दिल्ली बुला कर बातचीत की। इस मामले में रमैया ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अपील की थी। यही नहीं, बिहार महादलित विकास मिशन में 5.55 करोड़ के घोटाले में रमैया को निचली अदालत ने जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने उन्हें निचली अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया था। मामला विजिलेंस से जुड़ा था, अतः नियमतः विजिलेंस जज मधुकर कुमार को जमानत पर सुनवाई करनी थी। वे एक दिन के लिए अवकाश पर थे। उनकी जगह प्रभारी जज विपुल कुमार सिन्हा चार्ज में थे। उसी दिन रमैया ने सरेंडर करते हुए जमानत ले ली थी।

जस्टिस राकेश की टिपण्णी से रमैया की फाईल फिर खुलेगी

सूत्रों ने बताया कि जस्टिस राकेश कुमार की टिप्पणी के बाद निचली अदालत से लेकर पूरे न्यायपालिका में हड़कम्प मच गया है। अब जिला जज तीन सप्ताह के भीतर उन कारणों का उल्लेख करते हुए अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपेंगे कि किन कारणों से एक ही दिन में बेल-कम-सरेंडर हुआ।

घोटाला में फंसते ही जदयू ने उन्हें हटाया

यहां बता दें कि फिलहाल, रमैया जदयू की पाॅलिटिक्स में इन्वाल्व हैं। उन्होंने बाजाप्ता वीआरएस लेकर सासाराम सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीसरे नम्बर पर आकर महज 93 हजार 3 सौ 10 वोट लेकर संतोष किया। वे जदयू के टिकट से चुनाव लड़े थे। पर, घोटाला में नाम आते ही बाजाप्ता पार्टी ने कह दिया कि वे जदयू में हैं ही नहीं।