पटना/दिल्ली : बोडो समझौते होने पर असम के कोकराझार में एक समारोह का आयोजन किया गया है। पीएम इसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने कोकराझार जा रहे है।
प्रधानमंत्री के इस यात्रा से पूर्व दो बार असम की यात्रा रद्द हो चुकी है। बोडो समझौता और CAA के बाद प्रधानमंत्री की यह पहली असम यात्रा है।
कार्यक्रम में बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीएडी) जिलों के 4 लाख से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद जतायी जा रही है। असम सरकार, राज्य की विभिन्नता पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करेगी। स्थानीय समुदाय के लोग इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
27 जनवरी को हुई थी समझौता
27 जनवरी 2020 को बोडो लैंड समझौता हुआ था जिसे पीएम ने ट्वीट कर इस दिन को भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिवस बताया था। ट्वीट में उन्होंने कहा था कि यह समझौता बोडो लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा और शांति, सदभावना और मिलजुलकर रहने के एक नई सुबह की शुरूआत होगी।
यह समझौता प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास विजन और पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इससे 5 दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान हुआ है।
उन्होंने अपने ट्वीट में बताया कि ‘बोडो समझौता कई कारणों से अलग है। जो लोग पहले हथियार के साथ प्रतिरोधी समूहों से जुड़े हुए थे वे अब मुख्य धारा में प्रवेश करेंगे और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देंगे।
समझौता का संस्कृति पर क्या होगा असर
पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में बोडो लैंड समझौता को एक एतिहासिक दिन बताते हुए लिखा कि यह समझौता बोडो लोगों की अनूठी संस्कृति को संरक्षित करेगा और लोकप्रिय बनाएगा। इस समझौते से लोगों को विकास आधारित कार्यक्रमों तक पहुंच बढेगी होगी। उन्होंने यह विश्वास दिलाया की उनकी सरकार वह सब कुछ करेगी जो बोडो लोगों की अकांक्षाओ को पूरी करती हो।
इस समझौते में बोडो क्षेत्र के विकास के लिए 1500 करोड़ रूपये का एक विशेष पैकेज दिया गया है। हाल ही में भारत सरकार और मिजोरम एवं त्रिपुरा सरकारों के बीच ब्रू-रियांग समझौता हुआ था। इससे 35,000 ब्रू-रियांग शरणार्थियों को राहत मिली। त्रिपुरा में एनएलएफटी के 85 कैडरों ने आत्मसमर्पण किया। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास और शांति के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।