पटना : भाद्रपद मास शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान अनंत की पूजा की जाती है। इस वर्ष अनंत पर्व 12 सितम्बर को घनिष्ठा नक्षत्र व सुकर्मा योग के संयुक्त रवियोग में पूरे दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर भोग में मधुर पकवान अर्पित किया जाता है। भगवान अनंत की पूजा के बाद अनंत सूत्र बाधने से मुसीबतों से रक्षा एवं साधकों का कल्याण होता है।
इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन अनंत भगवान की कथा को सुनकर श्रद्धालू चैदह गांठों वाला अनंत डोर बांधते हैं। भगवान श्री हरि अनंत चतुर्दशी का उपवास करने वाले उपासक के दुखों को दूर करते हैं और उसके घर में धन धान्य से संपन्नता लाकर विपत्रता को प्राप्त करते हैं। इस दिन भगवान की गुलाबी और पीले फल से पूजा करनी चाहिए। पुष्प में इत्र मिलाकर चढ़ाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
भगवान अनंत की पूजा करने के बाद अनंत सूत्र का मंत्र ‘‘ऊ अनन्ताय नमः’’ पढ़कर पुरूष अपने दाहिने बांह पर और स्त्री बाएं बांह में बांधती हैं। महिलाएं इस दिन सौभाग्य की रक्षा, ऐश्वर्य प्राप्ति और सुख के लिए इस व्रत को करती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार चैदह वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी की कथा:
शास्त्रों में वर्णित महाभारत कथा के अनुसार कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। इस दौरान पांडवों को बहुत कष्ट उठाना पड़ा। इस पर श्री कृष्ण को युधीष्ठिर ने देखकर कहा, हे भगवान हमें इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट करने का उपाय बताएं। इस बात पर श्री कृष्ण ने कहा, आप सभी भाई और पत्नी समेत भगवान अनंत की पूजा करें। उन्होंने कहा कि भगवान अनंत विष्णु के ही रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोगों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का, इसलिए यह अनंत कहलाते हैं। अतः इनके पूजन से आप सभी के कष्ट समाप्त हो जाएंगे। तभी से युधीष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और पुनः उनको हस्तिनापुर का राजपाट मिला।
अनंत पूजा का शुभ मुहूर्त—
प्रातः 5.52 से पूरे दिन अभिजीत मुहूर्त।
दोपहर 11.59 बजे से 12.48 बजे तक।
ज्योतिर्विद नीरज मिश्रा