अखाड़ा सज कर तैयार है, खिलाड़ी तय हो चुके हैं और जनता का रोमांच दिन प्रतिदिन परवान चढ़ रहा है। हर लोकसभा क्षेत्र के अपने मुद्दे हैं, अलग उम्मीदें हैं, और नेताओं के अनूठे लुभावने वादे-इरादे हैं। एक बात तो तय है कि इस चुनावी समर में हर क्षेत्र में मुकाबला काफी रोचक होगा। परन्तु, दुनिया को पहला गणतंत्र (लिच्छवी) देनेवाले वैशाली लोकसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुकाबला थोड़ा अलग ही रहने की उम्मीद है। वैशाली में पक्ष और विपक्ष के जो उम्मीदवार हैं, वे भी कुछ खास ही हैं। खूब जमेगा रंग जब आपस में भिड़ेंगे गुरू अपने शिष्य के संग।
जी हाँ, इस चुनाव में राजनीतिक गुरू और शिष्य की आमने-सामने भिड़ंत होने वाली है। एक तरफ तो राजग ने लोजपा प्रत्याशी के रुप में पूर्व विधायक वीणा देवी को उतारा है, जो जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी हैं और दूसरी तरफ महागठबंधन ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के अनुभव पर फिर से पूर्ण आस्था जतायी है।
बताते चलें कि राजग उम्मीदवार वीणा देवी के पति दिनेश सिंह कभी रघुवंश प्रसाद सिंह के राजनीतिक शिष्य के रूप में जाने जाते थे और वह कभी रघुवंश प्रसाद सिंह के चुनाव में सेनापति की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। दोनों के आपसी प्रेम व लगाव का अंदाज़ा इस बात से ज़ाहिर हो जाएगा कि रघुवंश प्रसाद सिंह मुज़फ्फरपुर में दिनेश सिंह के घर में रहकर ही वैशाली की राजनीति करते थे। लेकिन विधाता के खेल भी बड़े अनूठे होते हैं; जो द्रोणाचार्य को भी अर्जुन से लोहा लेने को विवश कर दें। फिर ये तो पकिया कलयुगी चुनावी समर है, तो इस बार रघुवंश प्रसाद सिंह के ये शिष्य ही उन्हें मैदान में ललकारते दिखाई देंगे। अब जबकि दिनेश सिंह रघुवंश बाबू के करीब-करीब हर दांव से परिचित रहे हैं, तो देखना दिलचस्प होगा कि गुरु ने अपने शिष्य से निबटने के लिए कोई तीर अपने तरकश में छिपाकर तो नहीं रखा था!
पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा के रामा किशोर सिंह ने रघुवंश बाबू को वैशाली में पटखनी दी थी। परन्तु काल का पहिया कुछ ऐसा घूमा कि रामा सिंह स्वयं राजद की शरण में जा गिरे। जैसे ही रामा सिंह ने राजद का दामन थामा; यह स्पष्ट हो गया था कि अब वह वैशाली से तो बदर कर दिए जाएंगे। फिर जब रामा सिंह ने अपनी चुनावी ज़मीन तलाशते शिवहर का रुख किया, तो प्रत्याशी बनना तो दूर की कौड़ी ठहरी; वह तेज-तेजस्वी के अहं की
लड़ाई में बलि के बकरा से अधिक कुछ खास नहीं बन पाए। ऐसा लगता है जैसे राजद ने 2014 के हार का बदला रामा सिंह से ले लिया। ख़ैर, अब तो वैशाली लोकसभा से बात होगी रामा सिंह को प्रतिस्थापित करने वाली वीणा देवी की ही।
वैशाली से 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद में भीष्म पितामह की भूमिका में रहने वाले नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लोजपा उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था। डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को वैशाली की जनता प्यार से ब्रह्म बाबा के नाम से भी संबोधित करती है। रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से 5 बार सांसद चुने गए; पर मोदी लहर में लोजपा प्रत्याशी रामा सिंह ने उन्हें पराजित कर दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह को दो-दो बाहुबलियों का सामना करना पड़ा था; लोजपा से बाहुबली रामा सिंह तथा बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पत्नी अनु शुक्ला से। उस दंगल में रघुवंश प्रसाद सिंह दूसरे तथा मुन्ना शुक्ला की पत्नी अनु शुक्ला तीसरे नंबर पर रही थीं।
बताते चलें कि स्वतंत्रता के बाद वैशाली लोकसभा सीट से कांग्रेस ने लगातार 5 बार जीत दर्ज की और 1994 के उपचुनाव में जीत का सेहरा बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद के सिर बंधा था। वैशाली लोकसभा क्षेत्र में 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं और जिसमें आज की स्थिति पर नज़र डाली जाए तो आरजेडी के पास तीन विधानसभा है, बीजेपी के पास एक, जेडीयू के पास एक और निर्दलीय के हिस्से भी एक विधानसभा की सीट है। वैशाली लोकसभा में कुल वोटर की संख्या 12,78,891 है; जिसमें पुरूष वोटर की संख्या 6,81,119 है और महिला वोटर की संख्या 5,97,772 है।
अगर हम सिर्फ वैशाली जिले से लोकसभा चुनाव 2019 पड़ने वाले मतदाताओं के संख्या की बात करें तो कुल 24 लाख 5 हजार 818 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 12 लाख 93 हजार 745 पुरुष मतदाता हैं और 11 लाख 12 हजार महिला मतदाताओं की संख्या है। हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा में मतदाताओं की संख्या 18 लाख 18 हजार 78 है; जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 78 हजार 887 है और महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 39 हजार 132 है। वैशाली लोकसभा क्षेत्र का एक ही विधानसभा क्षेत्र वैशाली जिले के अधीन आता है। वैशाली विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 10 हजार 862 है; जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 67 हजार 259 है तथा महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 43 हजार 592 है। वहीं उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का भी एक ही विधानसभा क्षेत्र पातेपुर वैशाली जिले के अधीन है। पातेपुर में मतदाताओं की कुल संख्या 2 लाख 76 हजार 887 है; जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 47 हजार 599 है तथा महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 29 हजार 276 है। हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र है। अगर हम हर विधानसभा की तस्वीर देखें तो हाजीपुर विधानसभा में पुरुष मतदाता है 178577 जबकि महिला मतदाता 153543 हैं और कुल मतदाता 332139 हैं। लालगंज विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 172912 जबकि महिला मतदाता 148707 हैं और कुल मतदाता 321624 हैं। महुआ विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 150081 जबकि महिला मतदाता 129640 हैं और कुल मतदाता 279762 हैं। राजापाकर विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 140955 जबकि महिला मतदाता 120623 हैं और कुल मतदाता 261589 हैं। राघोपुर विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 183381 जबकि महिला मतदाता 153758 हैं और कुल मतदाता 336143 हैं। महनार विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 153981 जबकि महिला मतदाता 132861 हैं और कुल मतदाता 286857 हैं।
वैशाली सामान्य लोकसभा क्षेत्र के वैशाली जिले में पड़ रहे एक विधानसभा क्षेत्र की स्थिति देखें तो वैशाली विधानसभा में पुरुष मतदाता की संख्या है 167259 जबकि महिला मतदाता 143592 हैं और कुल मतदाता की संख्या 310862 है। अब बात करें उजियारपुर सामान्य लोकसभा क्षेत्र के एकमात्र विधानसभा क्षेत्र की जो वैशाली जिले के अधीन है। पातेपुर विधानसभा में पुरुष मतदाता हैं 147599 एवं महिला मतदाता 129267 हैं और कुल मतदाता 276878 हैं।
प्रशासन पूर्ण रूप से मुस्तैद होने का दावा कर रही है तथा शांतिपूर्ण एवं भयमुक्त चुनाव सम्पन्न कराने का आश्वासन भी प्रशासन ने दिया है। अब सबकी नजरें चुनावी तारीख (12 मई) पर है, जब दुनिया का पहला गणतंत्र, वर्तमान लोकतंत्र में अपना फैसला सुनाएगा।
(सुजीत सुमन)
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भीष्म पितामह ने महाभारत के समय कहा था कि जैसा खाय अन्न वैसा होवे मन भीष्म जिस पक्ष में थे, उनकी हार हुई थी।