यूसीसी: भ्रमित होने के बजाय विधि आयोग को सुझाव दें, हर हाल में होगी जनजातीय हितों की रक्षा

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पटना: इन दिनों समान नागरिक संहिता के सम्बन्ध में प्रसार माध्यमों, विशेषकर सोशल मीडिया में कई तरह की बातें चल रही हैं, जिससे जन सामान्य लोग भ्रमित हो रहे हैं। जनजाति समाज भी इसका अपवाद नहीं है, कुछ निहित स्वार्थी लोग भी जनजाति समाज को बरगला रहे हैं। ऐसे में कल्याण आश्रम जनजाति समाज, विशेषकर उनके सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों और शिक्षित वर्ग को सचेत करना चाहता है कि उन्हें किसी के बहकावे में आने की आवश्यकता नहीं है। उक्त बातें अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहीं।

उन्होंने कहा कि अभी तो यह भी साफ़ नहीं है कि सरकार क्या करने जा रही है। यदि जनजाति समाज के लोगों , उनके संगठनों को लगता है कि उनके रूढिगत प्रथाओं-व्यवस्थाओं पर इसके कारण कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा तो उन्हें सीधे विधि आयोग के सम्मुख अपने सरोकार रखने चाहिए, वहां 14 जुलाई तक ऑनलाइन अपना पक्ष रख सकते हैं। विधि आयोग सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। उसके बाद ही सरकार कोई बिल संसद में लाएगी। जब ऐसा कोई बिल सामने आयेगा तो, वनवासी कल्याण आश्रम भी उस पर अपने सुझाव या प्रतिक्रिया देगी। वनवासी कल्याण आश्रम का विश्वास है कि जनजातीय हितों की रक्षा हर में होगी।

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उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम देश के विधि आयोग से भी अनुरोध करता है कि वह देश के विभिन्न जनजाति क्षेत्रों का दौरा कर जनजाति समाज के प्रमुख लोगों-संस्थाओं से विमर्श कर इस बारे में गहराई से उनके विचार; विवाह , विवाह विच्छेद , दत्तक , उत्तराधिकार जैसे विषयों पर उनकी परंपरागत व्यवस्था समझने का प्रयास करे। उसे जल्दबाजी में अपनी रिपोर्ट नहीं देनी चाहिए। इस संदर्भ में गठित संसदीय समिति के प्रमुख व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी की जनजातियों को इस कानून से बाहर रखने की भूमिका का हम स्वागत करते है

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