पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य ओम प्रकाश गर्ग ने आज कंकड़बाग स्थित अनूप इंस्टीट्यूट आॅफ आॅर्थोपेडिक्स एंड रिहेबिलिटेशन में सायं 4.05 बजे अंतिम सांस ली। विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इनके चिकित्सक पद्मश्री डाॅ. आ. एन. सिंह ने बताया कि इन्हें मामूली स्वांस संबंधित दिक्कत थी। 96 वर्ष की उम्र होने के कारण इनकी स्वाभाविक मृत्यु हुई।
ओम प्रकाश गर्ग मूलतः अलीगढ़ के रहने वाले थे। अपनी पढ़ाई समाप्त कर संघ के प्रचारक बने। उत्तर प्रदेश में संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। 1966 में भारतीय जनसंघ का दायित्व आया। 1967 में उत्तर प्रदेश में संबित सरकार के गठन में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। 70 के दशक में आप बिहार में संघ कार्य के लिए भेजे गये। आपातकाल के दिनों में भूमिगत रहकर लगातार संघर्ष किया। पटना, गया और शाहाबाद में संघ की जितनी गुप्त बैठकें होती थी, उसके सूत्रधार ओम प्रकाश जी ही होते थे।
बिहार के प्रांत प्रचारक 1980 में बने। गांधी मैदान में उन दिनों दो बड़े कार्यक्रम हुए थे। 1980 में पूर्वांचल शिशु संगम हुआ था। पटना के गांधी मैदान में 5 हजार बच्चों के रहने की व्यवस्था की गई थी। पटना की तत्कालीन आयुक्त राधा सिंह ने इनके संगठन कौशल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इन्हें अजातशत्रु कहा था। 1982 में पटना के गांधी मैदान में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
संगठन में जिम्मेदारी
जम्मू कश्मीर रियासत के वारिस, प्रकांड विद्वान एवं सांसद महाराजा कर्ण सिंह, जोधपुर के महाराजा तथा बिहार के सांसद शंकर दयाल सिंह उस कार्यक्रम में उपस्थित हुए थे। इस कार्यक्रम की आयोजन में भी ओम प्रकाश गर्ग जी की केन्द्रीय भूमिका थी। 1992 में संघ कार्य के लिए नेपाल गये। नेपाल के वर्षों तक प्रचारक रहे। नेपाल में संघ कार्य सघन कार्य किया। नेपाली और हिन्दी साहित्य के समन्वय के लिए भी सतत सक्रिय रहे। भारत के सीमावत्र्ती क्षेत्रों में अराष्ट्रीय गतिविधियां लगातार बढ़ रही थी। उसे देखते हुए 2002 में आपको सीमा जागरण मंच का कार्य सौंपा गया। उस समय आपका केन्द्र लखनऊ था।
2005 में विश्व हिन्दू परिषद् का दायित्व मिला। 2006 में प्रौढ़ कार्यकर्ताओं के क्षेत्रीय प्रमुख बने। 2007 के प्रयाग कुंभ में तृतीय हिन्दू विश्व सम्मेलन का आयोजन किया गया था। उस सम्मेलन में बिहार के सहयोग को देखकर सबकी आंखे फटी रह गई। लगातार बारिश में भी आपके नेतृत्व में कार्यकर्ता सेवा कार्य करते रहे। 2010 में विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री बने। बढ़ते उम्र के कारण आपने स्वेच्छा से इस पदभार को छोड़ने की इच्छा व्यक्त की और केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने।
ओम प्रकाश जी का क्षेत्र में सघन संपर्क था। बिहार में ऐसे हजारों घर हैं जहां इन्हें परिवार का एक सदस्य माना जाता है। सबके सुख-दुःख में शामिल रहना इनका स्वभाव था। सादगी, संयम एवं समन्वित जीवन के पर्याय ओम प्रकाश जी थे। आपके व्यक्तित्व ने कई लोगों को प्रभावित किया। सैकड़ों युवक आपके जीवन से प्रभावित होकर सामाजिक कार्य में संलीन हुए। विश्व हिन्दू परिषद् का प्रांतीय कार्यालय पटना में बना। यह इनके कुछ दिनों के प्रयास के कारण ही संभव हो पाया। ओम प्रकाश जी का जीवन समर्पित था। जीवन का क्षण-क्षण एवं शरीर का कण-कण राष्ट्र को समर्पित था।
दधिचि देहदान समिति के आह्वान पर आपने स्वेच्छा से अपना देह दान किया था। आज मृत्योपरांत आपका नेत्रदान कर दिया गया। कल दोपहर 11.30 बजे विजय निकेतन से आपके पार्थिव शरीर की शोभा यात्रा निकलेगी जो इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान तक जायेगी। वहां आपके पार्थिव शरीर का दान आयुर्विज्ञान संस्थान में कर दिया जायेगा।