जेपी सेनानियों को अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में कम पेंशन, सीएम—डिप्टी सीएम मिल नहीं रहे
पटना : आपातकाल की 44वीं बरसी पर बुधवार को जेपी लोकतंत्र सेनानी संगठन के द्वारा काला दिवस मनाया गया। यह कार्यक्रम पटना के को-ऑपरेटिव फेडरेशन हॉल में संपन्न हुआ। 1975 में लागू हुए आपातकाल पर जेपी सेनानियों ने अपनी बात रखी।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि जेपी सेनानियों को जो पेंशन मिलती है, उससे हमें कुछ सामाजिक कार्य करना चाहिए। जलसंरक्षण और कुपोषण पर खासकर हमें कार्य करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश के कई राज्यों में सेनानियों को पेंशन एक अच्छी रकम के रूप में मिल रही है। परन्तु, बिहार में यह रकम बहुत ही कम है। उन्होंने बताया कि सेनानियों को पेंशन देने की शुरुआत सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश में यादव सरकार ने 2006 में की।
इस मौके पर सेनानी बलराम मिश्रा ने कहा कि कई सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही, क्योंकि उनके पास जेल में रहने का कोई कागजात नहीं हैं। साथ हीं उन्होंने यह भी कहा कि उन सेनानियों को भी पेंशन मिलनी चाहिए जो जेल नहीं गए पर बहार रहकर उस लड़ाई की अलख जगाये हुए थे। सेनानी नंदू पटेल ने इस बात का अफ़सोस जताया कि बिहार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री में से किसी ने आजतक जेपी सेनानियों के साथ बैठक नहीं की।
इस मौके पर संगठन के उपाध्यक्ष विनय कुमार शाही, वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र मिश्र, अरुण कुमार पाठक, मुद्रिका प्रसाद यादव व अन्य लोगों ने अपने विचार रखे।
(सुचित कुमार)