पटना : लालू प्रसाद यादव पर लिखी किताब अभी मार्केट में नही आई है लेकिन अखबारों और मीडिया में सुर्खियां जरूर बटोर रही है। हाल के दिनों में इस बात की चर्चा खूब हुई कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सबसे करीबी माने जाने वाले पीके यानी प्रशांत किशोर महागठबंधन से रिश्ता तोड़ कर भाजपा के साथ सरकार बनाने के छः महीने बाद दुबारा लालू प्रसाद यादव के पास गए थे लेकिन लालू ने मना कर दिया था। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तो एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए यहां तक कहा था कि वो दिन और तारीख भी बता सकते हैं। अखबारों और चैनलों में चल रहे खबरों पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव की पहचान उनके पिता लालू प्रसाद के चलते है। आज वे राजनीति में हैं तो सिर्फ अपने पिता की वजह से ही हैं। उनकी अपनी कोई निजी पहचान नहीं है। उन्हें राजनीति विरासत में मिली इसलिए वे आज महागठबंधन के नेता बने हुए हैं। प्रशांत किशोर ने आगे लिखा कि सही मायनों में किसी भी व्यक्ति की पहचान तब होती है जब अपने दम पर कुछ करके दिखाए। छोटी शुरुआत ही सही लेकिन अपने मेहनत से किया गया प्रयास आपको अपनी पहचान देता है और फिर ज्यादा मेहनत करके बड़ी पहचान बनाई जाती है। जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी भी लालू प्रसाद यादव पर लिखी पुस्तक में लिखी बातों को झूठा करार दे दिया है और कहा है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद कभी भी दुबारा लालू प्रयास यादव के पास नहीं गए हैं। केसी त्यागी ने कहा कि इन बातों का कोई आधार नहीं है और ये सब सिर्फ अफवाह और झूठी खबरें हैं। वहीं जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने भी तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा है तेजस्वी यादव ने बचपन से ही घोटाला, घपला, अपराध और अपराधियों को देखा है। बचपन से ही भ्रष्टाचार, लूट ,बेईमानी देखा है और यही सब सीखा है। संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव को विरासत में ये सारे गुड़ बताये गए हैं और वे इन्हीं रास्तों पर चल भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को साफ सुथरी छवि से कोई मतलव नहीं। राजनीति मे , समाज मे कैसेसुधार हो इसके लिए उनकी तरफ से कोई प्रयास नहीं किया जाता।
मधुकर योगेश