गोपालगंज में गैंगवार ने कोविड-19 की जंग को कुंद करते हुए राजनीतिक लड़ाई में धार दे दी है। कल तेजस्वी प्रसाद यादव ने जैसे ही गोपालगंज यात्रा की घोषणा की वैसे ही पुलिस-प्रशासन से लेकर राजनीतिक गलियारा सतर्क हो गया। सतर्कता की तीव्रता ऐसी कि प्रशासन ने सख्ती से कहा कि अगर तेजस्वी पटना से यात्रा करते हैं तो उनकी अरेस्टिंग तय है।
कोविड-19 को लेकर प्रतिपक्ष के नेताओं ने न तो कुछ खास किया और न ही पीड़ितों की मदद की है। इस दौरान तेजस्वी दिल्ली से बैठकर बयानबाजी करते रहे। पर, कुछ दिनों पूर्व जैसे ही आए वैसे ही गोपालगंज में चार हत्याएं हो गईं। तीन एक ही परिवार के तथा एक प्रतिशोध में।
हालात ये है कि महागठबंधन के सीननियर नेताओं ने ही उनकी गोपालगंज यात्रा पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए पूछ डाला कि सिंदुरिया हत्याकाण्ड तथा अन्य हत्याओं में तेजस्वी ने चुप्पी क्यों साधी रखी। उन्होंने यात्रा की घोषणा के पूर्व महागठबंधन के सीनियर नेताओं से मंत्रणा भी नहीं की। सो, फिलहाल उनकी यात्रा पर तो ग्रहण तो लग गया है पर, उनकी गोलबंदी जारी है।
मिली जानकाी के अनुसार, महागठबंधन के नेता उपेन्द्र कुशवाहा तथा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने स्पष्ट कर दिया कि उनसे राय नहीं ली गयी। एकतरफा फैसला लालू की स्टाईल है। यही नहीं, उनसे कोई मशविरा भी नहीं ली गयी।
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