पटना : लॉकडाउन में दूसरे राज्यों में फंसे करीब 12 हजार प्रवासी मजदूर आज मंगलवार को 10 ट्रेनों में बिहार के विभिन्न स्टेशनों पर उतरे। कोरोना महामारी के बीच तमाम सावधानियों के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में आये प्रवासियों को संभालना और राज्य को भी कोरोना से महफूज रखना नीतीश सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। ये ट्रेनें राजस्थान, केरल और गुजरात समेत विभिन्न प्रदेशों में रह रहे बिहारियों को लेकर दानापुर, मुजफ्फरपुर, सहरसा, दरभंगा और राज्य के अन्य अलग अलग स्टेशनों पर पहुंची।
कांग्रेस-राजद की सियासत टांय—टांय फिस्स
उधर प्रवासियों पर चल रही तमाम सियासत के बीच आज यह साफ हो गया कि जहां इन मजदूरों का रेल किराया और फिर बस भाड़ा बिहार सरकार वहन कर रही है। उनके रहने, खाने और क्वारंटाइन का जिम्म भी राज्य के अफसर ही संभाल रहे हैं। यह क्लियर हो गया कि कांग्रेस, समेत पूरा विपक्ष जहां इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहा था, वहीं राज्य सरकार अपना काम करने में लगी रही। कोई रेल भाड़ा देने की बात कर रहा था तो कोई ट्रेन और बस देने की। लेकिन जब वास्तव में कुछ करने की बारी आई तो सब चुप हो गए।
आज बिहार आने वाली ट्रेनों का ब्योरा
बहरहाल, आज जो सबसे पहली ट्रेन बिहार पहुंची वही बेंगलुरु से दानापुर स्पेशल ट्रेन जो करीब 10 बजे दानापुर पहुंची। इसके बाद दूसरी ट्रेन मेंगलुरु से करीब 11.30 बजे दानापुर पहुंची। वहीं दोपहर 12.30 बजे एक ट्रेन कोटा से दानापुर पहुंची। आज ही एक ट्रेन कोटा से दरभंगा, केरल के त्रिशुर से दरभंगा, एर्नाकुलम से बरौनी, गुजरात के साबरमती से मुज़फ़्फ़रपुर, एर्नाकुलम से मुज़फ़्फ़रपुर और केरल के कन्नूर से सहरसा आई है।
राज्य सरकार ने किये पुख्ता इंतजाम
बाहर से आ रहे लोगों के लिए अभी-तक 2450 क्वारन्टाइन कैंप तैयार कर लिए गए हैं। अभी इन कैंपों में 8968 लोग रह रहे हैं और इनकी क्षमता बढ़ाई जा रही है। यहां पर सभी को स्टील के बर्तन में भोजन परोसा जा रहा है। तीन समय का भोजन के साथ दो बार दूध भी दिया जा रहा है। इसके अलावा साबुन, तेल, कपड़े आदि भी उन्हें उपलब्ध कराए गए हैं। कैंपों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। इन यात्रियों के रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद चेकअप करने के बाद स्वस्थ यात्रियों को जिस जिले में जाना होता है वहां की बस से रवाना कर दिया जा रहा है।