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29 जनवरी : सारण की मुख्य खबरें

आईयूसीडी लगाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा

छपरा : परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को उपलब्ध कराने एवं सुदृढ़ीकरण को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शहर के एक निजी होटल में आयोजित इस कार्यशाला में जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों, इम्पैनल सर्जन, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधकों, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरकों को परिवार नियोजन की सभी सेवाओं के बारे में जानकारी दी गयी। जपाईगो के राज्य प्रतिनिधि लीगिल वर्गिज के द्वारा पीपीटी के माध्यम से चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण में परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थाई सेवा के बारे में बताया गया।

इस दौरान नसबंदी, बंध्याकरण, कॉपर-टी, अंतरा, छाया, माला-एन, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, ईमरजेंसी पिल्स इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के दौरान परिवार नियोजन के साधनों को लेकर भ्रांतियों पर भी चर्चा की गयी। डॉ. लीगिल वर्गिज ने कहा कि अंतरा लगवाने के बाद दो माह तक रक्तस्राव स्त्राव होना, महामारी का को अनियमित होना सामान्य बात है। प्रसव के छह सप्ताह बाद अंतरा की का सुई लगायी या जा सकती ता है। एचआईवी पॉजिटिव महिला को अंतरा लगाया जा सकता है। इस मौके पर डीसीएम ब्रजेन्द्र कुमार सिंह, जपाइगो के जिला समन्वयक विजय विक्रम, डीएमईओ भानू शर्मा, सीफार के डीसी गनपत आर्यन, प्रिंस कुमार, गौरव कुमार, मनोहर कुमार समेत अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद थे।

आईयूसीडी लगाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा:

डॉ. लीगिल वर्गिज ने कहा कि परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी आइयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी दें। प्रशिक्षण में कर्मियों को इससे होने वाले लाभ व लगाने के दौराने बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया। आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं ऑपरेशन के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है।

अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है आईयूसीडी से :

डॉ. लीगिल वर्गिज ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है तो इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है।

बच्चों में अंतर रखने के लिए कॉपर-टी बेहतर विकल्प :

पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटाराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी)। यह उस गर्भ निरोधक विधि का नाम है जिसके जरिए बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है। प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस (कॉपर टी) लगवाई जा सकती है। इसके अलावा माहवारी या गर्भपात के बाद भी डाक्टर की सलाह से इसे लगवाया जा सकता है। एक बार लगवाने के बाद इसका असर पांच से दस वर्षों तक रहता है। यह बच्चों में अंतर रखने की लंबी अवधि की एक विधि है। इसमें गर्भाशय में एक छोटा उपकरण लगाया जाता है।

जय प्रकाश विश्व विद्यालय के द्वारा वेबिनार का आयोजन

छपरा : ऑनलाइन मीटिंग में कुलपति और प्रति कुलपति ने महाविद्यालय के प्राचार्य को आदेशित कर दिया हैI विदित हो कि आज इस आशय में एक वेबिनार का आयोजन जयप्रकाश विश्व विद्यालय द्वारा किया गयाI बिहार बोर्ड की परीक्षा के समय जय प्रकाश विश्व विद्यालय की सभी कक्षाओं का संचालन सुबह 7.00 बजे से 8.30 तक होगा|

इस आशय की सूचना सभी महाविद्यालय के प्राचार्य को भेज दी गई हैI राजभवन के आदेशानुसार सीनेट के प्रस्ताव के अनुसार सत्र नियमितीकरण हेतु इस आशय में माननीय प्रमंडलीय आयुक्त को विश्व विद्यालय द्वारा एक पत्र भी लिखा गया है कि वे तीनों माननीय जिला पदाधिकारी महोदय को निर्देश देने की कृपा करें कि वे, अपने जिला के अन्तर्गत आने वाले सभीमहाविद्यालय के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दें, जिससे महाविद्यालय में सुबह 7.00 बजे से 9.00 बजे तक कक्षाओं को संचालित किया जा सकेI जिससे सत्र के नियमितीकरण में सहयोग मिल सकेI

टीकाकरण अभियान के पहले चरण में हेल्थकेयर वर्करों का किया गया टीकाकरण

छपरा : जिले में कोरोना संक्रमण के खिलाफ कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले चरण में हेल्थकेयर वर्करों का टीकाकरण किया जा रहा है। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। पत्र के माध्यम से यह निर्देश दिया गया है कि 10 फरवरी तक कोविड-19 टीकाकरण अभियान के अंतर्गत लाभार्थियों के प्रथम खुराक का टीकाकरण पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाए।

जारी पत्र में कहा गया है कि जिला में पोर्टल पर तकनीकी समस्याओं के कारण समय अनुसार सत्रों का निर्धारण नहीं हो पा रहा था। फलस्वरूप राज्य के सभी जिलों को दो ग्रुप में विभाजित करते हुए क्रमशः सोमवार, बृहस्पतिवार तथा मंगलवार, शनिवार को कोविड19 टीकाकरण कराए जाने का निर्देश निर्गत है। उक्त निर्देश को विलोपित करते हुए जिले में स्वास्थ्य कर्मियों के कोविड टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्देश दिया गया है।

लाभार्थियों की संख्या को देखते हुए करें सत्र का निर्धारण :

पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि स्थानीय स्तर पर लाभार्थियों की संख्या को देखते हुए सत्र का निर्धारण किया जाए। आवश्यकता अनुसार सत्रों की संख्या एवं सत्र पर लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। सत्र पर यदि वैसे लाभार्थी उपस्थित हो जाते हैं जिनका पंजीकरण पोर्टल पर है परंतु उस दिन के ड्यू लिस्ट में नामित नहीं है, तो उनकी के विवरणी की पोर्टल पर जांच कर उनका टीकाकरण किया जाएगा।

राजस्व कर्मियों का डाटाबेस तैयार करने का निर्देश :

राज्य स्वास्थ्य राजस्वा समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने निर्देश दिया है कि वैक्सीन की के उपलब्धता के अनुसार राज्य के राजस्व कार्य से जुड़े सभी सरकारी (संविदा) सहित पदाधिकारियों एवं कर्मियों का कोविड-19 का टीकाकरण कराया जाना है। इसके लिए विभाग के राजस्व कार्य से संबंधित सभी स्तर के पदाधिकारियों में कर्मियों की सूची भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक प्रारूप में तैयार कर जिला के सिविल सर्जन सदस्य सचिव जिला स्वास्थ समिति को कार्यालय द्वारा कोविन पोर्टल पर अपलोड किया जाए एवं कोविन पोर्टल पर पंजीकरण के आधार पर ही भारत सरकार द्वारा वैक्सीन की उपलब्धता के उपरांत टीकाकरण किया जाएगा।

ऐसी स्थिति में न लें टीका :

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा यह आश्वस्त किया गया है कि कोविड टीकाकरण पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। टीके जल्द बनाए गए हैं, लेकिन पूरे नियमों का पालन किया गया ताकि यह सुरक्षित हो। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है जिन लोगों की दवा या किसी प्रकार के खाने की एलर्जी ऐलर्जी है,वह यह टीका न लगवाएं। गर्भवती, धात्री या ऐसी महिलायें जिन्हें जिन्हे गर्भवती होने की संभावना लग रही है उनको भी यह टीका नहीं लगवाना या चाहिए। यह टीका 18 वर्ष से कम के की उम्र के बच्चों के लिए भी नहीं है।

कोविड-19 वैक्सीन सभी के लिए सुरक्षित :

कोविड टीका सभी प्रमाणित वैक्सीन पूरी प्रक्रिया के गुजरने का बाद ही स्वीकृत की गयी है और पूर्णतया सुरक्षित है। चरणवार तरीके से इसे सभी को उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है । टीकाकरण के पश्चात लाभार्थी को किसी प्रकार की परेशानी के प्रबंधन के लिए सत्र स्थल पर एनाफलीसिस किट कीट एवं एईएफआई किट कीट की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है तथा इसके लिए संबंध में टीकाकर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है।

लायंस क्लब ने सारण जिले के पत्रकारों को किया सम्मानित

छपरा : भारतीय अखबार दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था लायंस क्लब ने सारण जिले के पत्रकारों को सम्मानित किया। पत्रकार सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि लायंस क्लब के पूर्व जिला पाल लायन डॉ० एस के पांडे, वरिष्ठ पत्रकार एच के वर्मा, एन यू जी आई के सचिव राकेश सिंह, पत्रकार संघ के सचिव जाकिर अली, लायंस क्लब छपरा सारण के अध्यक्ष राजीव दास, लायंस क्लब रघु शांति के अध्यक्ष अजय कुमार, आरसी ध्रुव कुमार पांडे और लायंस क्लब छपरा टाउन के अध्यक्ष कबीर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। मंच संचालन लायन कुंवर जायसवाल ने किया।

मुख्य अतिथि लाइन डॉक्टर एस के पांडे ने कहा कि क्लब द्वारा किए गए कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने में प्रेस एवं पत्रकारों का आम योगदान है। बिना इन के सहयोग से हमारा जागरूकता अभियान व अन्य कार्यक्रम अधूरा है। शुरू से ही क्लब के हर एक्टिविटी को अखबार टेलीविजन और वेब पोर्टल के माध्यम से पत्रकारों द्वारा दिखाया जाता रहा है। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम सम्मानित करें।

इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष कुंवर जायसवाल, अध्यक्ष कबीर, कोषाध्यक्ष गोविंद सोनी, आदित्य सोनी, संजीव कुमार, लियो अली अहमद, सनी पठान, सबाना, शुभम मिश्रा, मोहम्मद सलमान, रौशन गुप्ता, आशुतोष पांडेय आदि सदस्य उपस्थित थे।

चारू प्रियदर्शी को चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया

छपरा : भगवान बाजार वीआईपी लेन छपरा के निवासी मदन लाल प्रियदर्शी एवं सुचिता प्रियदर्शी की सुपुत्री चारू प्रियदर्शी ने चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना से एलएलबी की परीक्षा में गोल्ड मेडल के साथ टॉप की किए चारु प्रियदर्शी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को साबित किया गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार की अतिथि बने उच्चतर शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें राजपत्र नई दिल्ली के माननीय प्रधानमंत्री के अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस परेड शामिल होने की प्रशंसा स्वरूप प्रमाण पत्र प्रदान किया गया इस उपलब्धि से सारण जिला का सर गर्व से ऊंचा हो गया।

चारु प्रियदर्शी के इस उपलब्धि पर माननीय विधान पार्षद केदारनाथ पांडे राजपूत उच्च विद्यालय के प्राचार्य अरुण कुमार पांडे दीनबंधु मांझी सीखा प्रियदर्शी बड़े भाई निशांत प्रियदर्शी कर्मचारी संघ के कोषाध्यक्ष सुनील कुमार संध्या कुमारी आदि ने हर्षव्यक्त करते हुए सारण जिला के लाल को प्रोत्साहित किया कि भविष्य में यह देश का नाम ऊंचा करेंगी चारु का कहना है कि आगे वह प्रशासनिक सेवा में जा कर देश सेवा की इच्छा है।

मुख्यमंत्री ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग मंत्री राम सूरत कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई

छपरा : सारण की भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने के प्रस्ताव पर स्थानीय सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने चिंता जताई है। इस संदर्भ में भविष्य की चिंताओं को लेकर सांसद ने कहा कि सारण के गंगा तट के इलाकों को काटकर पटना जिले में मिलाना पूरी तरह अव्यावहारिक और भौगोलिक रूप से गलत है। पतित पावनी गंगा जैसी सदा नीरा नदी के दोनों छोर पर जब पटना जिले का भूखंड होगा तो जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को भी कानून व्यवस्था लागू करने तथा अन्य प्रशासनिक गतिविधियों को अंजाम देने में व्यावहारिक दिक्कतें आयेगी।

सारण जिला के सोनपुर प्रखंड के 3212 एकड़ भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने की खबरों को समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आते ही स्थानीय सांसद रुडी ने इस प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। रुडी ने कहा कि गंगा पर सारण की भूमि को पटना जिला में शामिल करने के बाद स्थानीय नागरिक को अपने जिले से संबंधित किसी भी तरह के कार्य के लिए गंगा पार कर पटना मुख्यालय में जाना होगा जो अव्यावहारिक और दिक्कतों भरा होगा।

विदित हो कि जनहित के कार्यों को त्वरित गति से अंजाम देने के लिए सांसद ने अपने क्षेत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपना कार्यालय खोल रखा है जिसमें सोनपुर में भी कार्यालय है जहां सारण की भूमि को पटना जिला में स्थानांतरित करने प्रक्रिया को सरकार से रोकने का आग्रह स्थानीय नागरिकों ने सांसद से किया है और अपना विरोध दर्ज कराया है। उन लोगों ने सांसद से अपना लिखित आवेदन देकर आग्रह किया है कि वो अपने प्रयास से भविष्य में होने वाली दिक्कतों से मुक्ति दिलाएं।

इस प्रस्ताव के संज्ञान में आते ही सांसद रुडी ने स्थानीय अधिकारियों की इस गतिविधि पर विराम लगाने के लिए मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री को पत्र लिखा। रुडी ने बताया है कि स्थानीय सांसद होने के बावजूद मुझसे सारण के भूभाग को पटना जिले में शामिल करने से संबंधित निर्णय पर कोई विमर्श नहीं किया गया और न ही स्थानीय विधायक, नगर निकाय या ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से कोई वार्तालाप की गई और न उनका मंतव्य लिया गया।

उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि दीघा-सोनपुर पुल के निर्माण और प्रस्तावित दिघवारा-शेरपुर पुल के कारण कई रियल एस्टेट कंपनियों की नजर अब सारण जिला की जमीन पर है। यदि राज्य सरकार किसी अच्छे काम के लिए ये कदम उठाती है तो हम सब की सहमती है परन्तु इसमें रियल एस्टेट के लोग भी भागीदारी दिखा रहे है जो संदेह पैदा करता है। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि हो सकता है कि रियल एस्टेट कंपनियों के मालिक सारण की जमीन को राजधानी पटना का हिस्सा दिखाकर अधिक से अधिक दामों में उन जमीनों को बेचकर लाभान्वित होना चाहते है।

रुडी ने कहा कि सारण जिला का अपना एक प्राचीन इतिहास है। सारण का क्षेत्र सोनपुर केवल ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि पौराणिक और प्राचीन भारत की सभ्यता-संस्कृति से जुड़ा हुआ क्षेत्र है। इस भूमि की ऐतिहासिकता और पौराणिकता बरकरार रहनी चाहिए। पटना जिले में सोनपुर के क्षेत्र को काटकर शामिल करने से सोनपुर की स्थिति और ऐतिहासिकता पर प्रहार होगा। यह परंपरा से चला आ रहा है कि सोनपुर का क्षेत्र गंगा के उत्तरी हिस्से में है जबकि प्राचीन पाटलीपुत्र और वर्तमान पटना गंगा के दक्षिण भाग में है।

गंगा के दोनों तटों पर पटना की भूमि व्यावहारिक रूप से उचित नहीं है और यह प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी ठीक नहीं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 1997 में इसी अव्यावहारिकता के कारण और प्रशासनिक दृष्टिकोण से वाराणसी के गंगा नदी के पूर्वी और दक्षिणी दिशा में स्थित चन्दौली को एक अलग जिला बनाया गया था। उन्होंने कहा कि सोनपुर के प्राचीन इतिहास से छेड-छाड़ उचित नहीं होगा। उक्त आशय की जानकारी पूर्व जिला उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह चौहान ने दिया ।

पीपीटी के माध्यम से चिकित्सा कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

छपरा : परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को उपलब्ध कराने एवं सुदृढ़ीकरण को लेकर जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शहर के एक निजी होटल में आयोजित इस कार्यशाला में जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों, इम्पैनल सर्जन, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधकों, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरकों को परिवार नियोजन की सभी सेवाओं के बारे में जानकारी दी गयी। जपाईगो के राज्य प्रतिनिधि लीगिल वर्गिज के द्वारा पीपीटी के माध्यम से चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया।

जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण में परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थाई सेवा के बारे में बताया गया। इस दौरान नसबंदी, बंध्याकरण, कॉपर-टी, अंतरा, छाया, माला-एन, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, ईमरजेंसी पिल्स इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। प्रशिक्षण के दौरान परिवार नियोजन के साधनों को लेकर भ्रांतियों पर भी चर्चा की गयी।

डॉ. लीगिल वर्गिज ने कहा कि अंतरा लगवाने के बाद दो माह तक रक्तस्राव स्त्राव होना, महामारी का को अनियमित होना सामान्य बात है। प्रसव के छह सप्ताह बाद अंतरा की का सुई लगायी या जा सकती ता है। एचआईवी पॉजिटिव महिला को अंतरा लगाया जा सकता है। इस मौके पर डीसीएम ब्रजेन्द्र कुमार सिंह, जपाइगो के जिला समन्वयक विजय विक्रम, डीएमईओ भानू शर्मा, सीफार के डीसी गनपत आर्यन, प्रिंस कुमार, गौरव कुमार, मनोहर कुमार समेत अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद थे।

आईयूसीडी लगाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा :

डॉ. लीगिल वर्गिज ने कहा कि परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी आइयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी दें। प्रशिक्षण में कर्मियों को इससे होने वाले लाभ व लगाने के दौराने बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी बताया गया। आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं ऑपरेशन के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं, उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है।

अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है आईयूसीडी से :

डॉ. लीगिल वर्गिज ने बताया कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी, गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है तो इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है।

बच्चों में अंतर रखने के लिए कॉपर-टी बेहतर विकल्प:

पोस्ट पार्टम इंट्रा यूटाराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी)। यह उस गर्भ निरोधक विधि का नाम है जिसके जरिए बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने में मदद मिलती है। प्रसव के तुरंत बाद अपनाई जाने वाली यह विधि सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रसव के बाद अस्पताल से छ़ुट्टी मिलने से पहले ही यह डिवाइस (कॉपर टी) लगवाई जा सकती है। इसके अलावा माहवारी या गर्भपात के बाद भी डाक्टर की सलाह से इसे लगवाया जा सकता है। एक बार लगवाने के बाद इसका असर पांच से दस वर्षों तक रहता है। यह बच्चों में अंतर रखने की लंबी अवधि की एक विधि है। इसमें गर्भाशय में एक छोटा उपकरण लगाया जाता है।