छपरा : एक साल बाद अनलॉक होगा भिखारी ठाकुर रंगमंडल का नाटक “भिखारीनामा” डॉ. जैनेन्द्र दोस्त के निर्देशन में रंगमंडल छपरा से भोपाल के लिए रवाना भिखारी ठाकुर रंगमंडल अपने बहुचर्चित नए नाटक “भिखारीनामा” के प्रस्तुति के लिए छपरा से भोपाल के लिए रवाना हो चुका है। इस नाटक के लेखक एवं निर्देशक डॉ. जैनेन्द्र दोस्त ने कहा कि “भिखारीनामा” की यह आठवीं प्रस्तुति होगी। पिछले वर्ष 14 फ़रवरी को ही “भिखारीनामा” की सातवीं प्रस्तुति दिल्ली में हुई थी। इसके पहले यह नाटक दिल्ली, नेपाल, महाराष्ट्र आदि जगहों पर हो चुका है।
इस नाटक में पद्मश्री रामचंद्र माँझी अहम भूमिका में हैं। पद्मश्री की घोषणा के बाद रामचंद्र माँझी का भी यह पहला प्रदर्शन होने जा रहा है। इसके लिए रामचंद्र माँझी सहित दल के शिवलाल बारी, सरिता साज़, रंजीत भोजपुरिया, शिवकुमार माँझी, चन्द्रमा राम संदीप कुमार आदि सभी खुब उत्साहित हैं। डॉ. जैनेन्द्र दोस्त ने कहा कि भिखारीनामा नाटक भिखारी ठाकुर के जीवन एवं उनके रंगकर्म पर आधारित नाटक है। इस नाटक मे भिखारी ठाकुर के जन्म से लेकर उनके नाच पार्टी बनाने तथा बिदेसिया एवं अन्य नाटक रचने तक की कहानी को दिखाया गया है।
भिखारी ठाकुर के जीवन एवं रंगमंच के इस यात्रा में यह दिखाने का प्रयास किया गाय है कि किस तरह से भिखारी ठाकुर ने अपने आसपास के सामाजिक यथार्थ एवं जीवन अनुभवों को अपनी कला का मुख्य विषय बनाया है। डॉ. जैनेन्द्र दोस्त पिछले 15 वर्षों से राष्ट्रीय रंगमंच में सक्रिय हैं। इन्होंने बिहार के रंगमंच को ख़ास कर भिखारी ठाकुर के रंगमंच को देश के कई राज्यों में प्रस्तुत करने के साथ-साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान एवं नेपाल में प्रस्तुत किया है।
“भिखारी ठाकुर रंगमंडल” भिखारी ठाकुर के रंगमंच, गीत-संगीत एवं नृत्य प्रस्तुति के व्यवसायिक रंगमंडल के साथ-साथ उनकी रंग-परम्परा के प्रशिक्षण एवं शोध की संस्था है। भिखारी ठाकुर के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त एवं उनके दल में काम कर चुके सभी जीवित कलाकार आज इस रंगमंडल के अभिन्न अंग हैं। इस केंद्र ने भिखारी ठाकुर के रंगमंचीय परंपरा को सम्पूर्णता में पुनर्जीवित एवं संस्थानिकृत (revive and institutionalize) करने का प्रयास किया है। वर्तमान समय में रंगमंडल के पास भिखारीनामा सहित बिदेसिया, गबरघिचोर, बेटीबेचवा, पिया निसइल, गंगा स्नान आदि नाटक तैयार है एवं अन्य नाटकों के निर्माण पर कार्य जारी है।
इस रंगमंडल का मुख्य उद्देश्य है भिखारी ठाकुर की नाट्य-परंपरा को परफॉर्मेंस के द्वारा जीवित रखना तथा प्रशिक्षण के द्वारा उसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तांतरित करना है। अब तक इस दल ने देशज (आज़मगढ़), नाट्य समागम (दिल्ली, त्रिपुरा, गुवहाटी), लोक जात्रा (मोतिहारी), संस्कृति संगम (नालंदा), भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव (छपरा), राष्ट्रीय लोकनाट्य महोत्सव (मधुबनी), तिलिस्म (कराची, पाकिस्तान), ज्योतिरिश्वर रंग उत्सव (काठमांडू, नेपाल) विश्व संगीत दिवस उत्सव (ICC, कोलंबो, श्रीलंका) जैसे देश-विदेश के ख्यातिलब्ध महोत्सवों में अपने नाटकों एवं संगीत-नृत्य की प्रस्तुति दी है।