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11 फरवरी : आरा की मुख्य खबरें

महिला की आवासीय रैयती जमीन में लगा दी गयी बड़ी पाइप

आरा : भोजपुर जिले के जगदीशपुर के उतरवारी जंगल महाल मौजा में एक महिला की रैयती जमीन में पाइप (कनभट) लगा दी गयी है। वह जमीन आवासीय प्लॉट है, जिस पर मकान बनाया जाना है। इसे लेकर बक्सर के बराडी की रहने वाली रामदुलारी देवी ने एनएचएआई पीआईयू के प्रबंध निदेशक, डीएम और एसपी सहित अन्य वरीय अफसरों को आवेदन देकर शिकायत दर्ज करायी है।

उसमें कहा गया कि आरा से पडरिया प्रोजेक्ट जमीन के आगे पाइप कनभट लगाये जाने से उसके घर में पानी आने की आशंका है। आवेदन में महिला ने कहा कि उस जमीन के बगल में ही सरकारी पइन है। इसके बाद भी उनकी जमीन के सामने पाइप कलभट लगा दिया गया है। इससे उनके मकान में पानी आने की आशंका है। उस जमीन पर मकान का निर्माण करना है। ऐसे में पाइप कनभट लगाने से घर बनाना मुश्किल है। आवेदन मिलने के बाद एनएचएआई के प्रबंध निदेशक द्वारा जांच के आदेश दिये गये हैं।

घूस लेते एएसआई गिरफ्तार

आरा : भोजपुर में पीरो थाने के एक एएसआई कृपा नारायण झा को केस मैनेज के नाम पर पैसे लेनदेन में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी भोजपुर एसपी हर किशोर राय के निर्देश पर की गयी है|

पीरो थाने में तैनात एएसआई कृपा नारायण झा एक केस मैनेज करने के लिए पैसे माँग रहे थें, और उस पैसे के लेनदेन का वीडियो भोजपुर पुलिस अधीक्षक हरकिशोर राय के हाँथ लग गया| जिसके बाद भोजपुर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आरोपी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल आरोपी को पीरो थाने में रख कर पीरो एसडीपीओ पूछताछ कर रहें है। इधर इस घटना के बाद से भोजपुर पुलिस महकमे में खलबली मच गई है।

संत के दर्शन से होता है जीव षड्विकार से मुक्त देवराहा शिवनाथदास जी महाराज

आरा : संत श्री देवराहा शिवनाथदास जी महाराज का आज देवराहाधाम सिअरुआ में श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया तथा पूजा अर्चना की| श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत श्री देवराहा शिवनाथदास जी महाराज ने कहा कि जहाँ भक्तों और संतो का संग होता है, वहीं सत्संग होता है।अब यहां प्रश्न उठता है कि आखिर भक्त है कौन?संतश्री ने कहा कि जिसके मन में अहर्निश हरि नाम का सुमिरन होता हो और जो जीव अपने सारे कामों को करते हुए भी षड्विकार जैसे (काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ और दंभ यानी अहंकार) से रहित हो, वही सच्चा भक्त और संत है।

ऐसा भक्त जब हरिनाम का सुमिरन करता है तो भगवान दौडे़ चले आते हैं।ऐसे भक्त को तीरथ,और धाम में जाने की आवश्यकता ही नहीं होती।ऐसे भक्त और संत का दर्शन ही पुण्यकारक होता है।ऐसे संतों के बारे मे कबीर दास कहते हैं “तीरथ गए फल एक है, संत मिले फल चारि। सद्गुरु मिलै अनंत फल, कहत कबीर विचारी।

कबीर दासजी कहते हैं कि तीरथ करने से एक फल मिलता है,लेकिन संतों की संगति से पुण्य मिलता है।परन्तु जब जीव को सद्गुरु की प्राप्ति हो जाए तो उससे मिलने वाले पुण्य का वर्णन ही नहीं हो सकता।संतश्री ने आगे कहा कि जब जीव संत के सानिध्य में जाता है तो उसे कोटि-कोटि यज्ञ का फल मिलता है।रामचरित मानस में भी लिखा है-“संत दरस को जाइए तजि ममता अभिमान, एक-एक पग आगे बढ़े कोटिन्ह यज्ञ समान। इसके बाद संकीर्तन की शुरुआत हुई।वहीं इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।

राजीव एन० अग्रवाल की रिपोर्ट