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डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने संभाला कबीर विकास संचार शोधपीठ कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का अध्यक्ष पद

रायपुर : वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, संपादक, अंतरविषयी शोधकर्ता तथा समाजसेवी डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने आज कबीर विकास संचार शोधपीठ के अध्यक्ष/चेयर प्राेफेसर के पद पर पदग्रहण कर लिया है। श्री चतुर्वेदी ने नई दुनिया, यंग लीडर, जिनेन्दु, दीनदयाल शाेध संस्थान में नानाजी समग्र तथा हिन्दुस्थान समाचार के केन्द्र प्रभारी/फीचर संपादक पद पर कार्य किया है। आपके शोध विशेषज्ञता के क्षेत्र में-मीडिया, गांधीवाद, राष्ट्रवाद, दर्शन तथा समसामयिक राजनीति है। आपके आलेख-शाेध पत्र क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में यथा—सक्षात्कार, हिन्दी विवेक, दैनिक स्वदेश, मधुमति, पांचजन्य, मीडिया विमर्श, विमल विमर्श, मूल्यानुगत मीडिया, रास्ट्रकिंकर, मासिक जिनेन्दु, आजकल, देवपुत्र में प्रकाशित होते रहते हैं। आपका पाक्षिक स्तंभ ‘मुस्लिम समाज की मानसिकता’, पाक्षिक चाणक्य वार्ता, नई दिल्ली से प्रकाशित होकर पाठकों द्वारा खूब सराही जा रही हैं
आपने एमए त्रय (गांधी विचार एवं शांति अध्ययन, समाजशास्त्र तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार ) में किया है। इसके साथ ही आप यूजीसी नेट तथा स्वर्णपदक प्राप्त भी हैं. आपको देशभर की विभिन्न संस्थाओं ने विभिन्न सम्मानों व पुरस्कारों से नवाजा है. आप रचनात्मक, बौद्धिक तथा आंदोलनात्मक रूप से पिछले ढाई दशकों से देश के भिन्न- भिन्न क्षेत्राें में सक्रिय हैं।
आपकी प्रकाशित प्रमुख पुस्तकों में से— भारतीय संस्कृति आैर महात्मा गांधी, महात्मा गॉधी और संवाद कला, गांधी दर्शन, एफडीआई का मायाजाल, नरेन्द्र मोदी का सर्वोदय दर्शन, प्रेस में—नरेन्द्र माेदी सरकार की उपलब्धियां, गॉधी जी की सुक्तियॉ, पं. दीनदयाल उपाध्याय-एक मानवतावादी चिन्तक, मीडिया और समाज तथा राष्ट्राय नम: , तथा कार्यरत पुस्तकों में:- निर्मलाचरित ,महात्मा गांधी—महामना मदनमोहन मालवीय : पत्र एवं भाषण, महात्मा गांधी—विनायक दामोदर सावरकर : पत्र एवं भाषण, महात्मा गांधी—डॉ. राममनोहर लोहिया: पत्र एवं भाषण, एक आैर तुलसी तथा हिन्द स्वराज—एक चिंतन’ है। आपने प्रकाशित- अप्रकाशित 32 पुस्तकाें का लेखन-संपादन, 65 रास्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय संगाेस्ठियाें,52 शाेधपत्र,तथा 500 से अधिक अंतरविषयी आलेखाें का लेखन किया है।
आप आकाशवाणी केन्द्र, वाराणसी में प्रसार भारती द्वारा समन्वयक पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके साथ ही आपने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रदत्त “आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “विषय पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी में फेलाे रह चुके हैं। ज्ञात हो कि डॉ़. मनाेज चतुर्वेदी भूपतिपुर, गाेपालगंज (बिहार) की पवित्र मिट्टी में पैदा हुए हैं तथा यहीं की प्राथमिक विद्यालय से क ख ग घ…. सीखा हैं