जयपुर द्वारा आयोजित वेबीनार में सीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य हुए शामिल
दरभंगा : कोविड-19 के संक्रमण से विश्वस्तर पर आर्थिक मंदी शुरू हो गई है,जिससे भारत भी अछूता नहीं है। यह महामारी हमारी शिक्षा-पद्धति सहित जीवन के हर एक क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। हमारे देश में 1000 से अधिक विश्वविद्यालय एवं 50,000 से अधिक सरकारी एवं निजी महाविद्यालय कार्यरत हैं। भारत एक विकासशील देश है,जहां के अधिकांश मध्यम वर्ग के छात्र मुख्य रूप से सरकारी महाविद्यालयों में ही पढते हैं।
कोरोना-19 संक्रमण के बीच अधिकांश जगह ऑनलाइन व उच्च तकनीकों के माध्यम से शैक्षणिक कार्य प्रारंभ किए जा रहे हैं,पर सुदूर गांव में रहने वाले गरीब छात्र-छात्राओं को उच्च तकनीकी सुविधा प्राप्त नहीं है,जिस कारण इस व्यवस्था से उनका काफी नुकसान हो रहा है। उक्त बातें स्किल स्लेट,जयपुर द्वारा जेकेएल विश्वविद्यालय,जयपुर के कुलपति प्रो रौशन लाल रैना की अध्यक्षता में “कोविड-19 के मध्य शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन एवं शैक्षणिक गतिविधियों की चुनौती एवं निदान” विषयक बेवीनार में भाग लेते हुए सी एम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य डा मुश्ताक अहमद ने कहा।
उन्होंने समस्या का निदान बताते हुए कहा कि सरकार पहले गरीब छात्र-छात्राओं को रियायत दर पर स्मार्टफोन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं। साथ ही साथ शैक्षणिक शुल्कों को भी कम कर,उसे किस्तों में बांटें। विशेषकर तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में,ताकि मध्यम और निम्न वर्गीय छात्रों की भी पढ़ाई प्रभावित ना हो। उन्होंने कहा कि इस महामारी के कारण लोगों की आमदनी में भारी कमी हो गई है।अतः ऐसी व्यवस्था हो कि बैंकों द्वारा न्यूनतम दर पर शिक्षा- ऋण को सरलता से प्राप्त किया जा सके,तभी इस कठिन समय में नई व्यवस्था के तहत अधिकाधिक छात्र लाभान्वित हो सकेंगे।
एमटीसी ग्लोबल विश्वविद्यालय,बेंगलुरु के डा भोलानाथ दत्ता के संयोजकत्व में आयोजित उक्त वेबीनार में डी वाई पाटील विश्वविद्यालय,पुणे के कुलपति प्रो शैली जणकर, एसपीपी विश्वविद्यालय,पुणे के डीन प्रो पराग कलकर सहित देश के 100 से अधिक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
मुरारी ठाकुर