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29 मार्च : चंपारण की मुख्य ख़बरें

रेलवे ने रक्सौल में शुरू किया आइसोलेशन कोच का निर्माण

  • कोरोना संक्रमित मरीजों का होगा इलाज

मोतिहारी : जिले में कोरोना वायरस के कारण जारी लाँक डाउन के बीच वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज व बचाव में रेलवे ने भी अपने योगदान की गति तेज कर दी है। ताकि नेपाल-भारत की सीमा से होकर आए लोगों में कोरोना संक्रमण के संभावित मरीजों की अच्छे तरीके से इलाज हो सके। इस क्रम में रेलवे ने जिले के इंडो-नेपाल बार्डर पर स्थित रक्सौल रेल कोच डिपो में आइसोलेशन कोच का निर्माण शुरू कर दिया गया है। जिसमें आइसोलेशन वार्ड के अतिरिक्त दो शौचालय व दो स्नानागार का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर रविवार से शुरू कर दिया गया है।

यहां नेपाल या अन्य प्रदेशों से आने वाले संक्रमित मरीज को रख कर इलाज किया जाएगा। मची महामारी के बीच बाहर से आये लोगों को रखने के लिए रेलवे के द्वारा आइसोलेशन कोच का निर्माण किया जा रहा है। रेल कोच डीपो के इंचार्ज उमेश कुमार ने बताया कि पहले चरण में हमलोग एक कोच को ही आइसोलेशन कोच बना रहे हैं। जरूरत पड़ी तो रेल बोर्ड के निर्देश पर और भी आइसोलेशन कोच बनाए जाएंगे। इसके लिए हमारी टीम पूरी तरह से तैयार है। आवश्यकता पड़ी तो अधिक संख्या में भी आइसोलेशन कोच बनाने में देरी नहीं की जायेगी।

पत्रकार ने सीएम को पत्र लिख राशन कार्ड की उठाई मांग

चंपारण : जिले के एक पत्रकार ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख पत्रकारों के लिए भी राशन कार्ड की व्यवस्था करने की मांग उठाई है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि पत्रकारिता भी एक कम आय वाला रोजगार है और इस लॉक डाउन में उन्हें काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि लॉक डाउन के दौरान लाभुके के घर जा खाद्यान दिया जाए जिससे कोरोना वायरस का प्रसार भी कम होगा और इसके संक्रमित मरीजों की पहचान भी हो सकेगी ।

उनके पत्र का अंश

सर, नमस्कार

मैं आपके बिहार के मोतिहारी से हूं,एक साल पहले दैनिक जागरण का अब स्वतंत्र पत्रकार ( निमन तो कभी नगन्य आय वाला) हूूं। बिहार में बहुत सारे निमन वर्गीय परिवार हैं, जिनके रहने को घर है पर लॉक डाउन में आमदनी के स्रोत लॉक हैं, क्योंकि वे ठेला पर या मंडी में सब्जी बेचने वाले व किराना के दुकानदार नहीं, ना ही रेगुलर किसी बड़े कंपनी के कर्मचारी हैं, जेनरल से आने वाले को रिजर्वेशन के कारण सरकारी नौकरी नहीं, क्योंकि मेरीट थी, लेकिन सभी तो हाई मेरेटोरियस नहीं ना! सीएम साहब वैसे में महज घर वाले, बाइक वाले, स्मार्ट फोन वाले को राशन कार्ड या पेंशन भी नहीं है। क्योंकि ये घर वाले थोड़ी आमदनी में भी बचत कर बाइक व स्मार्ट फोन तो लिए यह भी समय की डिमांड थी, वैसे लोगें को राशन कार्ड से आपकी व केंद्र सरकार की नीति ने वंचित कर रखा है। क्योंकि छोटे काम या अल्प समय वाले काम ( जिसमें पत्रकारिता भी शामिल है, क्योंकि पत्रकार अपनी आईडी की डिमांड कर दे या कम मानदेय की बात करे तो हटा दिए जाते हैं, कोई भय से बोलता भी नहीं कि आगे फिर से निम्नमानदेय वाला काम नहीं मिलेगा) उन्हें बाइक व स्मार्ट फोन संसाधन खुद के लेने पर ही काम मिलते हैं।

अब वैसे सभी लोग बेरेजगार हैं। उनके परिवार क्या खाएंगे, बचे खुचे अनाज भी उनके एक दो रोज में खत्म हो सकते हैं। मेरा सुझाव है, पीडीएस की दुकानों पर भीड़ लगाने की जगह हर घर दस्तक हो, जिन्हें खाद्यान की जरूरत हो उनके घर दस्तक दे उन्हें खाद्यान दिया जाये। स्थिति का अंदाजा भी लगेगा, वायरस संक्रमित मरीज की जानकारी मिलेगी, लोगों को आपकी सहयता से साहस और सरकार के प्रती सहानुभूति बढेगी। बेवजह पुलिस को सड़कों पर लाठी भी नहीं पटकनी पड़ेगी। सहायता में जुटे कर्मी के परिजन भी महफूज महसूस करेंगे।

राजन दत्त द्विवेदी