जबलपुर से 800 किलोमीटर पैदल चल वैशाली पहुंचे मजदूर
वैशाली : मध्यप्रदेश के जबलपुर हवाई अड्डे पर निर्माण कार्यो में लगे बिहार एवं उत्तर प्रदेश के सैकड़ो मजदूर लॉकडाउन में तीन सप्ताह तक किसी तरह अपना गुजर बसर किए, कुछ दिनों तक तो ठीकेदारो द्वारा इन मजदूरों को राशन उपलब्ध कराया गया। लेकिन, जब लॉकडाउन 2.0 की घोषणा हुई तो इन मजदूरों का धैर्य समाप्त हो गया तथा सभी ने 14 अप्रैल को निश्चय किया की अब यहां से पैदल ही अपने घर लौट जाएंगे।
बिहार एवं उत्तर प्रदेशके दर्जनों मजदूर ने जबलपुर को अलविदा कर 14 अप्रैल को सभी पैदल ही 800 किलो मीटर की दूरी तय कर शनिवार को शाम सराय पहुंचे। जबलपुर कटनी विजय रागव गढ़,मैहर, कुंधा, रीवा, मैरवा, मंगढ़वा, प्रयागराज, गोपीगंज,बनारस, छपरा, सोनपुर, हाजीपुर होते हुए घोड़ासहन के रास्ते 800 किलो मीटर की दूरी तय कर पैदल चल रहे मजदूरों में अर्जुन माझी पिता हरेंद्र माझी, नवादा मोतिहारी, हीरालाल माझी पिता दिनेश माझी नवादा, संतोष कुमार, ,राजेश्वर कुमार,अभिमन्यु कुमार घोड़ासहन, अमरजीत कुमार, विजय माझी,रविरंजन माझी हीरालाल माझी सभी मोतिहारी के नवादा गाव के है।इनलोगो ने बताया कि लॉक डाउन में कोई भी सरकारी मद्दद नही मिलने पर तथा काम नहीं मिलने की आशा में हमलोगों के पास के सभी पैसे समाप्त हो गए बगल के दुकानदार ने भी रासन देने से मना कर दिया।ठीकेदार भी हाथ खड़ा कर यह कह दिया कि बिहार लौट जाए। अब हमलोगों के सामने कोई चारा नही था बस हमलोग पैदल ही 14 अप्रैल को चल दिये।
10 दिनों में 800 किलो मीटर की दूरी तय कर वैशाली जिले में पहुचा हूँ । कही खाना बैगरह मिला कि नही इस पर उनलोगों ने बताया कि कही प्रशासन कुछ दे दिया तो खा लिए नही तो खीरा, ककड़ी या रास्ते मे जो कुछ मिला खा कर पानी पी लिए रात दिन चलते रहे जब थक गए तो आराम कर लिया।आश्यचार्य कि बात है कि मध्य प्रदेश उत्तरप्रदेश होते हुए बिहार में प्रवेश कर गए लेकिन कही भी कोई रोक टोक करने बाला नही मिला और न ही कही जांच हुया ,है यूपी बिहार बाडर पर हाथ पर मुहर अबश्य लगाए गए और एक सादा कागज पर सबो का नाम लिख कर यह कहा गया कि यह जाने का परमिट है लेकिन उस कागज पर किसी पदाधिकारी का मुहर नही लगे है।पैदल ही इन मजदूरों ने अपने गाव पहुचने के आस में चलते चल रहे है।
दिलीप कुमार सिंह