19 मई : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

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20 से 30 मई तक के लिए ऑनलाइन क्लास का सिड्यूल हुआ जारी

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह की पहल पर स्नातकोत्तर एवं पीएचडी कोर्स वर्क के छात्रों के लिए आनलाईन लाईव वर्ग का तीसरा सिड्यूल आज जारी किया जा रहा है। 20 मई से 30 मई तक के इस सिड्यूल में कुल 51 वर्ग हैं जिनमें तीन वर्ग क्रमांक 48,49 एवं 50 पिछले सिड्यूल में संशोधन का है ,जिसका पूर्व-क्रमांक दाहिनी ओर दिया गया है।

ज्ञात हो कि पूर्व के दो सिड्यूल में 71 वर्ग थे एवं वर्तमान सिड्यूल में 48। तीनों को मिलाकर अब तक कुल 119 वर्गों का सिड्यूल जारी किया जा चुका है। 13 मई से लगातार सभी वर्ग निर्धारित समय सारणी के अनुसार लिए जा रहे हैं। छात्रों से अनुरोध है कि घर पर रहकर अपने विभागाध्यक्ष से गूगल मीट का लिंक प्राप्त कर वर्गों से लाभ उठावें।

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Live Lecture schedule 20 may to 30 may 20

छात्र कल्याण अध्यक्ष प्रो रतन कुमार चौधरी ने स्नातकोत्तर अध्यापन वाले महाविद्यालयों के छात्रों से अनुरोध किया है कि यदि वे भी अपने विषय का वर्ग करना चाहते हैं, तो सम्बन्धित स्नातकोत्तर विभाग के विभागाध्यक्ष से सम्पर्क करें। आनलाईन लेक्चर समिति के समन्वयक प्रो के के साहू ने कहा है कि कल तक कुछ और वर्गों के लिए विभागाध्यक्षों से प्राप्त होने की सम्भावना है जिस हेतु चतुर्थ सिड्यूल 21 मई को जारी किए जाएंगे।

कोरोना महामारी के नियंत्रण में संगीत की भूमिका विषयक वेबीनार आयोजित

दरभंगा : मानव जीवन को तनाव मुक्त एवं सुखमय बनाने में संगीत की अद्वितीय महत्ता है। मनोरंजन का सरल साधन संगीत हमें आत्मानुशासन भी सिखाता है। इसकी साधना से जीवन में एकाग्रता आती है जो अध्ययन- अध्यापन में काफी मददगार होती है। यह मानसिक बीमारियों की अचूक औषधि है जो अनिद्रा, बेचैनी,रक्तचाप हृदयरोग,डायबिटीज तथा हताशा-निराशा आदि विकारों में शारीरक व मानसिक संतुलन में सहायक है। उक्त बातें भारत विकास परिषद् की भारती-मंडन शाखा, दरभंगा के तत्वावधान में “कोरोना महामारी-नियंत्रण में संगीत की भूमिका” विषयक वेबीनार को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के ललित कला संकायाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण ने कहा।

उन्होंने कहा कि संगीत हमारी आंतरिक ऊर्जा को जागृत कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है,जिससे हमारा शरीर कोरोना वायरस आदि का आसानी से मुकाबला कर सकता है।आज वैज्ञानिक संगीत की आवृत्ति से कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में कार्य कर रहे हैं,जिसे कोरोना- संगीत कहते हैं। संगीत कला जन जागरूकता का एक सरल व सशक्त माध्यम है।

कोरोना नियंत्रण में इसकी शुरुआत 22 मार्च को आयोजित ‘जनता कर्फ्यू’ में हमने ताली,थाली, घंटी, शंख आदि बजाकर किया था। पुलिस प्रशासन तथा गायक,वादक व नर्तक आदि कोरोना के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने हेतु संगीत का सहारा ले रहे हैं। यह तनाव व दुःख को दूर कर हमरे जीवन में शान्ति,शक्ति तथा प्रेरणा का संचार करता है।लॉकडाउन में हम संगीत से न केवल आनंदित हो सकते हैं, बल्कि समय बिताने का भी यह एक बेहतर विकल्प है।

सेमिनार में पटना से रंभा कुमारी,दरभंगा से ललित कुमार झा, डा अंजू कुमारी,राजकुमार, प्रत्यूष नारायण,श्रीरमण अग्रवाल,डा आर एन चौरसिया,अनिल कुमार, दिल्ली से रिंकू चौधरी, समस्तीपुर से विनय कुमार दुबे,मधुबनी से मोनी कुमारी, सीतामढ़ी से दीपक पाठक, बेगूसराय से गुरु आनंद,छपरा से बबलू भगत,सहरसा से उपेंद्र चौधरी,खगरिया से दिवाकर कुमार आदि सहित 32 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। आगत अतिथियों का स्वागत आयोजक श्रीरमण अग्रवाल ने किया, जबकि भारती-मंडन शाखा के संयोजक डा आर एन चौरसिया के संचालन में आयोजित संगोष्ठी में धन्यवाद ज्ञापन शाखा के सदस्य ललित कुमार झा ने किया।

मुरारी ठाकुर

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