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17 नवंबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के छात्र-छात्राओं का परिचयात्मक सत्र आयोजित

दरभंगा : दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा सत्र जुलाई 2019 के स्नातक/ स्नातकोत्तर पुस्तकालय सूचना विज्ञान के छात्र/छात्राओं के परिचयात्मक सत्र का आयोजन आज प्रातः 10:30 बजे निदेशालय के निदेशक डॉ. सरदार अरविंद सिंह की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में किया गया। छात्रों को संबोधित करते हुए निदेशक ने कहा कि आज के सूचना प्रसारण के युग में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।

जहां आज के युग में हम बिना सूचना एवं संचार से अलग नहीं हो सकते वही सूचना एवं संचार ही आज की युग में सबसे ज्यादा तटस्थ ज्ञान की धाराओं से हमें जोड़ता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आप इसे महज एक डिग्री भर मत देखें, यह विषय इतना महत्वपूर्ण है कि बिना पुस्तकालय एवं सूचना तंत्र के हम अपने विषयों में पारंगत नहीं हो सकते। आधुनिक युग में आप इस विषय को सबसे जानकारीयुक्त विषय कह सकते है, क्योंकि की इस विषय मे जहां, पुस्तकालय, सूचना तथा विज्ञान भी है।

आगत अतिथियों का स्वागत सुबोध कुमार ने पुस्तक देकर किया तथा कार्यक्रम की रूप रेखा के विषय में बताया एवं छात्र/छात्राओं के प्रश्नों का समाधान किया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत करते उपनिदेशक डॉ. शंभू प्रसाद ने कहा कि आप इन विषयों को गंभीरतापूर्वक ले एवं यह आपके लिए सुनहरा अवसर भी है कि इस विषय के दो-दो जानकार को सुनकर आप लाभान्वित होंगे। परिचयात्मक सत्र से ही आपको इन विषयों की रूप-रेखा के विषय मे जानकारी प्राप्त हो सकती है। तकनीकी सत्र में मिल्लत महाविद्यालय, दरभंगा के शिक्षिका शहनाज बेगम ने  पुस्तकालय विज्ञान के द्वारा पुस्तकालय का संरक्षण किया जा सकता है इस पर छात्र/छात्राओं के बीच विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने पुस्तकाध्यक्ष के कार्यों को इंगित करते हुए कहा कि यह अमानतदार का काम है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तकों के मूल्य तो है ही उनसे अधिक उनमें निहित ज्ञान महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान है। जिसे आम जनमानस जो पुस्तको से लगाव रखते है के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि आप यदि पुस्तकों से प्रेम करते हैं तभी आप पुस्तकालय का भला कर सकते हैं साथ ही पुस्तकों का ज्ञान दूसरों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो कि एक सक्षम पुस्तकाध्यक्ष का कार्य होता है। उन्होंने पुस्तकालय कर्मियों के लिए कार्यक्षेत्र पर प्रकाश डाला जिसमें सूचना, सेवा, संरक्षण, संग्रह तथा संवर्धन आदि कार्य आते है। उन्होंने जोर देकर कार्यक्रम में कहा कि स्वयं को विकसित करने का यह सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसमे स्व-अधिगम के साथ-साथ परामर्श कक्षाएं भी आप लोगों के लिए सहायक हो सकती है। पठन-पठान से बच्चों को अवगत कराएं, आप पुस्तकों के प्रेमी बने तभी पुस्तकों का मूल्य निर्धारित कर पाएंगे।  वहीं तकनीकी सत्र में ही विश्ववविद्यालय के सूचना एवं पुस्तकालय विज्ञान के सहायक पुस्तकाध्यक्ष डॉ.  वीरेंद्र कुमार झा ने कहा कि पुस्तकालय विज्ञान का यह कार्यक्रम पढ़ाने की अपेक्षा मार्ग दर्शन का कार्यक्रम है। पुस्तकालय जहां पढ़ने के लिए पुस्तकें एकत्रीत की जाती है वहीं पुस्तको के साथ साथ पाठक एवं पुस्तकालय के जानकर कर्मचारी होते हैं जो हमे संबंधित किताबों की जानकारी तत्क्षण देते है। पुस्तक पाठक के लिए पाठक पुस्तकालय के लिए है कर्मचारी शैक्षणिक सेवा के लिए है और इस सेवा में कंप्यूटर का ज्ञान अति आवश्यक है एवं इसके अंतर्गत इंडेक्स, सारांश अनुवाद सेवा देनी होती है।  उन्होंने पुस्तकालय विज्ञान के सूचना के संदर्भ में कहा कि सूचना देने का विज्ञान ही सूचना विज्ञान है।  कार्यक्रम में स्नातक/स्नातकोत्तर सूचना विज्ञान में पूरे बिहार से आये काफी संख्या में छात्र/छात्राओं की सहभागिता रही। डॉ. झा ने इस विषय को रोजगार के क्षेत्रों में हो रहे उपयोग तथा पुस्तकालय के प्रकार यथा सर्वाजनिक पुस्तकालय, शैक्षणिक पुस्तकालय, विशेष पुस्तकालय तथा व्यक्तिगत पुस्तकालय के प्रकारों तथा कार्यो के विषय मे छात्र/छात्राओं को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यदि आप इस क्षेत्र के शिक्षक बनते है तो उतना ही आप आगे बढ़ेंगे। कार्य मे दक्ष होना ही मास्टरी है। आपको भावी समस्याओं से अवगत होना होगा। डॉ. झा ने कहा कि पुस्तकालय सर्वेक्षण द्वारा प्रायोगिक पक्षो को समझ सकते है वही वास्तविक रूप में सही अनुभव होगा।

कार्यक्रम के अंत मे डॉ. सुबोध कुमार ने छात्र/छात्राओं को विषय की रूप-रेखा  दतकार्य, परीक्षा पद्दति से परिचित करवाया एवं कार्यक्रम मेंआगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन भी किया।

मुरारी ठाकुर