17 मार्च : चंपारण की मुख्य ख़बरें

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चंपारण की मुख्य ख़बरें

कोरोना वायरस का असर विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप हुआ बंद

  • दर्शनार्थी को बैरंग लौटना पड़ा वापस

मोतिहारी : कोरोना वायरस से गंभीर बीमारी फैलने के खतरे की आशंका को देखते हुए जिले के केसरिया स्थित विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप पर पर्यटकों के आवागमन पर रोक लगाने की विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर कार्यवाही करते हुए स्तूप के मुख्य द्वार पर ताला आज जड़ दिया गया।

स्तूप के दर्शन पर 31 मार्च तक रोक लगाई गई है। ताकि कोई विदेशी पर्यटक व दर्शनार्थी से कोरोना वायरस के फैलाव को रोका जा सके अब गेट में तालाबंदी से बौद्ध स्तुप के दर्शनार्थियों पर पाबंदी लगा दी गई है।

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इस संबंध में  स्तूप परिसर के  गाईड सहिन्द्र यादव ने बताया कि फैल रही कोरोना वायरस जैसी गंभीर बिमारी से बचने के लिए यहां देशी और विदेशी पर्यटक के स्तूप परिसर में आने जाने पर रोक लगा दी गई है।

वहीं इस कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी और बचाव के लिए आसपास के लोगों को जागरूक करने का प्रशासनिक कवायद भी शुरू कर दी गई है। वही मंगलवार को गोपालगंज जिला से आये दर्शनार्थी रविरंजन पाण्डेय को भी इस कोरोना के कारण बैरंग वापस लौटना पड़ा। बताया कि मौजूद गाईड के द्वारा स्तूप परिसर मे जाने से रोका जा रहा है। वही विभागीय अधिकारियों के आदेशानुसार स्तूप परिसर के दर्शन पर आगामी 31 मार्च तक रोक लगा दी गई है।

सरकार कर रही लोगों के अधिकारों का हनन : सुभाष कुशवाहा

champaran news चंपारण : रालोसपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष कुशवाहा ने सोमवार को आयोजित किसान सम्मलेन में कहा कि बिहार सरकार द्वारा बेतिया राज द्वारा बंदोबस्त जमीन पर बरसों से जमाबंदी रसीद काटने पर जो रोक लगाई गई है, वह नाजायज तथा अधिकारों का हनन है।

आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से सारे स्टेट को सरकार में मर्ज करा दिया  गया था। राजाओं को उसका मुआवजा दिया और उसके बाद सभी स्टेट्स के द्वारा भूमि का रिटर्न करेक्शन खतियान फाइल बनाकर प्रत्येक जिले को दिया गया। जिसके आधार पर जमाबंदी कायम की गई। और वही जमाबंदी आज भी कायम है। जो कुछ छूटा था उसे भी बाद में ठीक कर लिया गया।

मोतिहारी क्षेत्र बेतिया राज के क्षेत्र में आता है और बेतिया राज के द्वारा जो भी जमीन का कागजात जिले को रिटर्न में दिया गया उसी आधार पर राजस्व कागजात बना और सभी को स्वामित्व दिया गया।

लेकिन, आजादी के 70 वर्षों के बाद इस सरकार ने लोगों के अधिकार का हनन किया और फिलहाल उस जमीन की खरीद बिक्री एवं रसीद काटने पर रोक लगा दी, जो कहीं से भी सही नहीं है। रलोसपा इसका कड़े शब्दों में विरोध करती हैं और सरकार से मांग करती हैं कि जल्द से जल्द अपने आदेश को वापस ले और पूर्व की तरह सभी किसान अपनी जमीन का रसीद कटवा सके एवं सभी  व्यवधान समाप्त हो।

श्री कुशवाहा जिले के चकिया में किसान प्रकोष्ठ के जिला सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बिहार सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार तानाशाही रवैया छोड़ दें और अपने उस अध्यादेश को वापस ले जिससे किसान आज परेशान हो रहे हैं।

वे तीन सूत्री मांगों को भी रखा जिसमें केसीसी ऋण योजना तथा पूर्व की तरह फसल बीमा लागू करना था। कहा कि वर्तमान फसल बीमा काफी त्रुटिपूर्ण है और उससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है। पूरे प्रदेश में आज भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता सब कुछ देख और भुगत रही है।

शिक्षा के गिरते स्तर पर सुभाष कुशवाहा ने चिंता व्यक्त की और कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना ही चाहिये, लेकिन गुणवत्ता भी सही होनी चाहिए। शिक्षकों को सिर्फ शिक्षण के कार्य में ही लगाया जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष किसान रालोसपा संजय कुमार ने की। मौके पर मे यादोलाल पासवान, गणेश कुशवाहा, विकाश साहनी, अशोक साहनी, प्रमोद कुशवाहा, चंद्रिका साहनी, नरेश भगत, नंदू बैठा, गुड्डू बैठा, धनिलाल महतो आदि किसान मौजूद रहे।

राजन दत्त द्विवेदी

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