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सामान्य धर्मों का पालन हितकर : डॉ झा

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय एवं श्यामा मन्दिर न्यास समिति के संयुक्त तत्वावधान में विविध धर्म व अध्यात्म विषय पर जारी दस दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह के आधार पुरुष राष्ट्रपति पुस्कार से सम्मानित पूर्व कुलपति एवम ज्योतिष के विद्वान डॉ रामचन्द्र झा ने सोमवार को कहा कि वैसे तो विश्व मे अनगिनत धर्म हैं।सभी धार्मों के बारे में गहन अध्ययन से कुछ मामलों में संशय भी उतपन्न होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। इसलिए मूल रूप से सामान्य धर्मों का पालन ही हितकर होता है। व्यवहारिक रूप से मानव धर्म, पशु धर्म एवं रावण धर्म की चर्चा होती है। अपने सम्बोधन में डॉ झा ने अहिंसा, दया, सत्य वचन व कर्म, धैर्य, दम, निग्रह, शुचि एवं चोरी से परहेज को सामान्य धर्म की श्रेणी में रखा और इसे हर सम्भव अपने जीवन मे पालन करने को कहा। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि पूर्व कुलपति डॉ झा ने कुल मिलाकर 40 तरह के संस्कारों को धारण करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अब बदलते जमाने मे इन संस्कारों में कमी देखी जा रही है। साथ ही उन्होंने इन संस्कारों से ज्यादा महत्वपूर्ण आत्म गुणों को बताया। दया, शांति, क्षमा, सन्तोष यानी ईर्ष्या न करना, मंगल कार्य अतमगुणों की श्रेणी में आते हैं। डॉ झा के अनुसार इस गुणों के कारण ही मानव मोक्ष पाता है।

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि इंद्रियों का निग्रह बेहद जरूरी है। इसके बिना आजकल समाज मे अव्यवस्था एवं अराजकता हो गयी है। उन्होंने खुलासा किया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की शुरुआत हुई थी। इसलिए आज का दिन ऐतिहासिक है। इस अवसर पर माँ शक्ति की आराधना की परंपरा रही है।

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मौके पर न्यास समिति के उपाध्यक्ष मैथिली कवि कमलाकांत झा ने भी विचार रखे। उन्होंने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ चौधरी हेमचन्द्र राय के मंच संचालन किया और कार्यक्रम समाप्ति के समय प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिए गए। मुख्य रूप से कार्यक्रम के संयोजक धर्मशास्त्र के प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी, प्रो0 पुरेन्द्र वारिक एवं प्रो0 दिलीप कुमार झा के अलावा डॉ रमेश झा, डॉ नन्दकिशोर चौधरी, चन्द्रशेखर झा, डॉ राजेश्वर पासवान, दयाकान्त मिश्र, विनोद कुमार समेत कई भक्तजन मौजूद थे।

मुरारी ठाकुर

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