03 जून : आरा की मुख्य खबरें

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आरा की मुख्य ख़बरें

पथ निर्माण विभाग बिहार सरकार द्वारा निर्मित बिहार पथ संधारण ऐप के संबंध में जागरूकता

आरा : बिहार पथ संधारण एप से क्षतिग्रस्त सडकों की शिकायत आम नागरिक कर सकेंगे| सर्वोच्च न्यायालय की सड़क सुरक्षा पर गठित समिति से प्राप्त निर्देश के आलोक में मंत्री परिवहन विभाग सह अध्यक्ष बिहार सड़क सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा पर किए जा रहे कार्यों की समीक्षात्मक बैठक गत सप्ताह आयोजित की गई थी।

उक्त बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रतिनिधि द्वारा बिहार पथ संधारण एप की जानकारी दी गई। इस ऐप के माध्यम से क्षतिग्रस्त सड़कों की शिकायत ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है। इस ऐप पर क्षतिग्रस्त सड़कों का सही स्थल दर्द होने से पथ निर्माण विभाग द्वारा इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन भोजपुर द्वारा सभी जिले वासियों से इस ऐप के संबंध में जागरूकता फैलाने की अपील की जाती है।

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भोजपुरी चित्रकल के सम्मान के लिए हस्ताक्षर अभियान

आरा : भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा ने आज आरा रेलवे स्टेशन पर भोजपुरी चित्रकला को सम्मान और स्थान दिलाने के लिए दो दिवसीय हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की। ज्ञातव्य है कि पूर्व मध्य रेलवे भोजपुरी भाषी क्षेत्र आरा के रेलवे स्टेशन परिसर में चारों तरफ़ मधुबनी चित्रकला का अंकन करवा रहा है| स्थानीय संस्थ,कलाकार एवं बुद्धिजीवी इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं|

भोजपुरी भाषी क्षेत्र में स्थानीय संस्कृति की उपेक्षा कर दूसरी संस्कृति को महत्व देना, स्थानीय संस्कृति का अपमान है। मोर्चा से जुड़े सभी सदस्यों का कहना है कि हमारा विरोध मधुबनी चित्रकला से नहीं अपितु भोजपुरी भाषी रेलवे स्टेशनों पर भोजपुरी चित्रकला को स्थान और अवसर नहीं मिलने से है। अगर दो दिवसीय हस्ताक्षर अभियान के बाद भी रेलवे प्रशासन भोजपुरी चित्रकला को अवसर नहीं देता तो परसों से ही चरणबद्ध आंदोलन चला कर आरा रेलवे स्टेशन पर मधुबनी चित्रकला का अंकन रोक दिया जाएगा।

स्थानीय महिलाओं ने भी कलाकारों, संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों के संघर्ष में कंधा से कंधा मिलाकर साथ देने की बात कही। स्थानीय रेलयात्रियों एवं युवाओं में तो जबरदस्त आक्रोश दीख रहा था। साथ ही स्थानीय जन प्रतिनिधियों का मुद्दे पर सहयोग नहीं मिलने से भी लोगों में गुस्सा दीख रहा है।।उन्होंने कहा कि मोर्चा द्वारा जब भी कहा जायेगा हम उग्र आंदोलन के लिए भी तैयार हैं।

बहुत सारे भोजपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के रेल यात्रियों ने यह कहा कि हम अपनी संस्कृति को सम्मान दिलाने के लिए हर संघर्ष के लिए तैयार हैं। यह अत्यंत दुःखद और शर्मनाक है कि भोजपुरी चित्रकला को आरा में ही अवसर नहीं मिल रहा है।आज के पूरे हस्ताक्षर अभियान के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया और इसको सफल बनाने में नाट्यकर्मी अशोक मानव, कृष्णेन्दु, शमशाद प्रेम, चित्रकार रौशन राय, कमलेश कुंदन, सामाजिक कार्यकर्ता विजय मेहता, सुनील पांडेय ,कमलदीप कुमार, अमरेंद्र कुमार, संजय सिंह, पत्रकार डब्ल्यू कुमार, ओम प्रकाश पाण्डेय, भास्कर मिश्र ने उल्लेखनीय योगदान दिया।

प्रेमी युगल ने आलिंगनबद्ध हो नदी में लगाई छलांग

आरा : भोजपुर जिले के कोईलवर सोन नदी पर बने नए सिक्सलेन रोड ब्रिज से प्रेमी युगल ने आलिंगनबद्ध हो कर सोन नद में बुधवार की शाम छलांग लगा आत्म ह्त्या कर ली| स्थानीय लोगों ने बताया कि कोईलवर थानान्तर्गत सिक्सलेन ब्रिज के पश्चिमी भाग से प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे की बाहों में बांह डाल सोन नदी में कूद गए। जिन्हें नदी के किनारे पर टहलने वाले लोगों ने देखा। परंतु अंधेरे में यह मालूम नहीं हो सका की प्रेमी युगल कौन थे और कहा के रहनेवाले थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नवनिर्मित सिक्सलेन ब्रिज के पश्चिमी भाग से प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे के बाहों में बांह डाल सोन नदी में कूद गए। सोन नदी के तेज धारा में दोनों बहते चले गए। इस घटना की चर्चा लोगो ने आपस मे करनी शुरू दी कि प्रेमी युगल कौन थे और कहां से आये थे और उन्होंने किस कारण से इस तरह का कदम उठाया। पुलिस मामले की छान बीन कर रही है|

दूकान बंद रहने पर भी भी बिजली बिल का करंट

आरा : कोरोना महामारी को लेकर लगे लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर करीब एक माह तक सभी तरह की दुकानें बंद रहीं| बावजूद इसमें बिजली विभाग ने दुकानदारों को बिजली बिल का करंट लगा दिया है। मई माह में बिजली का बिल पुराने बिल के समान या उससे अधिक आने से दुकानदार उपभोक्ता काफी परेशान हैं जबकि पुरे महीने दुकाने बंद थी और कोई बिजली की खपत नही हुयी थी।

दुकानदारों का कहना कहना है कि उन्हें बिजली के बढ़े बिल से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पूरे लॉकडाउन में दुकानें बंद रहीं, लेकिन बिजली बिल में कोई कमी नहीं हुई। पहले के बिलिंग के आधार बिल का मैसेज आ गया। ऐसे में उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि अब वे क्या करें। वहीं कुछ दुकानदारों का कहना है कि पहले की बिलिंग से भी अधिक बिल थमा दिया गया है। लोगों ने इसकी शिकायत भी की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लोगों का यह भी कहना है कि इस घड़ी में ज्यादा बिल भेजकर उनका शोषण किया जा रहा है।

मालूम हो कि लॉकडाउन में जहां लोग कोरोना संक्रमण की बीमारी से बचने के लिए जद्दोजहद कर रहे, वहीं बिजली के बढ़े हुए बिल से लोगों खासकर दुकानदारों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। लोग कोरोना के डर से बढे बिजली बिल की शिकायत करने बिजली विभाग के ऑफिस नहीं जा रहे हैं। उनकी शिकायतें भी कोई सुन नहीं रहा है। वहीं बिजली विभाग जल्द बिजली बिल जमा करने का दवाब बना रहा है।

बता दें कि लॉक डाउन और उसके पूर्व से कई प्रकार की दुकानें बंद थीं। इससे बिजली की खपत भी नहीं रही, लेकिन जब बिल आया तो पहले जैसा। वहीं कुछ लोगों का अधिक बिल आ गया। मीटर की रीडिंग नहीं कर अनुमान के आधार पर बिल का मैसेज भेज दिया गया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण को ले लागू लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद अगर मीटर की रीडिंग होती है तो और अधिक बिल आएगा। इनका कहना है कि रीडिंग से स्लैब बदल जायेगा। इस कारण बिजली दर बढ़ जायेगी। लॉकडाउन की अवधि का बिजली बिल का मासिक शुल्क भी माफ किया जाना चाहिए।

पकड़ी के कपड़ा दुकानदार राजू कुमार ने बताया कि लगभग एक माह से दुकान बंद रही। इसके पहले सप्ताह में तीन दिन दुकानें खुल रही थीं। वहीं टाइमिंग फिक्स थी। उतनी बिजली खपत नहीं हुई जितनी होनी थी, लेकिन बिजली का बिल रीडिंग नहीं कर पुराने बिल के अनुसार भेज दिया गया। अब समझ में नहीं आ रहा कि वे करें तो क्या करें, क्योंकि दुकानें बंद रहने से काफी नुकसान पहुंचा है।

नवादा के मोबाइल दुकानदार सोहन कुमार ने बताया कि बिजली विभाग को चाहिए कि जो दुकानें बंद हैं, उनका बिल माफ़ कर दिया जाये, लेकिन ऐसा नहीं कर पुराने बिल के आधार पर मैसेज भेज दिया गया है। जेल रोड के संजय जैन को 692 रुपये का बिल आया है। पिछले माह भी कमोबेश इतने का ही बिल था। दुकान बंद रहने से पहले ही नुकसान है और अब बिजली बिल का झटका लगा है। हालांकि उन्होंने मोबाइल पर शिकायत की है तो सुधारने का आश्वासन दिया गया है।

अविनाश कुमार एस ई ने बताया कि जब भी किसी वजह से बिलिंग बंद है तो उपभोक्ताओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। लॉकडाउन है और दुकानें बंद हैं तो पिछले माह की खपत के आधार पर प्रोविजनल बिल बनता है। जब दुकानें खुलेंगी तो रीडिंग के आधार पर फाइनल बिल बनेगा और उसी हिसाब से बिल देना पड़ेगा। सॉफ्टवेयर ऐसा ही कर बिजली बिल देगा। इससे उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।

जांच समिति को सहयोग नही करना तथा अभद्र भाषा का प्रयोग पड़ा महँगा

आरा : वित्तीय तथा प्रशासनिक अनियमितता के गंभीर आरोपों की जांच के लिए राजभवन से आई जांच समिति को सहयोग नही करना वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी को महँगा पड़ गया है| राजभवन ने उनके खिलाफ एक्शन लेते हुए जांच पूरी होने तक उन्हें अनिवार्य अवकाश पर भेजते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद को वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार सौपा है।

कुलाधिपति सह राज्यपाल के सचिव रोबर्ट एल चोंग्धू ने वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजे गये पत्र में कुलपति पर विभिन्न पक्षों द्वारा वित्तीं एवं प्रशासनिक अनियमितता सम्बंधित लगाए गये आरोप को गंभीर माना है| राज्यभवन कार्यालय ने आरोपों की जांच के लिए ललित नारायण मिश्र विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति सुरेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में दो सदस्यीय जांच समिति गठित की| जांच समिति इस वर्ष 21 मार्च को जांच के लिए वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय पहुंची पर वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति देवी प्रसाद तिवारी ने समिति के सदस्यों को जूनियर बताते हुए उनके साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया तथा जांच समिति को जांच करने नही दिया|

उनके निर्देश पर ही उनके अधिकारी तथा दूसरे कर्मचारियों ने भी कोई अभिलेख उपलब्ध नही कराया| जांच समिति ने बिना जांच के राजभवन लौट पूरी घटना से राजभवन कार्यालय को अवगत कराया| तब राजभवन ने कुलपति से अप्रैल 9, 2021 को स्पष्टीकरण की मांग की| कुलपति ने अप्रैल 15, 2021 को स्पष्टीकरण का स्पष्ट जवाब देने की जगह जांच समिति के सदस्यों पर भी तथ्याहीन, मिथ्या, भ्रामक, दुर्भावनापूर्ण तथा अनुशासनहीन जबाब दिया जिसे राजभवन ने इसे गंभीरता से लेते हुए वीर कुअर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति देवी प्रसाद तिवारी को अनिवार्य अवकाश पर भेजते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद को जांच पूरी होने तक अतिरिक्त प्रभार सौपा है।

राजभवन के आदेश में कहा गया कि कुलाधिपति की ओर से गठित जांच समिति को जांच करने से रोकना व व्यवधान उत्पन्न करना गंभीर आरोप है। ऐसी विषम परिस्थितियों में आपका यह आचरण घोर निंदनीय, अमर्यादित एवं पूर्ण अनुशासनहीनता का स्पष्ट द्योतक है। साथ ही यह बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (अधतन संशोधित) के उपबंधों को विफल करने का कुप्रयास परिलक्षित होता है। कुलपति को दिये गये आदेश में कहा गया है कि आपके उक्त आचरण से स्पष्ट होता है कि आप अपने ऊपर लगाये गये सभी गंभीर आरोपों की जांच नहीं होने देना चाहते हैं जो अत्यंत आपत्तिजनक है।

इसके मद्देनजर बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 (अद्यतन संशोधित) की धारा- 10 (3) एवं 11 में प्रदत्त शक्तियों एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुरूप न्याय के हित में जांच समिति को बिना किसी भय या व्यवधान के निष्पक्ष जांच पूर्ण करने के लिए कुलाधिपति द्वारा वीकेएसयू के कुलपति को अनिवार्य अवकाश पर जाने और मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेंद्र प्रसाद को वीकेएसयू के कुलपति को अतिरिक्त प्रभार का आदेश दिया गया है।

कुलपति प्रो तिवारी पर एमएलसी संजीव श्याम सिंह, पूर्व विधायक अनवर आलम, अजय शंकर सिंह और अधिवक्ता सुजीत कुमार मिश्रा ने वित्तीय तथा प्रशासनिक नियमितता के कई आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत राजभवन से की थी। वीसी पर लगे आरोप और उन्हें हटाने की मांग का मुद्दा विधानसभा और विधान परिषद में भी उठा था। पांच मार्च को वीसी की नियुक्ति को लेकर बिहार विधान परिषद में सवाल खड़ा हुआ था। विधान परिषद सदस्य संजीव श्याम सिंह ने कुलपति की नियुक्ति और उनके ऊपर कई आरोप लगाते हुए सदन में ध्यानाकर्षण के जरिए यह मामला उठाया था।

विवि के कुलपति के ऊपर लखनऊ विश्वविद्यालय में रहते हुए वित्तीय अनियमितता समेत अन्य तरह के कई आरोप लगाये गये हैं। सदस्य ने सदन में कहा था कि कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय में जांच का सामना कर रहे हैं। इसके बावजूद बिहार में उन्हें वीर कुंवर सिंह विवि का कुलपति बनाया गया है। उन्होंने सदन में सरकार से जवाब की मांग की। हालांकि सदस्य के सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा था कि विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति और उनसे संबंधित मामलों को कुलाधिपति सह राज्यपाल देखते हैं। राजभवन ने इस मामले को लेकर कमेटी का गठन किया है।

एमएलसी संजीव श्याम सिंह ने कहा था कि वीसी पहले लखनऊ विवि में कार्यरत थे, जहां से उन्हें अवैतनिक असाधारण अवकाश स्वीकृत नहीं है। इनका लियन स्थगित है। इस लिहाज से विवि में कुलपति नहीं रह सकते। वहीं सरकार के निर्देश के अनुसार विवि में खरीदारी जैम पोर्टल से करनी है, जबकि विवि प्रशासन ने इसका उल्लंघन कर आठ लाख कॉपियों की खरीदारी की है। सरकार के निर्देश के विपरीत विवि में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति व उनका वेतन भुगतान आउटसोर्सिंग के माध्यम से किया जा रहा है। विवि में विगत 19 सितंबर 2020 को संपन्न हुई सिडिंकेट की बैठक के विचारणीय विषय के क्रम संख्या तीन और नौ पर दर्ज कार्यवृत्त के साथ छेड़छाड़ की गई है, जबकि अन्य शिकायतकर्ताओं ने लखनऊ विवि में इनके द्वारा की गयी अनियमितता का आरोप लगाया था।

इस मामले पर विवि में कई तरह की चर्चा रही। वीसी पर राजभवन की कार्रवाई को पिछले दिनों प्रभारी कुलसचिव डॉ धीरेंद्र प्रसाद सिंह से किये गये शोकॉज से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बहरहाल मामला जो भी हो, इस मामले से कुछ पक्ष खुश तो कुछ निराश हैं। विवि में सन्नाटा रहा है। मालूम हो कि कुलसचिव ने मांगे गये शोकॉज का भी जवाब दे दिया है। उन्होंने आरोप को सिरे से अपने जवाब में ख़ारिज कर दिया है।

राजीव एन अग्रवाल की रिपोर्ट

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