पटना : आज़ादी के बाद पत्रकारिता की दुनिया में पारसनाथ तिवारी के योगदान को हमेशा याद किया जायेगा। उनका जुझारूपन, गरीबों और मजदूरों के लिए आवाज़ उठाने का तरीका हमेशा याद आएगा। उनके लिए पत्रकारिता का मतलब था आम लोगों की आवाज़ को सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचाना। वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत ओझा ने अमृतवर्षा अखबार के संपादक पारसनाथ तिवारी की प्रथम पुण्यतिथि पर उक्त बातें कही। अन्य वक्ताओं ने कहा कि कई पत्रकारों को उनके साथ काम करने का मौका मिला। जब पत्रकारिता के प्रशिक्षण के लिए कोई संस्था नहीं थी, उस दौर में उन्होंने कई लोगों को पत्रकारिता सिखाई। उनके सिखाये पत्रकार आज बड़े-बड़े पदों पर काम कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अजय शुक्ल ने कहा कि बाबा ने हमेशा पत्रकारिता की गरिमा बनाये रखी और हमेशा उसी पर चलते रहे। लेकिन उनके समय पत्रकारिता का जो स्तर था वो आज नहीं है। उसमें गिरवाट आई है। बरिष्ठ पत्रकार देवव्रत जी ने कहा कि बाबा पत्रकार जगत के धरोहर थे। उन्होंने ही मुझे पत्रकारिता सिखाई और न जाने कितने लोग उनसे पत्रकारिता सीखकर अपना जीवन यापन चला रहे हैं। संजय जयसवाल ने कहा कि उन पर कितने हमले हुए फिर भी सत्य से नहीं डिगे और अपने कलम की ताकत का इस्तेमाल करते रहे। जंगलराज में भी उनकी कलम, उनकी सत्यता निर्बाध गति से चलती रही। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि पत्रकारिता के तीन स्वरूप हैं मिशन, एम्बिशन, और प्रोफेशन। लेकिन बाबा ने इसे हमेशा मिशन के तौर पर ही लिया।
आईएएस अमिताभ वर्मा ने कहा कि मेरे उनके संबंध 1970 से ही रहे हैं। उनके समकालीन जितने भी पत्रकार थे सब के पास घर, गाड़ी और पैसे थे। जबकि तिवारी जी चाहते तो ये उनके लिए बड़ी बात नहीं थी। उनके संबंध जननायक कर्पूरी ठाकुर से थे और भी सत्त्ता में बैठे शीर्ष के नेताओं से उनके संबंध रहे थे। फिर भी वो अपने सिद्धांतों पर ही चलते रहे। ऐसे थे पारसनाथ तिवारी
विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार ने कहा कि बाबा एक जुझारू पत्रकार थे। उनकी श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारों के हित की बात नहीं करूंगा तो ये अन्याय होगा। उन्होंने पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के लिए पत्रकार बिना पैसे के मजदूर हैं। प्रबंधन उन्हें इस्तेमाल करता है और फिर छोड़ देता है। पत्रकारों के लिए यहां संकट की बात उत्पन्न हो जाती है। इसलिए पत्रकारों को हर हाल में पेंशन मिलना ही चाहिए। इसके लिए हम संघर्ष करने को तैयार हैं। यही पारसनाथ तिवारी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मानस दुबे
Swatva Samachar
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