27 अप्रैल : सारण की मुख्य खबरें

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1 अप्रैल 2021 से पूर्व निर्णयानुसार वेतन में 15% की वृद्धि होना सुनिश्चित

छपरा : सारण जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के अनुमंडल सचिव सुजीत कुमार ने बताया कि जिला परिषद्, नगर निगम, नगर परिषद् और नगर पंचायत के तहत कार्यरत सभी माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों का वित्तीय वर्ष 2021-22 का वेतन भुगतान हेतु राशि का आवंटन ( सहायक अनुदान) की स्वीकृति / राशि की विमुक्ति एवं व्यय की स्वीकृति शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के द्वारा ज्ञापांक -01 दिनांक 27 अप्रैल, 2021 को कर दिया गया। RMSA के अधीन नियुक्त माध्यमिक शिक्षकों के लिए भी एक साथ राशि आवंटित की गई है।

ज्ञातव्य है कि 1 अप्रैल 2021 से पूर्व निर्णयानुसार वेतन में 15% की वृद्धि होना सुनिश्चित है, लेकिन वेतन निर्धारण एवं संबंधित अन्य विभागीय दिशा -निर्देश प्राप्त होने तक वर्तमान दर से वेतन भुगतान होगा। सारण जिला अंतर्गत कुल राशि एक अरब 8 करोड़ 86 लाख 33 हजार एक सौ तीन रुपए जिसमे जिला परिषद् को 90 करोड़ 18 लाख 73हजार987, नगर निगम/ नगर परिषद को 9 करोड़ 57 लाख 59हजार116 तथा नगर पंचायतों के लिए 9 करोड़ 10 लाख की राशि आवंटित की गई है।

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वेतन भुगतान हेतु राशि विमुक्त होने पर प्रखंड सचिव माझी जितेंद्र राम मनोज कुमार अरविंद यादव सत्येंद्र चौधरी आशुतोष मिश्रा राजेश सिंह चुन्नू सिंह रवि रंजन सिंह इकबाल अंसारी तौकीर अहमद इत्यादि शिक्षकों ने माननीय अध्यक्ष सह एमएलसी केदारनाथ पांडे को धन्यवाद ज्ञापित किया।

संक्रमण की रोकथाम व मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत

छपरा : जिले में कोविड 19 संक्रमण की रोकथाम व मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है। अब जिले में कोरोना के मरीजों के लिए निजी एम्बुलेंस रखने का निर्णय लिया गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार दवारा पत्र के माध्यम से जारी निर्देश में इस बात की चर्चा करते हुए कहा गया है कि जुलाई 2020 में कोविड 19 वैश्विक महामारी के मददेनजर दैनिक भाड़े पर आवश्यकतानुसार सभी जिलों में निजी एंबुलेंस रखने के लिए निर्देशित किया गया था। इस सेवा का विस्तार दिसंबर 2020 तक किया गया था।

वर्तमान में संपूर्ण राज्य में कोविड 19 वैश्विक महामारी का व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है। इस वजह से निजी एंबुलेंस के सेवा विस्तार के आदेश की अवधि को विस्तार किया जाना जरूरी है। अतः दैनिक भाड़े पर आवश्यकतानुसार सभी जिलों में निजी एंबुलेंस रखने की इस अवधि को वर्ष 2021 के जून माह तक विस्तारित किया जाता है। साथ ही पूर्व में जारी निर्देश को यथावत रखने का आदेश है।

कोविड 19 वैश्विक महामारी के ध्यान में रखते हुए दैनिक भाड़े पर आवश्यकतानुसार निजी एंबुलेंस को किराये पर रखने से संबंधित निर्गत आदेश की अवधि विस्तार करने के संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश दिये हैं।

निर्धारित दर पर शव वाहन या निजी एंबुलेंस का होगा परिचालन :

सिविल सर्जन डॉ जनार्दन प्रसाद सुकुमार ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने नियमानुकूल निर्धारित दर पर आवश्यकतानुसार सभी जिलों में निजी एंबुलेंस एवं एंव शव वाहन को किराये पर रखने के संबंध में आदेश जारी करते हुए यह भी कहा है कि वित्तीय नियमावली के आलोक में स्थानीय स्तर पर नियमानुसार दर निर्धारित कर 30 जून तक के लिए आवश्यकतानुसार सभी जिलों में निजी एंबुलेंस या शव वाहन किराये पर रखना सुनिश्चित करें। ताकि आमलोंगों को ससमय एंबुलेंस या शव वाहन सेवा उपलब्ध करायी जा सके।

इसके साथ ही मेडिकल काॅलेज अस्पताल के अधीक्षक को कहा गया है कि आवश्यकतानुसार पांच शव वाहन किराये पर रखना सुनिश्चित करें। निजी एंबुलेस या शव वाहन पर होने वाले परिचालन व्यय का भुगतान नेशनल हेल्थ मिशन के वित्तीय नियमावली के तहत किया जायेगा तथा राशि की कमी होने की स्थिति में तत्काल राशि उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार को सूचित किये जाने के लिए कहा गया है।

निजी एंबुलेंस को लेकर इन बातों का रखना है ध्यान :

भाड़े पर निजी एंबुलेंस रखते समय इस बात का ध्यान रखने के लिए कहा गया कि 102 एंबुलेंस सेवा के तहत जिले में परिचालित एंबुलेंस का उपयोग तथा प्रति एंबुलेंस प्रतिदिन औसत ट्रिप कम नहीं हो। भाड़े पर रखे जाने वाले निजी एंबुलेंस का लाॅग बुक विधिवत संधारित किया जायेगा। साथ ही लाॅग बुक में की गयी प्रविष्टि पर रोगी अथवा रोगी के अभिभावक तथा संबंधित सिविल सर्जन दवारा प्राधिकृत पदाधिकारी का हस्ताक्षर भी कराया जाना अनिवार्य होगा।

रेमडेसिविर एक प्रयोगात्मक इंजेक्शन है यह सामान्य मामलों के लिए नहीं

छपरा : कोविड 19 की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। वहीं इससे बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहे टीकाकरण को अहम माना गया है। बावजूद इसके कई लोग कोविड से बचाव के लिए दवाओं व इंजेक्शन की जानकारी लेकर अपना इलाज स्वयं कर रहे हैं. इनमें एक इंजेक्शन रेमडेसिविर का नाम लोगों के बीच प्रचलित है। लोग संक्रमण से बचने के लिए इस दवा को बहुत अधिक जरूरी मान रहे हैं।

लेकिन उन्हें इसके सही इस्तेमाल की जानकारी होनी जरूरी है। ध्यान रहे कि वर्तमान में कोविड संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक टीकाकरण सरकार द्वारा ही विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराया गया है। निजी स्वास्थ्य संस्थानों में भी यह कार्य स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में चल रहा है. रेमडेसिविर को लेकर यह जानकारी होनी आवश्यक है कि इसका इस्तेमाल विशेष परिस्थिति में ही किया जाता है अन्यथा यह घातक सिद्ध हो सकता है। इस दिशा में नीति आयोग के स्वास्थ्य ईकाई के सदस्य डॉ वीके पॉल ने आवश्यक सलाह व निर्देश भी दिये हैं।

चिकित्सकों की निगरानी में ही दी जानी है इंजेक्शन :

कोविड संक्रमण के इलाज व बचाव को लेकर लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश में है। वहीं इस इंजेक्शन के कालाबाजारी होने की भी बातें सामने आयी है. लेकिन इस दवा के सही और तर्कसंगत इस्तेमाल को समझना तथा इसके गलत इस्तेमाल से बचना पूर्णत: जरूरी है। डॉ वीके पॉल ने यह सलाह दी है कि रेमडेसिविर एक एंटी वायरल ड्रग है। इस पर काफी अध्ययन किये गये हैं। और इस आधार पर भारत के नेशनल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में चिन्हित किया गया है। प्रोटोकॉल में इसके इस्तेमाल की पूरी जानकारी दी गयी है।

रेमडेसिविर एक प्रयोगात्मक इंजेक्शन है और यह सामान्य मामलों में नहीं दिया जाता है. इस इंजेक्शन के विशेष आपात स्थिति में इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है। रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल विशेष परिस्थिति में अस्पतालों में ही चिकित्सकों की निगरानी में दिया जाता है। अस्पतालों में भरती कराये गये मरीज, जो ऑक्सीजन पर है और बीमार है, उन्हें यह चिकित्सकों की विशेष निगरानी में दिया जाता है. होम आईसोलेशन में रह रहे कोविड मरीज को इसे लगाने से पूरी तरह मना किया गया है। इस इंजेक्शन को अस्पतालों में ही आपूर्ति किया जाना है। उन्होंने अपील किया है कि इस इंजेक्शन का तर्कसंगत इस्तेमाल किया जाये. बिना किसी कारण अथवा बिना आपातकालीन स्थिति में रेमडेसिविर का इस्तेमाल घातक साबित हो सकता है।

मंत्रालय की पुष्टि के बाद ही इंजेक्शन का करें इस्तेमाल :

रेमडेसिविर एंटी वायरल दवा को हेपटाइटिस सी के इलाज के लिए बनाया गया था। लेकिन इबोला वायरस काल में तथा श्वसन संबंधी गंभीर समस्या वाले मामले में इस इंजेक्शन का उपयोग बढ़ा था। बीते साल कोविड की शुरूआत के साथ ही इस इंजेक्शन को संक्रमण के इलाज के लिए शुरूआती दवाओं में शामिल किया गया था। वर्तमान में संक्रमण की संख्या में इजाफा के कारण इस इंजेक्शन की मांग बढ़ी है। कोविड संबंधी दवा या उपचार को लेकर या ऐसे किसी प्रकार की इंजेक्शन के इस्तेमाल से पूर्व मंत्रालय द्वारा जारी की गयी टॉल नंबर पर पहले जानकारी लें। पुष्टि के बाद ही दवा का इस्तेमाल किया जाना सही है।

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