नवादा : जिले के 38 परीक्षा केंद्रों पर सोमवार को इंटरमीडिएट परीक्षा आरंभ हुई ।बाहर कङाई अंदर ढ़ीलाई के तर्ज पर परीक्षा संपन्न कराया गया। वही परीक्षा केंद्र के मुख्य द्वार पर कोविड-19 की जमकर धज्जियां उड़ती देखी गई। अधिकांश छात्राओं के पास मास्क नहीं थे। तो सामाजिक दूरियों का भी पालन नहीं कराया गया।
इंटरमीडिएट परीक्षा के पूर्व दंडाधिकारिओं व पुलिस अधिकारियों की ब्रीफिंग में डीएम ने साफ तौर पर कहा था कि परीक्षा के दौरान कोविड-19 गाइड लाइन का शत-प्रतिशत पालन किया जाना है।लेकिन दुखद बात यह है कि नवादा के गांधी इंटर स्कूल परीक्षा केंद्र पर जांच के दौरान छात्राओं को कतार बद्ध होने की जगह भीड़ की शक्ल में रखी गई। एक दूसरे से सटे होने के कारण कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। कुछ छात्रों को मास्क नहीं लगाए देखा गया ,जो निश्चित तौर पर परीक्षा व्यवस्था में खामियों की पोल खोल रही है।
मीडिया कर्मियों को परीक्षा केंद्र में जाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। लेकिन इतना सही है कि बाहर कङाई अंदर ढिलाई के तर्ज पर परीक्षा का संचालन किया जा रहा है। परीक्षा केंद्रों के अंदर ढिलाई की पोल ना खुल जाए। यही वजह है कि मीडिया कर्मियों को अंदर घुसने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जबकि बरसों पूर्व से मीडिया कर्मियों की परीक्षा केंद्र में प्रवेश पर रोक नहीं लगाई गई थी। इधर सरकार ने मीडिया कर्मियों को सच्चाई की जानकारी पर रोक लगाकर अपनी पीठ थपथपा ने की कोशिश कर रही है। लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही बयां कर रही।
स्थिति चाहे जो हो लेकिन इतना जरूर माना जाएगा कि नामांकन व फॉर्म भरने की निमित्त बनी सरकारी स्कूलों में वर्ग का संचालन नहीं किया जाता है। 90 के दशक के बाद वर्ग संचालन व्यवस्था बिल्कुल स्कूल में ध्वस्त हो गई है। जिससे नीतीश सरकार भी संभालने में पूर्णत: विफल रही है। सच्चे अर्थों में माना जाए तो शैक्षणिक व्यवस्था सुधार समाज के नागरिकों के लिए सपना बनकर रह गया है।