वायरल होने के बाद गायब हुए मुर्दों का सच
मोतिहारी, पूर्वी चंपारण : जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के मूर्तियां गांव में शव मिलने व छुपाने के बहुचर्चित मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। एसपी ने इसे लेकर त्वरित कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष किशोरी चौधरी सहित एक जमादार व पुलिस जीप के ड्राइवर को निलंबित कर दिया है। साथ ही होमगार्ड के चार जवानों को भी निलंबित कर ड्यूटी से हटा दिया गया है। इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी डीएसपी संजय झा को दी गई है।
थानाध्यक्ष सहित 7 निलंबित
पिछले रविवार को मूर्तियां गांव में मजदूरों—किसानों द्वारा खेत में काम करते समय अचानक तेज बदबू महसूस की गई। जब वे बदबू वाली जगह के करीब गए तो एक युवक का शव जीर्ण—शीर्ण अवस्था में पेड़ से लटका हुआ तथा वहीं बगल में कंकाल में तब्दील हो चला एक युवती का सड़ा—गला शव मिला। यह खबर जंगल के आग की तरह सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इसके बाद स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन शव को बरामद नहीं किया जा सका। सुबह होते ही सोमवार को दोनों शव आश्चर्यजनक रूप से गायब हो कर स्वतः नो मेैन्सलैंड के समीप नवनिर्मित इंडो-नेपाल पुल के करीब जमींदोज कर दिये गए थे। उस समय से ही आम लोगों की नजर में इस मामले को लेकर पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो गई। स्थानीय साजिशकर्ताओं ने उक्त शवों को पुलिस की मिलीभगत से ठिकाने लगा दिया। यह खुलासा चौकीदार बच्चन पासवान व ग्रामीणों द्वारा किये जाने के बाद मामले ने फिर तूल पकड़ा लिया। शव को ठिकाना लगाने व इस सिलसिले में थानाध्यक्ष के निर्देश पर जमादार रामप्रकाश सिंह व अन्य जवानों के पुलिस जीप से वहां जाने की बात प्रकाश में आयी है।
ऐसे बरामद हुए गायब किये गए शव
दो शवों को गायब करने का मामला जब तूल पकड़ने लगा तब मंगलवार की दोपहर कार्यपालक दण्डाधिकारी शम्भूनाथ पांडेय, डीएसपी संजय झा व इंस्पेक्टर सतीश चंद माधव की निगरानी में शवों की तलाश की गई। काफी मशक्कत के बाद दोनों शवों को नो मैन्स लैंड से बरामद कर लिया गया तथा पंचनामे के बाद पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया।
पूर्व भी हुई है शव छुपाने की घटना
इससे पूर्व भी एक युवती के शव को धबधबवा गांव से पश्चिम मार कर दफन कर दिया गया था। बाद में जांचोपरांत इसे एक ऑर्केस्ट्रा डांसर का शव बताया गया। इस बाबत पूछे जाने पर थानाध्यक्ष किशोरी चौधरी ने बताया कि बरामद शवों की शिनाख्त नहीं की जा सकी। इस मामले की भी पुलिस जांच जारी है। यह पूरा मामला एक पहेली सी बन गई है। थानेदार किशोरी चौधरी अपने क्रियाकलापों की वजह से पूर्व में भी कई बार बिहार पुलिस को शर्मसार कर चुके हैं। बिहार मद्द निषेध उत्पाद अधिनियम 2016 में दोषी पाए जाने पर उनसे थानेदारी छीन ली गई थी। वर्ष 2016 में मुफस्सिल थानाध्यक्ष रहते हुए श्री चौधरी पर थानाक्षेत्र के कई इलाकों में शराब कारोबार को बढ़ावा देने का आरोप लगा था। जिसके बाद सरकार के निर्देश पर उन्हें निलंबित कर एक लंबे अरसे तक थानेदारी नहीं दी गई। उससे पूर्व पताही थानाध्यक्ष रहते हुए भी श्री चौधरी पर निलंबन की गाज गिरी थी।