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नई शिक्षा नीति से होगा सुसंस्कृत राष्ट्र का निर्माण

पटना : कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस में ‘नई शिक्षा-नीति एवं उच्च शिक्षा’ विषय पर एक वेबिनार आयोजित था, जिसमें विद्वानों द्वारा नई शिक्षा-नीति पर शोधपरक चर्चाएं हुईं, गहन विमर्श हुए तथा सुविचारित निष्कर्ष निकाले गए।

Prof. Tapan Kumar Shandilya

इस अवसर पर स्वागत का दायित्व संभाला जूलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. बिंदु सिंह ने। अपने स्वागत भाषण के बीच उन्होंने विषय पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने उद्घाटन भाषण के क्रम में विषय की प्रासंगिकता एवं महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसकी उपयोगिता को रेखांकित किया एवं नई नीति का हृदय से स्वागत किया।

Prof Jai Mangal Deo

विषय प्रवर्तन करते हुए मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.जय मंगल देव ने नई शिक्षा नीति को भविष्योनमुखी प्रयास बताया। प्रो. देव ने कहा कि इस शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक को अविक्षिण निरंतरता में देखने का प्रयास किया गया है। उन्होंने इसके समेकित स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि संगठित, सुसंस्कृत, समृद्ध, प्रगतिशील एवं नवोन्मेषी राष्ट्र के निर्माण में उच्च शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी दृष्टि समर्थकारी व नवकृत शैक्षिक तंत्र को विकसित करना है। इससे पूर्व प्रो. देव ने अतिथि वक्ताओं का परिचय कराया।

Prof Damodar Suar

बीज वक्तव्य के लिये आईआईटी खड़गपुर में विज़िटिंग प्रोफेसर डॉ. दामोदर सुआर आमंत्रित थे। नई शिक्षा नीति के एक—एक चरण की व्याख्या करते हुए संपूर्ण नीति को शीशे सा पारदर्शी कर प्रस्तुत कर देना डॉ. सुआर की विशेष पहचान रही।

विशिष्ट वक्ता के रूप में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य डॉ. विजॉय दास ने नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को महत्ता देने की सरकार की मंशा की भूरि—भूरि प्रशंसा की तथा इसे संस्कृति की पुनर्स्थापना की कोशिश बताया।

Professor Vijay Kant Das

वक्ताओं में प्रथम वक्ता थे कॉलेज के शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ.अरविंद कुमार नाग अपने संक्षिप्त भाषण में उन्होंने नई नीति की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डॉ. मंगला रानी ने अपने संक्षिप्त भाषण में नई शिक्षा-नीति में मातृभाषा की महत्ता को रेखांकित किया तथा हमारे जीवनमूल्य एवं छूटती सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना के प्रयास को नयी नीति की आत्मा बताया।

अंग्रेजी विभाग के डॉ. कुमार चंद्रदीप ने विषय की सिलसिलेवार समीक्षा की तथा कुछ नकारात्मक – कुछ सकारात्मक पक्षों पर प्रकाश डाला। मनोविज्ञान विभाग की डॉ. संगीता सिन्हा जी ने अपने शोधपरक भाषण द्वारा नयी नीति के विशेष पक्षों को रेखांकित करते हुए अपने निष्कर्ष स्थापित किये, जिनमें जीवन मूल्य की पुनर्स्थापना की कल्पना पर प्रकाश डाला।

विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विनोद कुमार मंगलम ने भी भाषा एवं संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा विद्यार्थियों में प्रश्न पूछने के अवसर इस नीति में हैं, इस बात को रेखांकित किया।

अंतिम विद्वत् वक्तव्य कार्यक्रम के संचालक, व्यवस्थापक एवं नैक समन्वयक, फिजिक्स विभाग के विद्वान प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार जी का था। उन्होंने अपने भाषण को कुछ पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन से भी समृद्ध किया और विषय की अति व्यावहारिक वैज्ञानिक समीक्षा प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में डॉ. संतोष कुमार जी ने आगत अतिथियों एवं समग्र उपस्थित विद्वानों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।