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6 अगस्त : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

शास्त्रीय आचार-विचारों का परित्याग ही रोगों व अशांति का कारण

दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन अगस्त से संस्कृत दिवस के अवसर आयोजित संस्कृत सप्ताह आज भी जारी रहा। कल दो बजे से छात्रों के बीच प्रतियोगिता होगी। आज इसमे कुछ तकनीकी कारणों से व्यवधान रहा।संस्कृत में प्रतिपादित आचार-विचारों की प्रासंगिकता विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में वेबिनार को संबोधित करते हुए चाईवासा कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गड्गाधर पंडा ने कहा कि शास्त्रीय आचार-विचारों का परित्याग ही रोगों व अशांति का कारण है। संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) के महत्व का प्रतिपादन करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे शास्त्रीय आचार व कर्तव्य वर्तमान युग में अशांति, आंतकवाद व महामारियों को दूर करने में सक्षम है। इन आचारों का पालन स्वर्गसुख के समान है।

अहंकार का परित्याग, स्वच्छता व बहुजन हिताय कार्य करने वाले उपदेश देने वाले संस्कृत साहित्य में वर्णित आचार आज भी प्रासंगिक है। यह विश्व में वर्तमान विपत्तियों का विनाश बिना किसी आर्थिक बोझ के करने में सक्षम है। उन्होंने पुराणों, धर्मशास्त्रों, साहित्य, महाभारत व रामायण के उद्देश्यों को प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट किया कि विश्व के कल्याण के लिए हमें संस्कृत वर्णित आचारों का पालन करना चाहिए। भारतीय जीवनपद्धति कोरोना के निराकरण में सक्षम है। वहीं बीएचयू के विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने नवरात्र व अन्य पर्वों के अवसर पर उपवास को शारीरिक शुद्धि व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के कारण बताया। स्पष्ट किया कि जिस स्वच्छता, भोजन व शारीरिक दूरी की बात आज भी जरूरी है। वह हमारे शास्त्रों में पूर्व से वर्णित है। लोग इन शास्त्रीय विचारों का पालन कर वर्तमान संकट से मुक्त हो सकते हैं। असम विश्वविद्यालय के एसो. प्रोफेसर डाॅ. गोविंद शर्मा ने विस्तार-पूर्वक प्राचीन आचार-विचारों की तुलना आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांतों से करते हुए स्पष्ट किया कि चिकित्सा शास्त्रीय विचार हमारे प्राचीन विचारों पर ही आधारित है।

अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन संयोजिका डाॅ. साधना शर्मा ने किया जबकि अतिथियों का स्वागत प्रो0 सुरेश्वर झा ने किया। द्वितीय चरण में छात्रों के बीच भाषण प्रतियोगिता का आयोजन बुधवार को होना था। तकनीकी खराबी के कारण बुधवार को प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो सका। छह अगस्त को दिन के दो बजे से आयोजन किया जाएगा। इसी तरह मंगलवार को आयोजित वेबिनार में कुलानुशासक प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि दीं प्रो0 शिवकांत झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

मनाया गया ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का 48वां स्थापना दिवस

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा 48वां स्थापना दिवस समारोह मनाया गया । इस अवसर आज 04.30 अपराह्न एक वेबनार का आयोजन किया गया। तकनीकी कारण से कुलपति महोदय वेबनार में सम्मिलित नहीं हो सके परन्तु उन्होंने अपना विचार संदेश के माध्यम से ब्यक्त करते हुए कहा कि ,” मैं प्रत्येक छात्र, शिक्षकों और कर्मचारियों को 48वें स्थापना दिवस पर बहुत हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। यह विश्वविद्यालय नियमित शैक्षिक सत्र, आनलाइन वर्ग एवं अन्य उपलब्धियों के कारण बिहार का नम्बर एक विश्वविद्यालय है।

एल एन एम यू कोविद 19 के कारण आने वाली चुनौती को पूरा करने वाला बिहार का पहला विश्वविद्यालय है। हमें इस विश्वविद्यालय में ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफ लाइन लर्निंग और भविष्य में मिश्रित शिक्षण प्रणाली विकसित करना होगा। नैक में ए + ग्रेड लाना और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के लिए यू जी सी की मंजूरी प्राप्त करना हमारी प्राथमिकता होगी।

हम एक व्यवस्था करेंगे ताकि बैंक के साथ गठजोड़ कर सरकार द्वारा देर से भुगतान के बावजूद वेतन , पेंशन और अन्य लाभों के भुगतान को ससमय सुनिश्चित किया जा सके। हमें पेपर रहित परीक्षा, परिणाम और कार्यालय प्रणाली की ओर बढ़ना होगा।” वेबीनार को अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो रतन कुमार चौधरी, संकायाध्यक्ष ललित कला संकाय प्रो पुष्पम नारायण, राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष सह अभिषद सदस्य प्रो जीतेन्द्र नारायण, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो चन्द्र भानु प्रसाद सिंह ने भी सम्बोधित किया।

इससे पूर्व कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित ललित बाबू , बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, महाराजा रामेश्वर सिंह , बाबा नागार्जुन, एवं गांधी सदन में महात्मा गांधी के मूर्तियों पर माल्यार्पण किया। वेबनार में प्रो गोपी रमण प्रसाद सिंह संकायाध्यक्ष समाजिक विज्ञान संकाय, प्रो बी एस झा विभागाध्यक्ष जन्तु विज्ञान विभाग, प्रो एन के अग्रवाल विभागाध्यक्ष गणित विभाग,प्रो ए के बच्चन विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग, प्रो पी के मिश्रा विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग,प्रो जीवानंद झा विभागाध्यक्ष संस्कृत विभाग, पूर्व बाणिज्य संकाय संकायाध्यक्ष प्रो अजीत कुमार सिंह, डा अरविंद मिलन, सी सी डी सी डा सुरेन्द्र कुमार, विकास पदाधिकारी प्रो के के साहू, परीक्षा नियंत्रक डा एस एन राय, उप परीक्षा नियंत्रक डा यू के दास ,डा आनंद मोहन मिश्र, महाविद्यालय निरीक्षक विज्ञान डा रजी अहमद, उपकुलसचिव प्रथम डा राजीव कुमार ,एन एस एस समन्वयक डा विनोद बैठा एवं डा आनंद प्रसाद गुप्ता उपस्थित थे। वेबनार का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक एवं अधिषद सदस्य डा अशोक कुमार मेहता ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने किया। वेबनार का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

मुरारी ठाकुर