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1 अगस्त : मधुबनी की मुख्य ख़बरें

जदयू नेता रामरत्न कुशवाहा के परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप

  • अप्रैल में खेत में मिला था रामरत्न कुशवाहा का शव

मधुबनी : जिले के फुलपरास अनुमंडल के ललमनियां थाना क्षेत्र के घोड़मोहना गांव निवासी जदयू किसान किसान प्रकोष्ट के प्रखंड अध्यक्ष रामरत्न कुशवाहा का 28 अप्रैल के देर शाम घुसकीपट्टी के खेत में शव मिला था।

परिजनो ने थाने में एफआईआर दर्ज कर ललमनियां पंचायत के मुखिया रुपनारायण यादव, बाबू कुमार सलहैता, धर्मेन्द्र कुमार महतो, राजेश कुमार पासवान और रजनीश कुमार यादव पर हत्या का आरोप लगाया है।

उनके पुत्र ने अपने आवेदन में कहा कि मैं और मेरे पिता खेत में काम कर रहे थे, उसी समय ये सभी लोग बुलेट और बाइक सुबह में मेरे घर पर आये और बोले की कुछ काम है फिर आ जाएंगे। ललमनियां के मुखिया अपने बुलेट पर बैठाकर ले साथ गये। शाम के तकरीबन छह बजे घुसकीपट्टी थाना खुटौना के ग्रामीणों द्वारा सुचना दी गई की आपके पिता का लाश सड़क किनारे पड़ा है। जब हम परिजनो के साथ वहाँ पहुँचे तो देखा, कि पिता जी खेत में चित लेटा पड़ा है, और नाक से झाग निकल रहा है, तथा गले में काला निशान है। हमें यकीन हो गया कि इन्हीं लोगों ने मिलकर हत्या कर लाश छोड़कर भाग गया। इस बाबत उनके पुत्र नवीन कुमार महतो ललमनियां थाना में एफआईआर दर्ज भी कराया है। जिसका कांड संख्या-50/2020 है।

उनके पुत्र ने बताया कि मेरे पिता जदयू के किसान प्रकोष्ट के प्रखंड अध्यक्ष थे, और वे पार्टी के लिए घर-परिवार छोड़कर दिन रात लगे रहते थे। उन्होंने कहा कि न तो पार्टी के कोई नेता और न ही कोई मंत्री मेरे परिवार से मिलने आये हैं, जबकि जिले में एनडीए के चार मंत्री हैं।

उन्होंने फुलपरास डीएसपी पर भी गंभीर आरोप लगाया ओर कहा कि ये हत्या है, जबकि पुलिस एक्सीडेंट बता रही है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खरोच तक का जिक्र नहीं है, तो एक्सीडेंट कैसे हो सकता?

वहीं इस बाबत जाप के जिला प्रवक्ता ई० प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि दोषी को सजा दिलाकर दम लेंगे।
उन्होंने बताया कि हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव को इस घटना का जानकारी देने जा रहें हैं, और उनसे हस्तक्षेप का मांग करेंगे जिससे कि परिजनो को न्याय मिल सके।

जाप प्रवक्ता कुशवाहा ने बताया कि हम न्याय दिलाने के लिए एसपी, आईजी, डीआईजी और डीजीपी सहाब तक गुहार लगा रहें हैं, जिससे कि न्याय मिल सके और दोषी सलाखे के अंदर हो। इस बीच बुधवार को पुलिस दूसरा घटना स्थल की जांच करने पहुंची थी, ओर लोगों से पूछताछ भी किया गया।

बाढ़ से घिरी करहारा में महिलाओं को पहुंचाई सैनेटरी पैड

मधुबनी : “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” की तर्ज पर संचालित जागरूकता अभियान संस्था गंगौर की संचालिका बिट्टू कुमारी मिश्रा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर अभियान चलाई।

इस दौरान बिट्टू कुमारी मिश्रा ने बाढ़ के पानी से टापू बना बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा पंचायत अपने जान पर खेल कर नाव व पैदल पहुंची, जहां उन्होंने अपने टीम की मदद से जरूरतमंद महिलाओं को सैनेटरी पैड, साबुन व सेनेटाइजर उपलब्ध करवाई। गरीब महिलाओं के घर पहुंच कर होने वाली समस्याओं से भी अवगत हुई।

इस मौके पर हमारे संवाददाता से बात करते हुए संचालिका बिट्टू कुमारी मिश्रा ने बताया कि करहारा पंचायत बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित है। खासकर महिलाओं को माहवारी समेत कई बड़ी समस्या हो रही है, जिसको देखते हुए हमने अपने टीम की मदद से इस गांव में पहुंचकर महिलाओं को सेनेटरी पैड वितरण किया है। ताकि ऐसे विपरीत समय मे महिलाओं को बीमारी से बचाया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि बाढ़ व बारिश को देखते हुए हमारे संस्था के द्वारा लगातार अभियान चलाकर गरीब महिलाओं तक निःशुल्क पैड व जरूरत का सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है। हम सरकार से मांग करते है कि जल्द से जल्द इस इलाके में राहत उपलब्ध करावे। इस इलाके के लोग बहुत बड़ी समस्या में है। गरीबों को बहुत कष्ट है। इस मौके पर राज मिश्रा, किरण शर्मा समेत टीम के अन्य लोग भी मौजूद रहे।

कोरोना आपदा में धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर बरतें सतर्कता

मधुबनी : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर संक्रमण पर रोकथाम के लिए समुदाय के सभी वर्गों की आपसी सहभागिता एवं सहयोग की जरूरत अधिक हो गयी है. इस लिहाज से कोविड-19 आपदा से मानव जीवन की सुरक्षा के लिए धार्मिक संगठनों के धर्मगुरुओं व प्रमुखों को जोड़ कर उनके सहयोग लिये जाने को भी वैश्विक स्तर पर तरजीह दी जा रही है. इस दिशा में यूनिसेफ़ और रिलिजंस फॉर पीस एंड ज्वाइंट लर्निंग इनिशिएटिव ऑन फेथ एंड लोकल कॉम्यूनिटीज के साझेदारी में कोविड 19 से बचाव को लेकर दिशानिर्देशों की एक श्रृखंला जारी की है. इस गाइडलाइन के माध्यम से सभी धर्म के समुदायों और उनके धर्मगुरुओं को कोविड 19 संक्रमण के आपदा की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक सलाह दिये गये हैं.

यूनिसेफ के वरिष्ठ सलाहकार डॉ केरिड मैकडोनॉल्ड ने बताया है यूनिसेफ के पास विभिन धार्मिक विश्वास वाले संगठनों और धर्मगुरुओं के साथ बच्चों और उनके परिवारों के लिए कार्य करने का लंबा इतिहास है. इस आपदा के बीच यह साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो गयी है. कोविड-19 के कारण बच्चों के अधिकारों पर संकट छाया है. इसलिए बच्चों के लिए बेहतर और सुरक्षित जीवन को फिर से तैयार करने की दिशा में काम करने की जरूरत है.

इस आपदा के कारण बड़े पैमाने पर सामुहिक तरीके से मनाये जाने वाले धार्मिक उत्सवों व पूजा कार्य प्रभावित हुए है. इतना ही नहीं अंतिम संस्कार, धार्मिक वस्तुओं का चुंबन व दूसरी सामान्य धार्मिक अनुष्ठानों व प्रथाओं आदि पर भी इस आपदा के कारण जनजीवन के स्वास्थ्य के लिए जोखिम है. यूनिसेफ के माध्यम से धार्मिक संगठनों द्वारा दिये गये मार्गदर्शन के माध्यम से विभिन्न धार्मिक कार्यों को ठोस दिशा प्रदान करना उद्देश्य है. साथ ही वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारियों को धार्मिक शिक्षा को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है.

धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अभ्यास:

मार्गदर्शिका के माध्यम से सामुहिक प्रार्थना सभाओं व अनुष्ठानों के अभ्यास के लिए हम कैसे इकट्ठा होते हैं, इसे ध्यान में रख धार्मिक गुरु पूजन कार्य सहित मृत्यु और शोक अनुष्ठानों सहित अन्य धार्मिक संस्कार से जोड़ते हुए किस प्रकार समुदाय की सुरक्षा और भलाई को सुनिश्चित कर सकते हैं, इसकी विशेष जानकारी दी गयी है.

भेदभाव को समाप्त के लिए संवाद:

इस गाइडलाइन के माध्यम से अफवाहों, भय, निराशा, कलंक और भेदभाव के कुछ महत्वपूर्ण कारकों और नकारात्मक प्रभावों की रूपरेखा तैयार की गयी है और धर्मगुरुओं को इन चुनौतियों से निपटने की जानकारी देते है.

अधिक जोखिम वालों समूहों की मदद:

गाइडलाइन के माध्यस से बुजुर्ग, बेघर, प्रवासी, दिव्यांग, गर्भवती महिलाएं, बच्चे आदि जिनका जीवन इस संक्रमण के कारण अधिक जोखिम में हैं, की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही गयी है. मार्गदर्शिका के माध्यम से इन समूहों को विशिष्ट आवश्यकताओं और सहायता प्रदान करते हुए उनमें और एकजुटता और सामुदायिक भावना के साथ उम्मीद बनाये रखने की बात कही गयी है.

धार्मिक अनुष्ठानों में नियमों के पालन पर बल:

गाइडलाइन के मुताबिक धार्मिक अनुष्ठान व समारोहों, अंतिम संस्कार के दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठनों द्वारा दिये गये शारीरिक दूरी रखने व अन्य नियमों का पालन करें. लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए समुदाय में आयोजित होनी वाली वैवाहिक व जन्म से जुड़ी सामाजिक प्रथाएं व अनुष्ठानों के दौरान उन नियमों का पालन करने की भी सलाह दी गयी है.साथ ही स्वच्छता व सफाई से जुड़ी आदतों को समुदाय में होने वाली धार्मिक सभाओं में जोर देने एवं धार्मिक ग्रंथों में सफाई से संबंधित दी बातों को प्रमुखता से बताते हुए पवित्रता के महत्व को इंगित करने पर बल दिया गया है.

आध्यत्मिक रूप से सबल बनाने के लिए प्रोत्साहन:

दिशानिर्देश में घर व परिवार में संक्रमण व आपदा के मुद्दों के समाधान के हल निकालने के लिए परस्पर संवाद करने की बात कही गयी है. साथ ही राष्ट्रीय नीति-निर्माण में व्यापक सामुदायिक सहभागिता की आवाज को बुलंद करने पर भी जोर दिया गया है. यह बताया गया है कि सभी लोगों की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने के लिए रोग के संचरण से जुड़े कलंक और भेदभाव को दूर रखने के लिए धर्म के माध्यम से समुदाय को प्रेरित करने एवं माता-पिता, बच्चों, बुजुर्गों के आध्यात्मिक और भावनात्मक देखभाल में मदद करने की भी जरूरत है. उन्हें शांति व उम्मीद का माहौल मुहैया कराने में मदद करने एवं बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य, विकास, संरक्षण और उनके सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं पर ध्यान देने की बात भी कही गयी है. यह भी कहा गया है कि युवाओं के अनुकूल संचार और जुड़ाव सोशल मीडिया के सही इस्तेमाल को लेकर बातें बतायी जायें. शारीरिक दूरी व नियमों के पालन सोशल मीडिया को एक संचार का बेहतर मंच बनाया जाये.

कोविड-19 के मरीजों को परामर्श देने के लिए जिले में नियंत्रण कक्ष की होगी स्थापना

मधुबनी : कोरोना माहमारी के इस दौर भी सरकार को लोगों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ सेवा सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर पूरी तरह सजग एवं कटिबद्ध है एवं लोगों को किसी प्रकार की परेशानियाँ नहीं हो इसके लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है. इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 के मरीज को परामर्श देने के लिए एक चिकित्सक नियंत्रण कक्ष खोलने को लेकर राज्य स्वास्थ समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सिविल सर्जन को पत्र भेजकर कर इसे सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है, ताकि मरीजों को उचित परामर्श मिल सके।

स्वास्थ्य विभाग जारी करेगी टोल फ्री नंबर:

सदर अस्पताल के द्वारा टोल फ्री नंबर के साथ 10 हंटिंग लाइन चिकित्सीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे. किसी भी नम्बर पर सूचना देने की स्थिति में उस नम्बर की व्यस्तता पर कॉल दूसरे नम्बर पर स्वतः ट्रान्सफर हो जाएगा।

रखे जाएंगे निजी चिकित्सक,स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर टोल फ्री नंबर दे सकेंगे सूचना:

नियंत्रण कक्ष में निजी चिकित्सक रखे जाएंगे, जिन्हें प्रतिदिन 2000 रूपये मानदेय के आधार पर भुगतान किया जाएगा। बीमार व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। कोरोना वायरस इंसानो के सम्पर्क में आने पर अत्यंत तेजी से फैलता है। इसलिए स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरो एवं मेडिकल स्टाफ्स् की टीम तैनात किये जायंगे. दूरभाष पर किसी व्यक्ति के बीमार होने की सूचना मिलते ही चिकित्सकों द्वारा उन्हें तुरंत चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराया जायेगा। अगर बीमार व्यक्ति की स्थिति गंभीर होगी तो चिकित्सा कक्ष में प्रतिनियुक्त चिकित्सक/कर्मी द्वारा नजदीकी सरकारी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के माध्यम से बीमार व्यक्ति को चिकित्सीय सुविधाएँ उपलब्ध कराया जायेगा। जिला नियंत्रण कक्ष/दूरभाष नम्बर पर आने वाले सभी सूचनाओं का वरीय अधिकारी द्वारा अनुश्रवण किया जाएगा। वहीं अगर किसी व्यक्ति को कोराना के लक्षण जैसे सर्दी, सुखी खाँसी, तेज बुखार एवं साँस लेने में तकलीफ होने की शिकायतें कर सकते हैं.

24/7 चिकित्सकों की होगी प्रतिनियुक्ति:

चिकित्सकीय नियंत्रण कक्ष में चिकित्सकों के अलावा पर्याप्त संख्या में तीनों पाली में 24/7 चिकित्सा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. साथ ही चिकित्सीय नियंत्रण कक्ष के माध्यम से जिला स्तर पर कोविड-19 का आकलन कर पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस एवं प्रतिरक्षक सामग्री पी. पी. ई. कीट तथा अन्य आवश्यक उपकरण रखा जाएगा। नियंत्रण कक्ष में प्रभारी पदाधिकारी के रूप में किसी वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को नामित किया जाएगा।

102 के अंतर्गत संचालित एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने पर ले सकेंगे निजी एंबुलेंस:

सदर अस्पताल द्वारा संचालित 102 एंबुलेंस आवश्यक संख्या में उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में राज्य स्वास्थ समिति द्वारा निर्धारित प्रतिदिन भाड़े पर एंबुलेंस रखा जाएगा।उच्च जोखिम युक्त व्यक्तियों गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति को कोविड-19 कराने के लिए चिकित्सीय नियंत्रण कक्ष के माध्यम से एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। मरीज के पॉजिटिव पाए जाने पर आवश्यकता अनुसार उन्हें एंबुलेंस के माध्यम से निर्धारित चिकित्सा केंद्रों पर भर्ती कराया जाएगा।

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अधिक काढ़ा पीने से हो सकता नुकसान

मधुबनी : कोविड-19 के मौजूदा दौर में संक्रमण से बचने के लिए लोग इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं. इस बीच कई लोगों ने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए काढ़ा पीना शुरू कर दिया है. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जानकारी की कमी के चलते काढ़े का जरूरत से ज्यादा सेवन कर रहे हैं. यदि ऐसा है, तो आज ही काढ़े का सेवन करने से जुड़ी कुछ बातों को जान लें, क्योंकि इसका जरूरत से ज्यादा सेवन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है. इस संबंध में निज़ी क्लिनिक चला रहे आयुर्वेद चिकित्सक डॉ विनय कुमार ने लोगो को सही मात्रा में काढ़े का सेवन करने की बात कही है। बताया कि नियमित रूप से सुबह व शाम ही काढ़ा लेना उचित होगा। इसके अलावा गर्म तासीर वाले लोगों को भी सही से काढ़ा का इस्तेमाल करना ही हितकर होगा। इसके अलावा काढ़ा सेवन को लेकर अन्य ज़रूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि इसके साइड इफ़ेक्ट से बचा जा सके।

जानें काढ़ा पीने के कुछ साइड इफेक्ट

डॉ कुमार ने कहा कि अगर आप काढ़ा सही मात्रा में या फिर तासीर के हिसाब से नहीं पी रहे हैं, तो आपको नाक से खून आने , मुंह में छाले होने, पेट में गर्मी बढ़ने से जलन महसूस होने एवं पेशाब में जलन होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. आमतौर पर काढ़े में काली मिर्च, सोंठ, पीपली, दालचीनी, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा जैसी औषधियों का प्रयोग किया जाता है. इन चीजों की तासीर बहुत गर्म होती है. यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक इन चीजों का सेवन करेगा, तो उसके शरीर में गर्मी बढ़ सकती है, जिससे उसे बदहजमी व जलन की शिकायत हो सकती है.

सही जानकारी प्राप्त कर करें काढ़े हा सेवन : डॉ विनय कुमार के अनुसार लोगों को सही जानकारी प्राप्त करके ही काढ़े का सेवन कर्ण चाहिए. उन्हें डॉक्टर से परामर्श करके अथवा आयुष मंत्रालय द्वारा बताये गये काढ़े का सेवन ही करना चाहिए, क्योंकि उसको तैयार करते समय औषधियों का मात्रा का विशेष ख्याल रखा हाता है. अगर आप घर पर काढ़ा बना रहे हैं, तो उसकी गर्म तासीर को कम करने के लिए सोंठ, काली मिर्च की मात्रा कम करके इलाइची , गिलोय, मुलेठी आदि डाल सकते हैं.

ज्यादा गाढ़ा न हो काढ़ा : विशेषज्ञों की मानें तो जिन लोगों को कफ की समस्या रहती है वे थोड़ा ज्यादा काढ़ा भी पी लेंगे तो कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि काढ़े में प्रयोग की जानेवाली त्रिकुट औषधि कफ को कम करती है, लेकिन वात और पित्त वालों को इसके सीमित सेवन पर विशेष ध्यान देना चाहिए. डॉ विनय कुमार के अनुसार त्रिकुट काढ़ा एक व्यक्ति को पांच ग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए. काढ़ा बनाते समय बर्तन में जितना पानी लें, उसका एक चौथाई पानी जब उबालने के बाद बच जाये तब काढ़ा पी सकते हैं. अगर फिर भी समस्या आ रही है, तो काढ़े को और कम मात्रा में लें और छोड़ा पतला काढ़ा पिएं.

समस्या होने पर ले चिकित्सक से सलाह : डॉ विनय कुमार ने बताया काढ़े का सेवन करने पर यदि किसी व्यक्ति को कुछ गंभीर समस्या होती है तो वह तुरंत चिकित्सीय सलाह ले. इसके अतिरिक्त यदि व्यक्ति के मुंह में छाले हो जायें, तो इनसे राहत पाने के लिए वह कुक घरेलू उपाय भी अपना सकता है. वह पान का पत्ता चबा सकता है. बड़ी इलाइची का सेवन कर सकता है. वहीं पेट में गर्मी महसूस होने पर छाछ का सेवन भी किया जा सकता है. हां, मगर शाम या रात के वक्त छाछ का सेवन न करें.

बेहतर स्वास्थ्य की बुनियाद स्तनपान

  • 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह

मधुबनी : बच्चों के सर्वांगीण मानसिक एवं शारीरिक विकास में स्तनपान की भूमिका अहम होती है। शिशु के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार के साथ ही उसका मौलिक अधिकार भी है। स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। स्तनपान सप्ताह के दौरान आशा आंगनवाड़ी सेविका एवं एएनएम घर घर जाकर माताओं को स्तनपान करने के लिए जागरूक करेंगे. साथ ही इसके लाभ के बारे में जानकारी देंगे सामुदायिक कार्यकर्ता धात्री माताओं को भी स्तनपान के लाभ के बारे में बताएंगे।

गंभीर रोगों से बचाव:

माँ का दूध जहाँ शिशु को शारीरिक व मानसिक विकास प्रदान करता है, वहीँ उन्हें डायरिया, निमोनिया और कुपोषण जैसी जानलेवा बिमारियों से बचाता भी है। जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से शिशु मृत्यु दर में 20 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है। छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है। लैंसेट की 2015 की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है की अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा तीन पॉइंट अधिक होती है, जिन्हें माँ का दूध थोड़े समय के लिए मिलता है। इसके अलावा स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मौत को भी कम करता है।

जिले की स्तनपान की स्थिति :

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के आँकड़ों के अनुसार बच्चे के जन्म के एक घण्टे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध मधुबनी में 32.6प्रतिशत बच्चे ही पी पाते हैं। जबकि मधुबनी में 63.2 प्रतिशत बच्चों को जन्म से लेकर 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है।

माता-पिता की जागरूकता है जरूरी:

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए अभिभावकों का सशक्तिकरण एक गतिविधि नहीं है बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रसव पूर्व जांच के दौरान और शिशु के जन्म के समय अवश्य प्रदान की जानी चाहिए। माँ बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान तभी कराती हैं जब उसे एक सक्षम माहौल और पिता, परिवार के साथ समुदायों से आवश्यक सहयोग प्राप्त होता है।

शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए आवश्यक है:

जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान प्रारम्भ किया जाए 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाए( ऊपर से पानी भी नहीं)
शिशु के 6 माह पूर्ण होने के तुरंत बाद अनुपूरक आहार देना शुरू किया जाए एवं कम से कम शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान जारी रखा जाए

स्तनपान के विषय में आम जागरूकता है अहम :

जिला सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए स्तनपान बहुत जरूरी होता है। इस पर सामुदायिक जागरूकता के लिए जिले में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान आंगनवाड़ी सेविका आशा एवं एएनएम घर घर जाकर माताओं को स्तनपान के लिए जागरूक करेंगे।

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किया मास्क का वितरण

मधुबनी : बिहार युवा विकास मंच टीम के द्वारा मधुबनी जिला के अंधराठाढ़ी प्रखंड के अंधराठाढ़ी उत्तर पंचायत में वार्ड नंबर 15 (जो की कलुआ गांव में है) में संगठन अध्यक्ष विकाश के नेतृत्व में हर घर उनकी संख्यानुसार मास्क का वितरण किया गया। विकाश जी ने हर एक घर जाकर लोगों को जागरूक करते हुए मास्क प्रदान किए और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी सुझाव भी दिए। इस पूरे कार्यक्रम में बिहार युवा विकास मंच टीम का साथ अंधराठाढ़ी उत्तर पंचायत के पंचायत समिति देवचन्द्र कामत ने बखूबी दिया। हमारे टीम के अन्य साथी राष्ट्रीय सचिव राज कुमार मिश्रा, जिला मंत्री गोविंद राय, बाबूबरही प्रखंड उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम मेहता, अंधराठाढ़ी प्रखंड संयोजक पप्पू राय, बमबम भाई, विकास मंडल आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बिहार युवा विकास मंच कोरोना मुक्त समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। जहां तक संभव हो सकेगा हर एक पंचायत में बिहार युवा विकास मंच टीम के द्वारा मास्क वितरण किया जाएगा।

भारी बारिश से कार्यालयों में घुसा पानी

मधुबनी : राजनगर प्रखंड क्षेत्र में भारी वर्षा पात से क्षेत्र के सरकारी गैर सरकारी परिसर और कार्यालयों पानी घुस गया । जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पर रहा । भारी जल जमाव हो जाने आवागमन में काफी परेशानी हो रही है ।

राजनगर में थाना परिसर में भारी जल जमाव है । वही विभिन्न कांडों जब्त वाहन भी जल में समा गया है । थाना परिसर में शौचालय में भी पानी चला गया । जिससे शौच के लिए कर्मी एव अन्य लोगो परेशानी होती है। राजनगर राज परिसर एव में भी भारी जल जमाव हो गया गया और राज खेल मैदान में भी फिट ऊपर भर पानी जमा है। प्रखंड क्षेत्र के खेत खलिहान में वर्षा का पानी जल मगन हो गया है । समय पर यह जल की निकाशी नही होने से महामारी फैलने की आशंका जताई जा रही है ।

राजनगर बाबूबरही मुख्य सड़क मानसरोवर टाकीज अमला टोली के समीप सड़क वर्षा पानी से बरे बरे गढ़े भर गए है । जिससे वाहन चालको आम जननो को पैदल चलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है । बताया जा रहा है कि सड़क पर बरे गढ़े होने से आए दिन चोटी बड़ी सड़क दुर्घटना होती रहती है ।

जान जोख़िम में डाल कर रहे पंकज कुमार कोरोना का टेस्ट

मधुबनी : जिले के फुलपरास अनुमंडल के घोघरडीहा में वैश्विक महामारी के इस दौर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच प्रयोगशाला परवैधिक पंकज कुमार के द्वारा कोरोना योद्धा के रूप में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को रैपिड एंटीजन किट के माध्यम से 35 आशंकितों की जांच की गई। जांच में 33 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव और 2लोगों की कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है, जिसमें एक पुरूष व एक महिला है। संक्रमित पाये गए घोघरडीहा प्रखंड के नौवाबाखर गांव के रहने वाले सभी संक्रमितों को होम आइसोलेट कराया गया है।

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ० करण कुमार,स्वास्थ्य प्रबंधक जयनंदन कुमार ने बताया प्रयोगशाला परवैधिक पंकज कुमार ने सैंपल कलेक्शन में सराहनीय कार्य किया है। हालांकि सैंपल जांच कार्य पीपीई किट पहनकर ही कार्य किया जाता है।बावजूद खतरा बना रहता है।पंकज कुमार कहते है,जब पूरे विश्व पर कोरोना का संकट छाया हुआ है तो ऐसे में हमसभी कैसे मुंह मोड़ सकते है। अपने कर्तव्य का निर्वहन हर हाल में करना ही है।वे बताते है शुरुआत में मन में एक डर बना रहता था। लेकिन जनहित में डर त्याग कर अपने काम में लीन हो जाते हैं।

उन्होंने कहा पीएचसी प्रभारी सहित सभी स्वास्थ्य कर्मियों का हमेशा सहयोग मिलता है। जांच के दौरान स्वास्थ्य प्रबंधक जयनंदन कुमार,एलटी नीतीश कुमार,एसटीएलएस अमरेन्द्र प्रसाद,एड्स परामर्शी सुरेंद्र राय, एएनएम अंजू कुमारी का विशेष सहयोग रहा।

ईद-उल-जुहा पर बेहद खुश दिखे बच्चे, एक दूसरे को बिना गले लगे दिये बधाई

मधुबनी : जिले के झंझारपुर अनुमंडल क्षेत्र में ईद-उल-जुहा हर्षोलास के साथ मनाया गया। बच्चों के चेहरे पर थोड़ा सा भी कोरोना का असर नहीं दिखा।क्या बच्चे,क्या बूढ़े और क्या नौजवान सभी के सभी ईद-उल-जुहा के जश्न में डूबे नजर आये एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दिये। सबसे खास बात यह रहा की सोशल डिस्टेंशींग का सभी ने सख्ती से पालन किया और बिना गला मिले ही एक दूसरे को बधाई दिये।इस अवसर पर बच्चों के खुशी देखते ही बन रहा था गजब का उत्साह दिखा। सभी नये-नये पोशाक में थे। झंझारपुर प्रखंड में कन्हौली,चनौरागंज,पिपरौलिया,चीरकुटा और संग्राम दर्जनों सैकड़ों गांव में शांति और भाईचारा के साथ मनाया गया ईद-उल-जुहा। इस्लाम धर्म में ईद-उल-जुहा का खास महत्व है। हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है। ईद-उल-जुहा हजरत सहाब का आदेश है कि कोई व्यक्ति चाहे वह जिस भी जाति,धर्म और मजहब से हो और यदि वह परेशानी में हो तो कुर्बानी देने के लिए तैयार रहे। ईद-उल-जुहा इसलाम धर्म का दूसरा प्रमुख त्योहार है।

आजादी के 72 वर्ष बाद भी उद्धारक की बाट जोह रहा करहारा गांव

मधुबनी : झंझारपुर अनुमंडल के मधेपुर प्रखंड का करहारा पंचायत जो प्रखंड मुख्यालय से 07 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।आजादी के 73 वर्ष बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। करहारा दो भागों में बंटा है पूर्वी करहारा और पश्चिमी करहारा। पूर्वी करहारा के पूर्वी छोड़ पर बलान नदी है जो कोसी नदी से भी अटैच है। जहाँ अभी भी नदी में पुल नहीं है। बलान नदी हर साल यहाँ तबाही मचाती है। लोगों के घरों में पानी घूस जाता है। फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है यह केवल इस साल की बात नहीं है हर साल का यहीं हाल है।

नेता चुनाव के समय आते हैं जनता से वादा करके जाते हैं कि चुनाव जीतते ही सबसे पहले पुल बना देंगे। गांव वाले का वोट लेकर चुनाव तो जीत जाते हैं लेकिन उसके बाद फिर कभी दिखाई नहीं देते। फिर जब चुनाव आता है तो बरसाती मेढ़क के तरह मंडराने लगते हैं वोट पाने के लिए। फिर वादा करके वोट लेकर चले जाते हैं। भोलेभाले लोगों की जिंदगी नासूर बन गयी है जो नेताओं की देन है। अभी तक पुल निर्माण नहीं होने से खासकर युवाओं और महिलाओं में भयंकर आक्रोश है। युवाओं ने कहा कि इस बार पुल नहीं तो वोट नहीं अवधेश राय कहते हैं कि बाढ़ से से तो बच गये भगवान के कृपा से इस बार के चुनाव में नेताओं को सबक सिखाकर दम लेंगे। युवानीति करके युवाओं का समूह चलता है जो सोशल मीडिया पर लगातार गांव के विकास को लेकर आवाज बुलंद करता रहते हैं।पश्चिमी करहारा में सड़क भी बना है। एक सड़क से ही क्या होगा। पूरा गांव अभी भी सड़कों से वंचित हैं।

वहीं पासवान टोला का हाल बदहाल है। पासवान टोला जाने के लिए नहर होकर जाना पड़ता है जहां बाढ़ का पानी ने जमकर तबाही मचाई है। लोगों का सम्पर्क भंग हो गया है।लोग नाव के सहारे जिंदगी और मौत से जूझते हुए जाते हैं। गांव के पूर्वी टोला के बलान नदी में हर साल चचरी का पुल बनाया जाता है। जो बाढ़ के तेज बहाव में बह जाता है।जिससे दर्जनों गांव का सम्पर्क भंग हो जाता है।गांवों में जैसे द्वालख, डारह,चटनमा समेत दर्जनों गांव का सम्पर्क विच्छेद हो जाता है।पंचायत में महिला मुखिया है कौशल्या देवी पति मिश्री लाल ठाकुर लेकिन पंचायत स्तरीय काम से असंतुष्ट हैं लोग। स्थानीय मुखिया से काफी नराज चल रहे हैं। मुखिया प्रत्याशी शिवचरण राय ने कहा कि पंचायत में लूट,खसोट चरम पर है जिससे जनता परेशान हैं।करहारा पंचायत के विकास के बदले विनाश ही हुआ है। अभी तक न तो मुखिया न हीं प्रशासन के तरफ से कोई मदद मिला है।

आँगनबाड़ी में बच्चों को खाने में कुछ नहीं दिया जा रहा है।जिससे लोगों को आक्रोश है। हर साल पुल का निर्माण किया जाता है ग्रामीणों के सहयोग से न कि नेता की सहयोग से।उसमें भी वार्ड 11/13/14 बहुत ही ज्यादा बाढ़ से प्रभावित है।गांव की आबादी लगभग दस हजार है। वोटरों की संख्या 45,00 है।स्कूल की संख्या दो है एक मध्य विद्यालय है और एक प्राथमिक विद्यालय।उच्च विद्यालय गांव से 7 किलोमीटर दूर है। गांव में शिक्षा का अभी भी अभाव है। बाढ़ और बारिश के समय सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बिन्देश्वर राय वार्ड सदस्य 14 ने बताया कि हमें अब यकीन नहीं होता कि पुल बनेगा भी इस साल अगर पुल नहीं बना तो वोट का बहिष्कार करेंगे और उच्च विद्यालय गांव में होना चाहिए बहुत दूर है स्कूल घर से।ग्रामीणों में बच्चे लाल राय, जगदीश राय,अमरजीत राय,उदय कुमार राय उप सरपंच,रिता देवी जीवछी देवी और रेखा देवी ने कहा कि कभी कुछ हमलोगों को नहीं मिलता है। इस साल पुल नहीं तो वोट नहीं। पूर्व विधायक देवनाथ यादव ने कहा कि बाढ़ और कोरोना के कारण पुल नहीं बना पाये अगले साल पुल बनकर तैयार हो जाएगा।

सुमित राउत