पटना : बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जहां आम इंसान काफी डरा हुआ है, वहीं नेता ऐसे माहौल में भी राजनीतिक रोटी सेंकने की होड़ कर रहे हैं। इस दौरान नेताओं की कोरोना को लेकर कथनी और करनी का फर्क देखिये कि वे न सिर्फ लोगों में जाकर भीड़ जमा कर रहे हैं, दूसरी तरफ ट्विटर आदि के जरिये बेलगाम कोरोना के लिए एकदूसरे पर हमले भी कर रहे हैं। इसमें पक्ष—विपक्ष दोनों में कोई अंतर नहीं। आज शनिवार को जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्विट के जरिये कोरोना मामले में सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया, वहीं सत्तापक्ष ने उनसे खुद अपनी कोरोना जांच कराने को कहा क्योंकि वे लगातार लोगों के बीच जाकर कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं।
आज शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को लेकर एक के बाद एक तीन ट्वीट किया। तेजस्वी ने कहा कि जिस हिसाब से बिहार में केस बढ़ रहे हैं, अगर प्रतिदिन 30-35 हजार जांच हो तो रोज 4-5 हजार नए मरीज मिलेंगे और संक्रमण में बिहार देश में सबसे ऊपर आ जायेगा।
तेजस्वी के इस हमले का जवाब देते हुए बिहार भाजपा प्रवक्ता डॉ निखिल आनंद ने कहा कि तेजस्वी यादव पिछले दिनों गोपालगंज सहित अन्य जगहों पर गए हैं। लोगों से भीड़ जुटाकर राजनीतिक मुलाकात कर रहे हैं। हाल में उनके पीसी में शामिल और उनसे मिले कई लोग कोरोना पॉजिटिव होने के बाद से आईसोलेट होकर क्वारंटाइन हैं और कुछ का इलाज भी चल रहा है। नेता विपक्ष से अपील है कि एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर कोरोना टेस्ट करायें और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करें। जदयू नेता अजय आलोक ने भी सवाल किया कि तेजस्वी अपनी जांच से घबरा क्यों रहे हैं। इससे उनकी कौन सी पोल खुल जाएगी।
साफ है कि कोरोना से जहां बिहार की आम—अवाम त्रस्त है, वहीं पक्ष विपक्ष का फोकस इससे बचाव और निदान से हटकर कोरी राजनीति पर है। ऐसे में आमलोग क्या करें, इसका जवाब किसी के पास नहीं। जहां तक कोरोना के बेलगाम होने का सवाल है, इतना तो स्पष्ट है कि यदि हम लॉकडाउन के दौरान अपनी जिम्मेदारी को ठीक से समझें तो इसे आसानी से काबू किया जा सकता है।