रैली पर रोना: वर्चुअल रैली का विरोध कर क्या चाहता है विपक्ष?
जब सेे अमित शाह की वर्चुअल रैली की घोषणा हुई थी, राजद के तेजस्वी यादव ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। वर्चुअल रैली के विरोध में राबड़ी देवी व राजद के विधायकों के साथ थाली पीटी और कहा कि एक एलईडी लगाने में हजारों रुपए लगते हैं। इस तरह इतने एलईडी का खर्चा करोड़ों में हो जाएगा। उनका आरेप है कि भाजपा ‘वर्चुअल’ रैली के ढोंग से ‘एक्चुअल’ सच्चाई को छिपाना चाहती है। विपक्ष के विरोध से इत्तर, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस मसले पर विपक्षियों को आड़े हाथों लेते हुए कहते हैं- बूथ लूटकर 15 साल राज करने वाले वर्चुअल रैली का विरोध कर रहे हैं।
क्षेत्रीय दल इस बिहार में वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान पारंपरिक रैलियों को प्रतिबंधित करने के पक्ष में नहीं हैं। इसको लेकर विरोध व्यक्त करने लगे हैं। उनके विरोध के पीछे की पीड़ा भी समझना चाहिए। दलगत आरोप-प्रत्यारोप से परे ई-रैली को लेकर विपक्षियों की पीड़ा भी सामने आई। बिहार के क्षेत्रीय दलों का कहना है कि वर्चुअल रैली में भाजपा से बराबरी कर पाना छोटे दलों के लिए संभव नहीं है, इसलिए ये पार्टियां चुनाव आयोग से पारंपरिक रैलियों की अनुमति मांगी है।
परंपरिक रैली की चाह भाजपा विरोधियों की विवशता है। यदि पारंपरिक रैलियां प्रतिबंधित रहती हैं तो सीधा मतलब होगा कि अमीर राजनीतिक दल फायदे में रहेंगे। इसका कारण है कि एक ओर अपने संसाधनों के बल पर कोरोनाकाल का हवाला देते हुए वर्चुअल रैलियों के माध्यम से भाजपा लोगों तक पहुंच रही है। वहीं दूसरी ओर, भाजपा के इस कदम से उसके विरोधी बेचैन हैं, क्योंकि अधिकतर क्षेत्रीय दलों के पास ऐसी रैलियों के लिए संसाधनों की कमी है। उन्हें पता है कि चुनावी अखाड़े में तकनीक के मामले में भाजपा के सामने वे नहीं टिक पाएंगे।
इसके जरिए आम रैली के दौरान जुटने वाली भीड़ से बचना संभव है। आम रैलियों की तरह इनको टीवी पर भी प्रसारित किया जा सकता है। शाह की रैली का भी कई स्थानीय चैनलों ने सीधा प्रसारण किया। अमित शाह ने अपने भाषण में दावा किया कि इस रैली के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों पर 70 हजार एलईडी स्क्रीन लगाए गए हैं। उनके इसी दावे पर राजद के तेजस्वी ने वर्चुअल रैली को बेहद खर्चीला बताया था।
विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए भाजपा का कहना है कि विपक्ष जैसा कह रहा है, वैसा कुछ नहीं है। विपक्ष रैली के खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। संगठन ने एलईडी स्क्रीन के अलावा स्मार्टफोन, फेसबुक लाइव और यूट्यूब के जरिए भी इसका लाइव प्रसारण किया। व्हाट्सएप समूहों के जरिए भी रैली का प्रसारण किया गया। कुल 56 लाख लोगों तक लिंक भेजे गए। सोशल मीडिया पर इसका खर्च कम है। पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं के पास स्मार्टफोन नहीं था वे एक खास नंबर डायल कर भाषण का ऑडियो सुन सकते थे।