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बॉयकाट से बचने को चीन की मक्कारी, जानें कैसे ‘मेड इन चाइना’ को छिपाया?

नयी दिल्ली : भारत और चीन के बीच लद्दाख बॉर्डर पर खूनी भिड़ंत के बाद भारतीय लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। भारत में चीन के खिलाफ लोगों के गुस्से को देखते हुए मक्कार चीन ने बड़ी चालाकी की है। इससे यह भी पता चलता है कि सारे घटनाक्रम और उसकी प्रतिक्रिया से बचने की वह पहले से ही तैयारी कर रहा था। भारतीयों के गुस्से से बचने और भारत में अपने सामान को बेचने के लिए चीन ने नई रणनीति अपनाई है। उसने अपने प्रोडक्ट के पैकेट से ‘मेड इन चाइना’ हटा लिया है और उसकी जगह मेड इन आरएसी लिखना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं कि भारत के लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए चीन क्या—क्या चालाकियां कर रहा है।

‘मेड इन आरएसी’ से धोखा देने की कोशिश

चीन ऐसी चालाकी पर उतर आया है जिससे अधिकतर भारतीय खरीदारों को पहली नजर में यह पता ही ना चले कि प्रॉडक्ट चाइनीज है। कोई प्रॉडक्ट किस देश में बना है यह पैकेटे और प्रॉडक्ट पर लिखा होता है। जैसे भारत में बने प्रॉडक्टर पर लिखा होता है ‘मेड इन इंडिया’। इसी तरह चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर लिखा होता था ‘मेड इन चाइना’। इसी आसान पहचान को खत्म करने के लिए चीन ने अब अपने प्रॉडक्ट्स पर ‘मेड इन चाइना’ लिखना बंद कर दिया है। अब वह लिखता है मेड इन पीआरसी। पीआरसी का मतलब है पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना। भारतीय उपभोक्ता पीआरसी लिखा देख सामान खरीद लेंगे और वे समझ नहीं पाएंगे कि यह असल में मेड इन चाइना ही है।

चाइनीज प्रोडक्ट को भारतीय लुक देने की मक्कारी

चाइनीज प्रॉडक्ट्स पर मेड इन पीआरसी लिखने के साथ ही उसने अपने प्रॉडक्ट्स को एकदम भारतीय लुक देने की भी कोशिश की है। इसके तहत वह प्रॉडक्ट्स के नाम इस तरह रखता है जिससे वे भारतीय लगें।

चीनी भाषा में कुछ भी लिखने से बच रहा ड्रैगन

चीन सामान के पैक्ट्स पर कहीं भी चाइनीज भाषा में कुछ नहीं लिखता है। ड्रैगन अपने प्रोडक्ट पर सभी जानकारी और दिशानिर्देश अंग्रेजी में ही लिखता है। यहां तक कि कई प्रॉडक्ट्स पर तो वह हिंदी में भी लिखने लगा है। इसके अलावा यदि किसी पैकेट पर कोई तस्वीर लगानी है तो वह भारतीय चेहरों की तस्वीर ही छापता है। यानी पूरी तरह प्रॉडक्ट आपको भारतीय ही महसूस होगा।

चीन की पूर्व तैयारी के पीछे की मंशा क्या है?

2017 में डोकलाम तनातनी के बाद भी चाइनीज प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की मांग तेज हो गई थी। इसके बाद दिवाली जैसे अवसरों पर भी कुछ संगठनों ने चाइनीज लड़ियों और मूर्तियों को नहीं खरीदने की अपील की थी। इसका काफी असर भी हुआ था। इसी अनुभव को देखते हुए चीन ने ताजा विवाद के बाद अपने को भारतीयों को ठगने की यह रणनीति अपनाई है।