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प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव को लेकर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने पीएम को लिखा पत्र

दिल्ली: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठरी ने प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आवश्यक परिवर्तन हेतु प्रधानमंत्री मोदी और मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि विभित्र माध्यमों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप को अन्तिम रूप दे दिया गया है। परन्तु पिछले लगभग तीन माह से “चीनी कोरोना विषाणु ” की एक नई चुनौती विश्व एवं भारत के समक्ष खड़ी है। लगभग दो माह से सभी शैक्षिक संस्थान बंद हैं। बोर्ड की कुछ परीक्षाओं को छोडकर लगभग सारी परिक्षाएं लबित हैं।

इस चनौतीपूर्ण परिस्थिति में भी अनेक शैक्षिक संस्थाओं ने ऑनलाइन के माध्यम से कुद् मात्रा में शिक्षा का कार्य जारी रखा है। इसके साथ ही भविष्य की दृष्टि से कुछ अवसर भी दिखाई दे रहे हैं। इस चुनौती को अवसर में बदलने हेतु प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के प्रारूप में कुछ बदलाव करना भाी आवश्यक लगता है। कम से कम तीन-चार स्तर पर आधारभत परिवर्तन के सन्दर्भ में सोचना होगा –

ऑनलाइन शिक्षा कितनी मात्रा में, स्वरूप क्या हो ? इसे हेतु विद्यालयी एवं उच्च शिक्षा के लिए एक मार्गदर्शिका भी तैयार करना आवश्यक होगा।

पाठ्यक्रम में बदलाव

स्वास्थ्य शिक्षा, योग शिक्षा आदि को शिक्षा के सभी स्तर पर लागू करने का विचार करना आवश्यक होगा।

स्वदेशी स्वावलंबन, अर्थ व्यवस्था को पाठयक्रम में जोड़ना ।

– चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में उचित बदलाव की आवश्यकता ।

– छात्रों, युवाओं में सेवा की भावना जगाने हेतु सेवा कार्य एवं प्राथमिक चिकत्सा के पाठयक्रम पर भी विचार किया जाए।

कौशल शिक्षा (स्किल डेवलपमेंट)

– अभी तक चलाये जा हे कौशल-शिक्षा के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन आवश्यक है।

– छात्रों को विषयों के अनुसार कौशल शिक्षा दी जानी चाहिए।

– देश, समाज के अनुसार कौशल शिक्षा विचार करना चाहिए।

– कौशल शिक्षा में उपचर्या (नर्सिंग) नागरिक स्वयंसेवक (सिविल वालंटियर्स) आदि पाठ्यक्रमों पर विचार करना चाहिए।

सभी शैक्षिक संस्थानों में विशेष करके सरकारी संस्थाओं में स्वदेशी वस्तओं के उपयोग को अनिवार्य करना।

छात्रों की व्यक्तिगत, पारिवारिक, शैक्षिक समस्याएं एवं भविष्य की की पढ़ाई तथा व्यवसाय की दृष्टि से मार्गदर्शन हेतु विमर्श केंद्र प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में अनिवार्य रूप से हो।

इस प्रकार के कुछ और परिवर्तन हैं जो कि प्रस्तावित नई राष्टीय शिक्षा नीति में चीनी कोरोना विषाणु के उपरान्त की परिस्थति एवं भविष्य की चुनौतियों एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर नीति के प्रारूप में परिवर्तन करके राष्टीय शिक्षा नीति की घोषणा की जाए।