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आर्थिक पैकेज : नई घोषणा के बाद बिहार ले सकता है 52,263 करोड़ का कर्ज

कर्ज की 2 फीसदी सीमा बढ़ाए जाने से बिहार कर सकेगा 12,922 करोड़ की अतिरिक्त उगाही

पटना: उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कोरोना संकट के मद्देनजर प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के पांचवे दिन केन्द्र सरकार द्वारा बिहार सहित अन्य राज्य सरकारों की मांग पर कर्ज लेने की सीमा को राज्य सकल घरेलु उत्पाद (एसजीडीपी) के 3 से बढ़ा कर 5 फीसदी करने से बिहार 12,922 करोड़ का अतिरिक्त ऋण ले सकेगा।

सुशील मोदी ने कहा कि पहले के प्रावधान के अनुसार बिहार को एसजीडीपी के 3 प्रतिशत के दायरे में 39,341 करोड़ के ऋण लेने की अनुमति थी। कर्ज की सीमा 5 फीसदी करने से अब बिहार कुल 52,263 करोड़ की उगाही कर सकता है।

केन्द्र द्वारा बिना किसी शर्त के 0.5 प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति के तहत बिहार अतिरिक्त 3,230 करो़ड़ तथा निर्घारित 4 शर्तों मसलन ‘एक देश, एक राशन कार्ड’, ऊर्जा वितरण, शहरी निकाय व ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस में सुधार करके अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत के अन्तर्गत 6,661 करोड़ का कर्ज ले सकेगा।

उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वार मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार के लिए 40 हजार करोड़ के अतिरिक्त आवंटन का लाभ भी बिहार को मिलेगा। वैसे, बिहार को 2020-21 का 1,124 करोड़ का आंवटन पिछले महीने मिल चुका है। मनरेगा के तहत राज्य में 3.50 लाख योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है तथा 2.17 लाख प्रवासी मजदूरों के नए जाॅब कार्ड बनाए जा चुके हैं।

लाॅकडाउन के कारण स्कूल-काॅलेजों के बंद रहने के बावजूद कक्षा 1 से 12 के लिए समर्पित चैनल, डिजिटल प्लेटफाॅर्म व सामुदायिक रेडियो के व्यापक विस्तार के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा से भी बिहार लाभान्वित होगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के लिए की गई धोषणाओं के तहत प्रत्येक जिलों में संक्रामक रोग अस्पताल व प्रत्येक प्रखंड में टेस्ट लैब आदि की स्थापना का लाभ बिहार को मिलेगा।

इसके अलावा नई सार्वजनिक क्षेत्र की उद्यम नीति, काॅर्पोरेट्स के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस,कंपनी अधिनियम की डिफाल्ट्स का डिक्रिमिनलाईजेशन जैसी सुधारात्मक घोषणाओं से भी लाॅकडाउन की वजह से ठप्प पड़ी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगी।

राज्य अपने जीडीपी के 5 फीसदी के बराबर कर्ज ले सकते हैं

विदित हो कि आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों को जीडीपी के पांच फीसद के बराबर कर्ज उठाने की मंजूरी दी है। लेकिन यह केवल एक साल के लिए है।