जैविक खेती कर नवादा के किसान संवार रहे अपना भविष्य

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a farmer in his organic farm in nawada

नवादा : जिले के हिसुआ प्रखंड का सिघौली इकलौता गांव जहां समूह बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा देने का काम हो रहा है। यहां के किसान जय बुद्ध कृषक हित समूह सिघौली एवं जैविक सब्जी उत्पादन समूह से जुड़कर जैविक सब्जी के खेती का बढ़ावा दे रहे हैं।

जय बुद्ध कृषक हित समूह सिघौली व सब्जी जैविक सब्जी उत्पादन समूह में कुल 25 सदस्य हैं। इस संस्था के अध्यक्ष मुसाफिर कुशवाहा, सचिव मनोज कुमार एवं कोषाध्यक्ष प्रयाग चौधरी हैं। संस्था को भारत सरकार से निबंधित है। सरकार निबंधित समूह के किसान को ही सरकारी खर्च पर प्रशिक्षण के लिए भेजती है।  प्रशिक्षित किसान ही जैविक खेती कर सकते हैं। संस्था से जुड़े किसान अधिक उत्पादन कर अपना जीवन स्तर में सुधार कर रहे है। संस्था के किसानों की देखा-देखी अन्य किसानों का भी झुकाव जैविक खेती की ओर हो रहा है।

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जैविक खेती की क्या है विशेषता

संस्था से जुड़े कृषक बताते हैं कि जैविक खेती में चाहे वह रबी, खरीफ, भदई या फिर सब्जी की खेती हो उसमें रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता है। फसल पूर्णत: जैविक खाद एवं वर्मी कंपोष्ट के सहारे उगाया जाता है। कीट नाशक के रूप में गोमूत्र में नीम, बेलपत्र एवं गिलोय के पत्तों को सड़ाकर आश्वन विधि से बनाया गया दवा का ही प्रयोग होता है। जैविक खेती से फसलों की पैदावार भी ज्यादा होती है। जैविक विधि से उगाए सब्जी ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव मानव शरीर पर नहीं होता है। ज्यादा फसल होने से किसानों की आर्थिक स्थित भी सुदृढ़ होती है। आर्थिक स्थिति ठीक होने पर किसान का रहन-सहन में बदलाव होता है।

नहीं है भंडरण एवं मार्केटिग की व्यवस्था

अध्यक्ष मोसाफिर कुशवाहा कहते हैं कि खेती से लाभ तो है, लेकिन भंडारण व मार्केटिग की सही व्यवस्था नहीं रहने से सब्जी दो-तीन दिन के बाद खराब होने लगती है। भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से किसानों को कम दाम पर आढत में अपने उत्पाद को बेचना पड़ता है ।

सरकार द्वारा निशुल्क दिया जाता है प्रशिक्षण

सरकार द्वारा निबंधित समूह के किसानों को देश एवं राज्य के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इस संस्था के किसानों को प्रशिक्षण के लिए बिहार के भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय, पटना के गोमती उत्पादन केन्द्र, झारखंड के बिरसा मुंडा कृषि विश्व विद्यालय, उतर प्रदेश के लखनऊ एवं उत्तराखंड के देहरादून कृषि विश्वविद्यालय में एक- एक सप्ताह का प्रशिक्षण ले चुके हैं। समूह के किसानों को फसल उगाने एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सस्ते दर पर अनुदान पर ऋण भी दिया जाता है। इस वर्ष आत्मा के माध्यम से जैविक सब्जी उत्पादन समूह सिघौली के किसानों को सभी तरह के सब्जी का एक- एक पैकेट (20 ग्राम) का उच्च क्वालिटी का बीज निशुल्क उपलब्ध कराया गया है।

कहते हैं अधिकारी

जैविक सब्जी उत्पादन समूह सिघौली द्वारा उगाए गए सब्जी का सर्टिफिकेटिग होना है। सर्टिफिकेटिग में प्रमाणित हो जाएगा कि उगाए गए सब्जी जैविक हैं तो उत्पाद पर जैविक की मुहर लग जाएगी। जैविक की मुहर लग जाने से उत्पाद का मूल्य डेढ़ गुणा हो जाएगा । ग्राहक का भी रसायनिक उत्पाद की जगह जैविक उत्पाद पर ज्यादा जोर होगा। लॉकडाउन के कारण सर्टिफिकेटिग के काम में विलंब हुआ है, शंभु प्रसाद, जिला उद्यान पदाधिकारी, नवादा।

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