खतरे में मंत्री जी की नौकरी, 6 माह लॉकडाउन चलता रहा तो देना होगा इस्तीफा!

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पटना : लॉकडाउन से बिहार में आम तो आम, अब नेताजी की नौकरी भी खतरे में पड़ गई है। आज बुधवार को बिहार विधान परिषद के 17 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। इनमें पक्ष—विपक्ष के कई मंत्री और विधायक और यहां तक कि परिषद के कार्यकारी सभापति का भी टर्म पूरा हो गया है। उधर चुनाव आयोग ने कोरोना के चलते चुनाव कराने से इनकार कर दिया है। ऐसे में यदि लॉकडाउन यूं ही अगले छह माह तक जारी रहा तो बिहार सरकार के मंत्रियों अशोक चौधरी और ​नीरज कुमार को इस्तीफा भी देना पड़ सकता है। आइए जानते हैं क्यों?

विधान परिषद के 17 नेताजी की सदस्यता हो गई खत्म

बिहार विधान परिषद के 17 सदस्यों का कार्यकाल आज बुधवार से समाप्त हो रहा है। इस लिस्ट में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार, भवन निर्माण मंत्री डॉ अशोक चौधरी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मदन मोहन झा और परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद भी शामिल हैं। लॉकडाउन की पाबंदी की वजह से निर्वाचन आयोग ने बिहार विधान परिषद का चुनाव करवाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में बाकी लोग, जैसे मदन मोहन झा और टर्म पूरा कर लेने वाले अन्य नेता तो महज परिषद की सदस्यता से वंचित हो लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर लेंगे। लेकिन मंत्री पद पर बैठे लोगों को अगले छह माह में हर हाल में परिषद का सदस्य निर्वाचित होना होगा। वर्ना उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ जाएगा।

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अगले छह माह तक मंत्री बने रहेंगे, पर होना होगा निर्वाचित

संविधान विशेषज्ञों के अनुसार सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी फिलहाल टर्म पूरा होने के बाद भी मंत्रिमंडल में बने रहेंगे। लेकिन उन्हें अगले 6 माह के भीतर परिषद के लिए निर्वाचित हो जाना होगा। संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार बिना किसी सदन का सदस्य रहते व्यक्ति अगले 6 महीने तक अपने पद पर रह सकता है। लेकिन इस अवधि के दौरान उन्हें निर्वाचित हो जाना होगा। अगर वे निर्वाचित नहीं होते या किसी सदन का सदस्य नहीं चुने जाते तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।

विधान परिषद में इन नेताओं का हो रहा है कार्यकाल समाप्त

आज विधान परिषद के जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद, बीजेपी नेता देवेश चंद्र, जदयू नेता दिलीप कुमार चौधरी, एनके यादव, बीजेपी नेता नवल किशोर यादव, संजय कुमार सिंह, केदारनाथ पांडे, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, हीरा प्रसाद, कृष्ण कुमार सिंह, संजय मयूख, राधा मोहन शर्मा आदि शामिल हैं।

मई माह में परिषद की 75 में से 29 सीटें हो जायेंगी खाली

इन नेताओं में से 8 शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे, जबकि बाकी 9 सदस्य विधायकों के वोट से 6 साल पहले चुने गए थे। कोरोना के कारण निर्वाचन आयोग ने 3 अप्रैल को ही इन सीटों के लिए मतदान कराने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा 23 मई को परिषद की मनोनीत 12 सीटें भी खाली हो रही हैं। इस तरह 75 सदस्यीय विधान परिषद की 29 सीटें इस महीने खाली हो जाएंगी।

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