नवादा : जिले के चर्चित डाकघर घोटाले की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के अधिकारी बुधवार दोपहर बाद नवादा पहुंचे। अधिकारियों ने प्रधान डाकघर पहुंच कर प्रारंभिक जांच शुरू की। सीबीआइ टीम के नवादा पहुंचने की खबर के बाद महकमे में हड़कंप मच गया।
जांच अधिकारी कुमार अभिनव सहित दो सदस्यीय टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारी सबसे पहले डाकघर पहुंच कर डाक अधीक्षक रणधीर कुमार से मुलाकात की। तकरीबन 10-15 मिनट तक ठहर कर जांच टीम ने आवश्यक जानकारी जुटाई। इसके बाद दोनों अधिकारी नगर थाना नवादा पहुंचे और अब तक मामले की जांच कर रहे एसआइ बैजनाथ प्रसाद से मिलकर घोटाले से संबंधित जानकारी ली। हालांकि जांच अधिकारियों ने मीडिया के समक्ष कोई जानकारी नहीं दी। अधिकारियों ने सिर्फ इतना ही कहा कि फिलहाल प्रारंभिक जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि प्रधान डाकघर में 5.57 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। जिसके बाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद पिछले ही साल राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए सीबीआइ से अनुशंसा की थी। हाल में ही कुछ दिन पहले सीबीआइ ने मामले से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करते हुए तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद और कैशियर अंबिका चौधरी (अब मृत) को आरोपित किया था। इधर, डाक अधीक्षक रणधीर कुमार ने बताया कि सीबीआइ ने केस हैंडओवर कर लिया है।
क्या है पूरा मामला
मई 2019 में प्रधान डाकघर में घोटाले का मामला सामने आया था। दरअसल, अप्रैल 2019 में वहां के कैशियर अंबिका चौधरी (अब मृत) का तबादला हो गया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी प्रभार नहीं सौंपा जा रहा था। प्रभार सौंपने में विलंब के बीच अप्रैल माह के अंत में विभागीय अंकेक्षण शुरू हुआ। इस दौरान पाया गया कि बैंक से निकाली गई राशि को डाकघर की पंजी में नहीं दर्शाया गया है। मई माह में दो करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया। तब डाक अधीक्षक ने तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद व कैशियर अंबिका चौधरी को निलंबित कर दिया था। तत्कालीन डाक अधीक्षक विनोद कुमार पंडित ने सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया गया था। जांच के दौरान पाया गया कि 5.57 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। बाद में करीब ढ़ाई करोड़ रुपये जमा भी कराए गए। शेष राशि जमा नहीं की जा सकी थी।
गत वर्ष दर्ज कराई गई थी प्राथमिकी
सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार ने तत्कालीन डाकपाल कपिलदेव प्रसाद व कैशियर अंबिका चौधरी के विरुद्ध नगर थाना में 9 मई 2019 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके बाद नगर थाना व बुंदेलखंड थाना की पुलिस ने पार डोभरा मोहल्ला स्थित कैशियर अंबिका चौधरी के घर पर छापेमारी भी की थी, लेकिन कैशियर के घर पर ताला बंद पाया गया था। पुलिस प्रशासन का दबाव व मामले की सीबीआइ जांच होने की खबर पर कैशियर ने 4 नवंबर 2019 को कोर्ट में आत्मसर्पण कर दिया। वहीं, डाकपाल कपिलदेव प्रसाद को 9 नवंबर 2019 को हिसुआ स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था।
आरोपित कैशियर की हो चुकी है मौत
डाकघर घोटाले में आरोपित कैशियर अंबिका चौधरी की मौत हो चुकी है। पटना स्थित पीएमसीएच में इलाज के दौरान इसी साल 20 जनवरी को मौत हुई थी। आरोपित कैशियर लीवर और किडनी की बीमारी से जूझ रहा था। व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण के बाद से वे जेल में बंद थे।
जांच में कई लोगों की हो सकती है संलिप्तता
सीबीआइ जांच शुरू होने के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। दोनों आरोपितों के अलावा अन्य लोगों की भी संलिप्तता सामने आ सकती है। एक पुलिस पदाधिकारी ने चर्चा के दौरान कहा कि यह संभव ही नहीं है कि कोई क्लर्क या खजांची इतना बड़ा घोटाला कर ले और अन्य अधिकारियों को इसका पता न चले। अब सीबीआइ ने जांच का जिम्मा पकड़ लिया है तो परत दर परत रहस्य सामने आ जाएगा। यह भी संभव है कि घोटाले की रकम बड़ी हो। बहरहाल, सीबीआइ के अधिकारियों के नवादा पहुंचने के बाद डाक विभाग में हड़कंप मचा है कोई भी अधिकारी या कर्मी कुछ बोलने-बताने से कतराने लगे हैं।