राज्यसभा के लिए जातीय समीकरण का ध्यान रख भाजपा खोज रही नया चेहरा

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पटना : राज्यसभा में खाली हो रहे 55 सीटों में से बिहार से राज्यसभा में इस बार पांच सीटें खाली हो रही है। खाली हो रहे 5 सीटों को लेकर अभी तक किसी भी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सभी पार्टियां साल के अंत तक संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर जातीय समीकरण का ध्यान रखकर उम्मीदवार तलाश रहे हैं।

भाजपा कोटे से जो दो सीटें खाली हो रही है उन दो सीटों में से एक सीट पर भूमिहार समाज में गहरी पैठ रखने वाले डॉ सीपी ठाकुर तथा एक अन्य सीटों पर लक्ष्मी पुत्र तथा कायस्थ समाज से ताल्लुक रखने वाले आर के सिन्हा सदस्य हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को भाजपा सक्रीय राजनीति में नहीं रखना चाहती है। डॉ सीपी ठाकुर 89 वर्ष से अधिक के हो गए हैं। वहीँ आर के सिन्हा 70 वें वसंत में प्रवेश करने वाले हैं।

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ऊंची जाति के चेहरे पर दांव खेलेगी भाजपा

हालांकि यह तय है कि भाजपा इस बार ऊंची जाति के किसी चेहरे पर दांव खेलेगी। भाजपा के खाते में जो एक सीट गई है वह भूमिहार या फिर कायस्थ कोटे से भरी जाएगी। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव के समय ब्रह्मजनों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं देने के कारण प्रभावशाली अगड़ी जातियों के कुछ नेताओं की बगावत से चिंतित तात्कालीन भाजपा अध्यक्ष ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी पी ठाकुर, सांसद सतीश चंद्र दुबे और विधान परिषद सदस्य सच्चिदानंद राय के साथ बैठक की थी। अमित शाह के साथ बैठक करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि ‘‘पार्टी भूमिहारों और ब्राह्मणों’’ को राज्यसभा और विधान परिषद में ज्यादा प्रतिनिधित्व देगी। तथा संवाददाता सम्मलेन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सी पी ठाकुर, सांसद सतीश चंद्र दुबे और विधान परिषद सदस्य सच्चिदानंद राय भी मौजूद थे।

भूमिहार समाज में खोज जारी

पार्टी सतीश चंद्र दुबे को राज्यसभा भेज चुकी है। डॉ सीपी ठाकुर को उम्र के लिहाज से फिर से राज्यसभा भेजना नहीं चाहेगी। वैसे भी सीपी ठाकुर भूमिहारों का सर्वमान्य नेता हैं। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में आरके सिन्हा की जगह रविशंकर प्रसाद को उम्मीदवार बनाकर कायस्थ वोटरों को अपने पाले में लाने में सफल रही। वर्तमान में सरकार तथा संगठन में वैश्य /अतिपिछड़ा समाज का उचित प्रतिनिधित्व दे रखी है। राजपूत समाज से पार्टी में बड़े-बड़े नाम हैं। भूमिहार समाज से एकमात्र नेता हैं गिरिराज सिंह। ऐसी स्थिति में पार्टी किसी भूमिहार नेता को ही राज्यसभा भेजना चाहेगी।

विपक्ष को मौका नहीं देना चाहती है भाजपा

भूमिहार समाज के बारे में बात करें तो पार्टी वैसे नेता को राज्य सभा भेजना चाहेगी जो मुखर होके अपनी बात रख सके, क्षेत्र में दबदबा हो, अपनी जाति के अलावा सभी वर्गों में स्वीकार्यता हो,पढ़ा-लिखा हो। भाजपा के उच्चस्थ सूत्रों की मानें तो भाजपा संसाधन संपन्न किसी ऐसे कार्यकर्ता को राज्यसभा भेज सकती है जो पार्टी के सोशल नेटवर्किंग तथा रिसर्च व डिजिटल मार्केटिंग की विश्वस्तरीय समझ रखता हो। भाजपा के नीतिकारों का मानना है कि सीपी ठाकुर की जगह यदि उनके समाज से किसी को राज्यसभा नहीं भेजा गया तो चुनाव के इस वर्ष में उनका असंतोष भड़क सकता है। ऐसे असंतोष को विपक्षी हवा देने से बाज नहीं आएंगे।

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