पटना : बिहार में कहने को तो महागठबंधन में कई दल हैं, लेकिन मोटमोटी देखें तो राजद और कांग्रेस ही दमखम रखते हैं। बाकी रालोसपा, मांझी और मुकेश साहनी बस महागठबंधन के नाम पर महज ‘हल्ला पार्टी’ का ही रोल निभा रहे। चुनाव को लेकर जहां सभी पार्टियों ने अपने आधार वोट को साधना शुरू कर दिया, वहीं ये ‘हल्ला पार्टी’ वाले अभी तक कंधा ही तलाश रहे हैं।
चुनाव करीब, महागठबंधन के होनहार बेचैन
इसी के तहत इन पार्टियों के नेता—उपेंद्र कुशवाहा, मांझी और मुकेश साहनी ने प्रशांत किशोर के साथ एक गुप्त बैठक की ताकि कुछ उनके लिए राजनीतिक रास्ता निकल सके। लेकिन जो खबर इस बैठक के बाद बाहर आई उससे उन्हें यहां भी कोई समाधान मिलता नहीं दिख रहा।
काम न आई प्रशांत किशोर संग गुप्त बैठक
विहार में इस समय चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर विपक्षी पार्टियों के हॉट के बने हुए हैं। प्रशांत किशोर के साथ हुई इस बैठक में महागठबंधन की ओर से रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा, हम के प्रमुख जीतनराम मांझी और वीआईपी नेता मुकेश सहनी मौजूद थे। सूत्रों का दावा है कि किशोर ने इस बैठक में साफ कर दिया कि वे महागठबंधन के नेताओं की कोई मदद नहीं करेंगे।
उल्टे पीके ने दिया जुड़ने का न्योता
उल्टे प्रशांत किशोर ने इन नेताओं से कह दिया कि अगर वे लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं, तो जुड़ सकते हैं। पीके ने तीनों नेताओं से यह भी कहा कि वे बिहार की बेहतरी के लिए काम करेंगे और फिलहाल कोई पार्टी बनाने नहीं जा रहे हैं।
करनी थोड़ी, पर दिल है कि मानता नहीं
अब महागठबंधन के इन ‘होनहार’ नेताओं के साथ दिक्कत यह है कि डिलिवर करने के मामले में इनका चुनावी ट्रैक रिकार्ड तो शून्य है, लेकिन इनका मन और मुंह है कि छोटा होता ही नहीं। कुशवाहा, मांझी और मुकेश—सभी ज्यादा से ज्यादा सीट शेयरिंग के लिए मुंह बाये हुए हैं। कुशवाहा तो सीएम बनने की भी महत्वकांक्षा रखते हैं। तभी इन्होंने तेजस्वी को अब तक महागठबंधन का सीएम फेस नहीं माना है। चुनाव नजदीक आ रहा है और मन भी शीट शेयरिंग के मामले में झुकने को तैयार नहीं, ऐसे में इन घटकों की बेचैनी बढ़ गई है। पीके से उन्हें बहुत उम्मीद थी। पर उनकी दोटूक ने इन्हें अंदर से हिला दिया है।