पटना : जन अधिकार पार्टी के सर्वेसर्वा पप्पू यादव पटना में भाजपा कार्यालय के बाहर 35 रूपये किलो प्याज बेच रहे हैं। प्याज लेने के लिए लोगो की लंबी कतार लगी हुई है। इसके पहले पटना में जलजमाव के दौरान भी पप्पू यादव ने पानी और राशन बांटा था। लेकिन राशन, पानी और सस्ते प्याज की आवक पप्पू यादव कहां से कर रहे हैं, यह बड़ा प्रश्न है। क्या उनके पास सरकार से भी ज्यादा माल और तंत्र है जो वे वह काम करने लग जा रहे हैं जो वैधानिक सिस्टम नहीं कर पा रहा। आइए जानते हैं पप्पू यादव की जनसेवा का सच।
बिल्डर ने दर्ज कराई थी रंगदारी की प्राथमिकी
पप्पू यादव पर हाल ही में पटना के एक बड़े बिल्डर ‘अपना घर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक ने 10 लाख की रंगदारी मांगने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बिल्डर ने तब आरोप लगाया था कि पप्पू यादव ने उनसे सबसे पहले अपनी रैली के लिए 20 लाख रुपये देने की मांग की। जब उन्होंने रंगदारी देने से मना कर दिया तब उन्हें फोन पर पप्पू यादव द्वारा धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। बार—बार मांगने पर भी जब उन्होंने पैसा देना स्वीकार नहीं किया तब उन्हें जान से मार डालने की धमकी दी जाने लगी।बिल्डर ने पप्पू यादव के साथ फोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग भी पुलिस को सौंपी थी।
जलजमाव को लेकर राजेंद्र नगर में की सभा
बताया जाता है कि उस समय पप्पू यादव राजधानी के राजेंद्र नगर स्थित शाखा मैदान में जलजमाव को लेकर अपने पूर्व घोषित राजभवन मार्च से पहले एक रैली करने वाले थे। उन्होंने वहां आयोजन किया भी और उसमें कोसी इलाके से बड़ी बसों में भरकर भीड़ भी जुटाई थी। रैली में शामिल भीड़ को उन्होंने पूड़ी—सब्जी भी खिलाई थी। जाहिर है कि उस आयोजन में भी लाखों खर्च हुए होंगे। इस रैली के बाद ही उनके खिलाफ बिल्डर ने पप्पू के खिलाफ रंगदारी की प्राथमिकी दर्ज कराई।
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आपराधिक मामलों का रहा है इतिहास
समझदार को इशारा काफी है। आप भी समझ गए होंगे कि अब 35 रुपए प्रति किलो प्याज को पप्पू यादव कैसे मैनेज कर रहे होंगे। दरअसल, ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है। पप्पू यादव ने एक लंबा अरसा रंगदारी, मर्डर, हत्या की कोशिश आदि आरोपों में जेल के भीतर काटा है। हालांकि पूर्णिया के बहुचर्चित अजित सरकार हत्याकांड समेत किसी भी मामले में उन्हें सजा नहीं हुई और वे साफ निकल गए।
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राजनीतिक सक्रियता बरकरार रखने की मजबूरी
मौजूदा वक्त में पप्पू यादव और उनकी कांग्रेसी पत्नी रंजीता रंजन, दोनों चुनाव हार चुके हैं। अभी पति—पत्नी का यह जोड़ा कहीं भी और किसी भी सदन का सदस्य नहीं है। पप्पू यादव को सहरसा—मधेपुरा में अपनी राजनीतिक जमीन छिनती जान पड़ रही है। ऐसे में खुद को राजनीतिक रूप से सक्रिय दिखाने के अलावा पप्पू यादव के पास और कोई विकल्प भी नहीं है। जलजमाव के बाद अब प्याज में उन्हें वह मौका नजर आ रहा है, जो उन्हें राजनीतिक मौत से बचा सकता है। अब इसके लिए चाहे जो करना पड़े, वे आमलोगों को मुहैया कराने के लिए सस्ता प्याज तो जुटा ही ले रहे हैं।
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