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क्या बदलेगा संघ के प्रति नजरिया? भविष्य के लिए तीन दिनी ‘संवाद’

पटना/नयी दिल्ली : नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आज से शुरू हो रहे आरएसएस के कार्यक्रम पर पूरे विश्व की पैनी नजर है। ‘भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण’ विषय पर यह कार्यक्रम 17 से 19 सितंबर तक हो रहा है। इसमें भविष्य के भारत की परिकल्पना और संघ की सोच, विषय पर संघ प्रमुख मोहन भागवत देश के बुद्धिजीवियों व प्रमुख राजनीतिक दलों समेत विश्व के तमाम देशों के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद करेंगे। संघ की ओर से इस कार्यक्रम में 40 दलों के नेताओं के अलावा धार्मिक नेताओं, फिल्म कलाकारों, खेल हस्तियों, उद्योगपतियों और विभिन्न देशों के राजनयिकों को बुलावा भेजा गया है।

विश्व की चुनौतियां और भारत की स्थिति

ग्लोबल चेंज के इस दौर में विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के समक्ष कई चुनौतियां हैं। ऐसे में भविष्य का भारत कैसा हो? वह कैसे आगे बढ़े, ताकि उसकी ​’विश्वगुरु’ की परिकल्पना फिर साकार हो सके। इसी मंशा को ध्यान में रखकर यह बैठक हो रही है। यह विडंबना ही है कि इतने महत्वपूर्ण विषय और अवसर पर भी विपक्षी विचारधारा के लोगों ने ठंडा रुख अपना लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही इस समारोह में शामिल नहीं होंने की बात कह दी है।

क्या दुष्प्रचार का टूटेगा मिथक?

अपने 93 साल के इतिहास में आरएसएस ने पहली बार बड़े स्तर यह अनोखी पहल की है जिसमें सरसंघचालक मोहन भागवत भविष्य के भारत को लेकर संघ का नजरिया पेश करेंगे. संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी। उसी समय से भारत में संघ को लेकर एक दुष्प्रचार का बातावारण कायम किया गया। इसे एक कट्टर हिंदूवादी संगठन के तौर पर पेश किया गया। हालांकि इस संगठन के खिलाफ विरोधी विचारधारा वाले कुछ भी ऐसा तथ्य सामने नहीं ला सके जिन्हें गैरकानूनी करार दिया जा सके। माना जा रहा है कि आरएसएस के प्रति इन्हीं गलत धाराणाओं को तोड़ने की कोशिश होगी। संघ के इतिहास में पहली बार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने करीब एक हजार प्रबुद्ध लोगों को संवाद करने के लिए बुलाया है। इसमें वे संघ को वि​रोधियों द्वारा आतंकी संगठन से लेकर एससी/एसटी विरोधी संगठन के तौर पर पेश करने की कोशिशों का एक—एक कर जवाब देंगे। अब देखना यह है कि कि 2019 के आम चुनाव से छह माह पहले हो रहे इस कार्यक्रम से क्या संघ के प्रति विरोधी विचारधारा वालों का नजरिया कुछ बदलेगा?

एक ईमानदार विचारधारा की ईमानदार कोशिश

संघ का कहना है कि समूचा विश्व और भारत का प्रबुद्ध वर्ग राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर संघ का दृष्टिकोण जानने को उत्सुक है। इसी परिपेक्ष्य में इस व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर संघ का विचार सब के सामने रखेंगे।