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बटुए में संभालिए ’एटीएम’

घर-घर में एटीएम का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है और रुपए की तरह यह सभी के पर्स या पॉकेट में मौजूद रहता है। पुराने जमाने में लोग अपने रुपए पैसों को चोर लुटेरों के डर से किसी सुरक्षित स्थान पर तिजोरी में रखते थे। अब अपने पैसों को बैंक में रखते हैं। अपने पैसों का इस्तेमाल एटीएम कार्ड द्वारा करते हैं, जो कि चैबीसों घंटे सप्ताह के सातों दिन उपलब्ध रहता है। हमारे पैसों पर लुटेरों का ध्यान हमेशा लगा रहता है तथा वे रोज लूट के नए-नए तरीके अपनाते हैं। इसलिए इससे जुड़़ी जानकारी एवं जोखिम के बारे में जानना जरूरी है।

बेमतलब नहीं सोलह डिजिट

एटीएम होता क्या है? एटीएम कार्ड बैंक में जमा पैसों का उपयोग करने का जरिया है, जिसे हम कभी और किसी एटीएम पर इस्तेमाल कर सकते हैं। कार्ड के ऊपर एक मैग्नेटिक चिप एवं पीछे मैग्नेटिक स्ट्रिप होता है, जिस पर हमारे बैंक खाते से जुड़ी जानकारी होती है। जैसे कि बैंक का नाम, खाता संख्या, खाताधारक का नाम, निकासी की सीमा इत्यादि के बारे में सारी जानकारी रहती है। इन सब चीजों को आप दिए गए छाया चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं। एटीएम कार्ड के सामने वाले भाग पर 16 नंबर लिखे होते हैं। शुरू के 6 अंक कंपनी से सम्बंधित रहते हैं। यानी कार्ड निर्गत करने वाली कंपनी जैसे कि वीसा, मास्टर, मैस्ट्रो, रुपे आदि से 15 नंबर बैंक खाते से लिंक रहते हैं। 16वां अंक सत्यापन हेतु है, जिसके नीचे वैलिड थ्रू के तहत महीना व साल लिखा रहता है। इसका मतलब आपका कार्ड उस महीने और साल तक वैध है।

सवधानी बरतना बेहद जरूरी

आप कार्ड नम्बर और वैलिड थ्रू कभी फोन पर या किसी दूसरे को न बताएं। आपके संचित पैसे पर किसी धोखाधड़ी करनेवाले की नजर है। वैलिड थ्रू के नीचे कार्ड होल्डर का नाम होता है। एक और मह्त्वपूर्ण नंबर है सीवीवी नंबर (कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू नंबर), जो कि 3 अंकों का होता है। यह नम्बर कार्ड के पीछे लिखा होता है। जैसे कि छायाचित्र में सिग्नेचर करने के लिए दिए गए स्थान के ठीक बगल में अंकित नंबर 945 है। इसे भूलकर भी किसी से साझा न करें।

धोखाधड़ी की बानगी

आपको मदद करने के बहाने ठग एटीएम रूम में घुसते हैं और सबसे पहले ताक-झांककर आपका पिन कोड देख लेते हैं। फिर किसी कारण से पैसे नहीं निकलते हैं तो आपका कार्ड लेकर मदद करने के बहाने मशीन में डालने का नाटक करते हैं। इस बीच उनके हाथ में एक कार्ड रहता है जिसे आपके हाथ में थमा देते हैं। बाद में जब दूसरे एटीएम पर जाते हैं और रुपए नहीं निकलते तो एटीएम कार्ड को गौर से देखते हैं, तब पता चलता है कि जो एटीएम मेरे पास है वो किसी दूसरे के नाम से है। इस बीच आपके मोबाइल पर मेसेज आता है कि आपके खाते से इतने रुपए की निकासी की गई। आप अचंभित होते हैं और बैंक-थाने के बीच फंस जाते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और धोखाधड़ी करने वाले रुपए निकालकर रफूचक्कर हो जाते हैं या किसी मॉल से महंगे सामान की खरीदारी कर जाते हैं।
. कभी-कभी धोखाधड़ी करने वाले रुपए जहाँ से निकलते हैं उसमे पिन, ब्लेड आदि डालकर मशीन को अवरुद्ध कर देते हैं। आपको लगता है मशीन खराब है और आप चले जाते हैं। फिर धोखेबाज आकर पिन या ब्लेड निकालता है और रुपए लेकर चला जाता है।
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हुआ वैसे-वैसे धोखे के नए तरीके भी निकले। अब शातीर लोग पिन होल कैमरे के माध्यम से आपके एटीएम कार्ड के डिटेल चुरा लेते हैं। ये घटनाएं ज्यादातर पीओएस मशीन के उपयोग के दौरान होती हैं जहां आपका पिन, एटीएम कार्ड का डिटेल कैमरों द्वारा कैप्चर कर लिया जाता है।

रीमा शर्मा

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं)