गया/पटना : विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की शुरुआत हो चुकी है। गुरुवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी,राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार और शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने विष्णुपद मंदिर के विष्णुद्वार पर नारियल फोड़कर इस मेले का उद्घाटन किया। उद्घाटन के दौरान आचार्यों के द्वारा शंखनाद भी किया गया।
उद्धघाटन के मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि भारतीय सनातन परंपरा में अपने दिवंगत माता-पिता के लिए प्रतिवर्ष पितृपक्ष में तर्पण एवं पिंडदान करने का शास्त्रीय विधान है। एक द्विज के लिए यह दैनिक कृत्य है। आज भी एक सुपुत्र की यह इच्छा रहती है कि वह अपने दिवंगत माता-पिता के लिए ऐसा करे। शास्त्र ने इस कार्य के लिए गया धाम को सर्वोत्तम माना है। मान्यता है कि आश्विन मास में सूर्य के कन्या राशि पर अवस्थित होने पर यमराज पितरों को यमालय से मुक्त कर देते हैं। पितर पृथ्वी पर आकर यह इच्छा करते हैं कि उनके पुत्र गया क्षेत्र में आकर पिंडदान करें, ताकि उन्हें मुक्ति मिले।
वहीं कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि भगवान् श्रीराम ने भी अपने पारिवारिक दायित्व का निर्वहण करते हुए गयाधाम में अपने पिता महाराज दशरथ के लिए पिंडदान किया था। गरुड़ पुराण, शिवपुराण, आनंदरामायण आदि में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। गया धाम में पुत्र अपने पूर्वजों को पिंडदान और तर्पण के माध्यम से पारिवारिक दायित्व का निर्वहण करते हुए अपने माता-पिता के ऋण से उऋण होता है। परिवार का वह बाल-सदस्य जो अपने पूर्वजों से अपरिचित है, इस अवसर पर वह कौतूहलवश सबका परिचय पूछता है और जानकर आनंदित होता है। इस प्रकार पारिवारिक संबंधों के सुदृढ़ीकरण में पितृपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका है।