बजट का ब्रीफकेस युग खत्म, मोदी की बही—खाते वाली नई परंपरा शुरू

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नयी दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आजादी के बाद से चली आ रही बजट पेश करने की व्यवस्था को एकदम से बदल दिया। पुरानी व्यवस्था आज तब समाप्त हो गई जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़ों में लिपटे एक फोल्डर में 2019 का बजट पेपर लेकर संसद भवन पहुंची। इससे पहले भी मोदी सरकार ने बजट में कई बदलाव किये थे। पूर्व में मोदी सरकार ने रेल बजट को खत्म किया था। इसके बाद बजट को पेश करने की तारीख को बदला और अब ब्रीफकेस में बजट को ले जाने की परंपरा को भी खत्म कर दिया।

पहले भी भाजपा सरकारों ने किये बदलाव

अब तक बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री एक ब्रीफकेस में ही बजट लेकर संसद पहुंचते थे। सीतारमण बजट को इसके बजाए लाल रंग के सीलबंद कवर पैक में लेकर पहुंची। यही नहीं, पहले सामान्य तौर पर बजट फरवरी माह के आखिरी कारोबारी दिन को पेश किया जाता था। यह तारी 27 या फिर 28 फरवरी होती थी। लेकिन अब इसे फरवरी की पहली तारीख को पेश किया जाता है। बाजपेयी सरकार ने भी कुछ बदलाव किये थे। तब सरकार ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे के बजाए दिन के 11 बजे किया था। वहीं रेल बजट को अब केंद्रीय बजट में पूरी तरह से मिला दिया गया है।

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कारोबारी करते हैं बही—खाते का प्रयोग

इस ताजा बदलाव पर देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति ने कहा कि यह लाल कपड़ों में बहीखाता है जिसे आज भी कई व्यापारी अपने कारोबार में इस्तेमाल करते हैं। यह पुराने जमाने की वर्षों से चली आ रही परंपरा है। देश के पहले वित्त मंत्री आरके चेट्टी ने बजट को ब्रीफकेस में ले जाने की परंपरा को शुरू किया था। अब मोदी सरकार ने इसे ब्रीफकेस की बजाए लाल कपड़ों में लिपटे बही खाते के तौर पर पेश करने की नई शुरुआत की है।

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