सियासी ऊहापोह के बीच व्यूरोक्रेसी ने भी बदली चाल?

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पटना : विकास संबंधी संचिकाओं की गति अब धीमी हो गयी है। केन्द्र और राज्य में नए कैबिनेट विस्तार के बाद अचानक जदयू और भाजपा में आयी खटास से भाजपा अथवा जदयू के मंत्री संचिकाओं पर टिप्पणी मांगने लगे हैं। एक खास सरकारी टर्मिनाॅलाजी का प्रयोग करते हुए आला हुक्मरान भी संचिकाओं पर अब कमेंट भी संचिकाओं पर अलग तरीके से करने लगे हैं।

अफसरों के बीच सरकार के बंधन-गठबंधन पर चर्चा

कार्यालयों में हुक्मरान अब दबी जुबान सरकार के गठन-गठबंधन पर चर्चा करने लगे हैं। उन चर्चाओं में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इफ्तार पार्टियों में जाना और नहीं जाना, केन्द्र में जदयू द्वारा कैबिनेट विस्तार में एक मंत्री पद नहीं लेना तथा राजनीतिक जोड़तोड़ की बातें भी शामिल हैं। मतलब स्पष्ट है कि संचिकाओं पर मंत्रियों की हो रही टिप्पणी मात्र से अफसर समझने लगे हैं कि-सरकार में सबकुछ ठीकठाक नहीं है। गठबंधन में खटपट शुरू हो गयी है।

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नीतीश के पैंतरे से संचिकाओं की गति बदली

एक बुजर्ग नेता ने बताया कि जब व्यूरोक्रेटिक सर्किल में सरकार और बंधन-गठंबधन का खुसुर-फुसुर शुरू हो जाए तो समझिए-गड़बड़ी शुरू हो गयी है। कारण-संचिकाओं पर कमेंट।
वैसे, बिहार में बंधन-गठबंधन से ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह चर्चा मायने रखने लगी है कि मुख्यमंत्री किसके इफ्तार में गये और नहीं गये। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी किस नेता के बुलावे पर गये और नहीं गये। बिहार में नई कैबिनेट विस्तार को अंजाम जैसे ही दिया गया, उनमें कुछ मंत्रियों ने अपने विभाग बदले जाने पर नाराजगी भी जतायी। अलग बात है कि वे आगे मान गये और नये विभाग का प्रभार संभाल लिया।
वैसे, अभी पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव लिटमस टेस्ट में बुरी तरह परास्त होने के बाद दिल्ली प्रवास पर हैं। वे अभी पत्रकारों से मुखातिब भी नहीं हो रहे। पूछने पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री रधुवंश प्राद सिंह का जवाब था-भाजपा के खिलाफ नेशनल अल्टरनेटिव बनाने में जुटे हैं। देश की राजनीति की गति देख रहे हैं।

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