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बिहार में राजग की अन्‍तर्कथा- 1: सीट व चेहरे की लड़ाई, आखिर कौन बड़ा भाई

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां अपने हित की रणनीति बनाने में लगी हैं। इसके साथ ही शुरू है सीटों व चुनावी चेहरे के लिए खींचतान। बिहार की बात करें तो राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तय नहीं, लेकिन इसे लेकर तकरार हाेने लगी है।

सीट शेयरिंग पर तकरार

आगामी लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे और बिहार में राजग के चेहरे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में तकरार जारी है। भाजपा के अधिक सीटों पर दावे के बाद जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि अगर भाजपा को सहयोगी पार्टियों की ज़रूरत नहीं है तो वह अकेले ही सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े। जदयू अकेले चुनाव लड़ने को लेकर आश्‍वस्‍त है। हालांकि, उन्‍होंने यह भी कहा कि सीट बंटवारे का यह मसला बड़े नेता मिल-बैठकर सुलझा लेंगे।

बंटवारा के फॉर्मूला पर विवाद
राजग में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू नहीं हुई है कि मतभेद उभरने लगे हैं। बिहार में राजग के चार घटक दल हैं। इनमें सीटों का बंटवारा कैसे होगा, यह सबसे बड़ी समस्‍या बन गई है। पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो भाजपा को बिहार की 40 में से 22 सीटें मिलीं थीं, जबकि सहयोगी लोक जनश्‍ाक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को क्रमश: छह और तीन सीटें मिलीं थीं। तब राजद से अलग जदयू को केवल दो सीटें मिलीं थीं। इन आंकडा़ें को आधार बनाएं तो जदयू के लिए आठ-नौ सीटें हीं बचती हैं। पेंच यहीं फंस रहा है।

गत विस चुनाव को आधार बनाना चाहता जदयू
जदयू  2015 के गत विधानसभा चुनाव के नतीजों को सीट बंटवारे का आधार बनाना चाहता है। गत विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 सीटों में जदयू को 71 सीटें मिलीं थीं। तब भाजपा को 53 और लोजपा व रालोसपा को क्रमश: दो-दो सीटें मिलीं थीं। उस चुनाव में जदयू राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) तथा कांग्रेस के साथ महागठबंधन में था। बाद में वह राजग में शामिल हो गया।

भाजपा नेता नहीं रखते इत्‍तफाक

जदयू के दावे से भाजपा नेता इत्‍तफाक नहीं रखते। उनकी दलील है कि जदयू की असली ताकत बीते लोकसभा चुनाव से पता चलती है। ऐसे में जदयू इस बात से परेशान बताया जाता है कि अगर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला 2014 के लोकसभा चुनाव से निकलता है तो राजग में लोजपा और रालोसपा को 9-10 सीटें मिलेंगी। तब भाजपा व जदयू के लिए केवल 30 सीटें ही बचेंगी। ऐसे में भाजपा अगर विनिंग सीटाें पर दावा करे तो जदयू के लिए केवल आठ सीटें रह जाएंगी।

दबाव बनाने के लिए चुनावी चेहरे की रणनीति

बताया जाता है कि सीट शेयरिंग में ऊपर रहने की रणनीति के तहत जदयू ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में राजग का चेहरा कहा है। जदयू के अनुसार जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजग के चेहरा हैं, बिहार में नीतीश कुमार हैं। जदयू प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि इस चुनाव में नीतीश कुमार ही चेहरा हैं। राजग उनके बिना बिहार में नहीं जीत सकता।

उन्‍होंने इसे और स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि जब बिहार राजग में नीतीश कुमार बड़े भाई हैं तो चुनाव में उनका सीट शेयर भी बड़ा ही होगा। हालांकि, जदयू के इस बयान के बाद भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भाजपा पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेगी।

अभी तक तय नहीं सीट बंटवारे का फॉर्मूला

जदयू को लेकर राजग में सीट बंटवारा का क्‍या फॉर्मूला हो, यह फिलहाल तय नहीं हो सका है। जदयू को कम सीटों से संतोष्‍ा नही, यह जाहिर है। अगले महीने दिल्ली में होने वाली जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा तय मानी जा रही है। भाजपा में भी इसे लेकर मंथन जारी है, क्‍योंकि बिहार में जदयू के जनाधार को देखते हुए वह नहीं चाहेगी कि गठबंधन की एकता पर कोई आंच आए।

बड़ा सवाल: अब क्‍या होगा आगे

ऐसे में सवाल यह है कि आगे क्‍या होगा? अब सबकी निगाहें जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी हैं। उसमें पार्टी के रूख से बहुत कुछ तय होगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी जल्‍दी ही पटना आ रहे हैं। त‍ब भी इस विवाद के सार्थक हल की उम्‍मीद है।