नवादा : गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ बिहार का कश्मीर कहा जाने वाला ककोलत जलप्रपात इन दिनों लोगों का फेवरेट पर्यटक केंद्र बना हुआ है। यहां तीन दिवसीय विसुआ मेला आज रविवार से शुरू हो गया है। आमतौर पर मगध के इलाके में इसे सतुआनी मेला कहा जाता है। पूर्व के वर्षों की भांति इस बार भी मेला में सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी है। पहले दिन आसपास के गांवों के बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं और जलप्रपात में स्नान कर भगवान महावर की पूजा अर्चना करते हैं। ब्राह्मणों को दान-पुण्य कर सतुआ का प्रसाद लोग ग्रहण करते हैं।
मनाई जाती है आंबेडकर जयंती
14 अप्रैल से मेला प्रारंभ होने के कारण यहां बाबा साहब डॉ. भीम राव आंबेडकर की जयंती भी मनाई जाती है। ककोलत के केयर टेकर यमुना पासवान के नेतृत्व में दर्जनों वॉलेंटियर व आम लोग ककोलत गेट पर स्थापित बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया । मौके पर कुंड के पास मंदिर में ध्वजारोहन किया किया गया ।
खुले अस्थाई होटल
मेला को लेकर ककोलत में कई अस्थाई होटल खुल गये हैं। इसके अलावा चाट-पकौड़े, जलेबी, झिल्ली आदि की दुकानें भी खुलगई है। श्रृंगार की दुकानें भी लगी है। मेला में पहले दिन से ही रौनक देखने को मिल रहा है । जया देवी के नेतृत्व में सुरेश पासवान, धर्मेंद्र पासवान, दिलीप पासवान,रणधीर पासवान,अमर जीत पासवान समेत दर्जनों वॉलेंटियर सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाल रखा हैं।
मेला का है धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में मेष संक्रांति का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि शीतल जल प्रपात पर स्नान करने से गिरगिट व सर्प योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिलती है। आज के दिन ब्राह्मणों को घड़ा के साथ सतुआ दान किया जाता है।
पांडवों ने किया था अज्ञातवास
महाभारत के वन पर्व के अनुसार तब का काम्यक वन आज का ककोलत है। पांडवों का अज्ञातवास यहीं हुआ था। तब भगवान श्री कृष्ण का यहां आगमन हुआ था। ऋषि दुर्वासा को यहीं शिष्यों के साथ कुंती ने सूर्य के दिए पात्र में भोजन बनाकर खिलाया था तथा श्राप देने से रोका था। इसके साथ ही मां मदालसा ने यहीं अपने पति को कुष्ठ रोग से मुक्ति दिलाई थी। दुर्गा शप्तशती की रचना यहीं ऋषि मार्कण्डेय ने की थी। मगध में ककोलत की अपनी अलग पहचान है। इस अवसर पर स्थानीय लोग स्नान के बाद ब्राह्मणों को सतुआ दान कर सतुआ व आम का टिकोला खाते हैं। आसपास के गांवों के साथ ही पूरे प्रखंड में किसी के घर चूल्हा नहीं जलता तथा घर आए मेहमानों को भी सतुआ का भोजन परोसा जाता है।
कैसे पहुंचें यहां तक
नवादा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर गोविदपुर प्रखंड क्षेत्र में ककोलत जलप्रपात स्थित है। पटना-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 पर नवादा से रांची की ओर 15 किमी बढ़ने पर फतेहपुर मोड़ से गोविदपुर जाने वाली सड़क से यहां पहुंचा जाता है।
डेढ़ सौ फीट की उंचाई से गिरता है शीतल जल
ककोलत जलप्रपात शीतलता के लिए ख्याति प्राप्त है। इसीलिए इसे बिहार का कश्मीर कहा जाता है। सालोभर सैलानी यहां आते रहते हैं। गर्मी के दिनों में सैलानियों की संख्या में वृद्धि होती है। करीब 150 फीट की उंचाई से गिरता शीतल जल में स्नान कर लोग यहां गर्मी में भी ठंड का अहसास करने लग जाते हैं। जंगल व पहाड़ों के बीच गिरता झरना लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।