क्या टाइम—आउट हो गए शत्रुघ्न सिन्हा? नहीं लड़ेंगे चुनाव!

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पटना : बिहार में चुनावी बुखार नेताओं की चतुराई पर भारी पड़ रहा है। टिकट पाने के लिए कोई पार्टी बदल रहा है, तो कुछ नाराज और मायूस हो चुप है। कुछ बहादुर नेता ऐसे भी हैं, जो मिले हुए टिकट को लौटा त्यागी—संन्यासी तक बन जा रहे हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी नेता हैं जो चार नावों की सवारी समेत तमाम कारगुजारियों के बाद भी चुनावी सीन से टाइम—आउट होकर पैवेलियन में ही बैठे रह गए हैं। हम बात कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थामने को आतुर शत्रुघ्न सिन्हा की जो टाइम—आउट होने के बाद पटना से चुनाव लड़ने के अपने ऐलान से अभी तक पीछे हटे हुए हैं।

कांग्रेस का एक गुट शत्रु का कर रहा विरोध

शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रु के कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने में हो रहे विलंब को इसका कारण माना जा रहा है। कांग्रेस में एक गुट ऐसा है जो शत्रुघ्न सिन्हा की पटना सहिब से उम्मीदवारी का विरोध कर रहा है। बड़ी मशक्कत के बाद शत्रुघ्न सिन्हा की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात तो हो गयी लेकिन पटना साहिब से उनके टिकट पर ठोस आश्वासन नहीं मिला। ऐसे में लालू यादव को बार-बार अपना मित्र बताने वाले शत्रुघ्न सिन्हा के राजनीतिक रथ का पहिया बीच मंझधार में अटक गया है क्योंकि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो चुका है। पटना साहिब फिलहाल कांग्रेस के पास है। शत्रुघ्न सिन्हा अब यह सफाई देते फिर रहे हैं कि उन्होंने नेहरू जी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया, राहुल और प्रियंका के संबंध में कभी ओछी बातें नहीं कही। लेकिन, कांग्रेस के अंदर एक गुट ऐसा है जो शत्रुघ्न सिन्हा के बड़बोलेपन के चुने हुए उदाहरण आला कमान से लेकर नीचे तक के लोगों के सामने रख रहा है। भारतीय जनता पार्टी में शत्रुघ्न सिन्हा अपने नखरों से नेताओं को परेशान करते रहते थे। बिहार प्रदेश के बड़े नेताओं को वे कुछ भी नहीं समझते थे। भाजपा नेतृत्व ने जब उन्हें किनारे कर दिया तब वे कांग्रेस और राजद के दरवाजे पर पहुंच गए।

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कांग्रेस शत्रु के बयानों तो लालू उनकी कांग्रेस भक्ति से क्षुब्ध

उधर पटना साहिब सीट पर चुनाव को लेकर उम्मीदवार अब रात-दिन परिश्रम करने लगे हैं। यहां से भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद का धुआंधार दौरा व कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं शत्रुघ्न सिन्हा के समर्थकों को अब तक चुनाव के संबंध में कोई सूचना भी नहीं है। उनके घोषित समर्थक अब कहने लगे हैं कि सिन्हा जी इस बार चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। वहीं कांग्रेस का एक गुट शेखर सुमन को ही इस बार भी चुनाव मैदान में उतारने की वकालत कर रहा है। इस गुट का मानना है कि भाजपा से आए शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी टिकट नहीं दें क्योंकि पटना साहिब के मतदाता उनके व्यवहार से क्षुब्ध हैं। चुनाव जीत जाने के बाद इनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है। वैसे भी सिनेमा के कलाकार के रूप में भी इनका आकर्षण अब कम हो गया है। वहीं लालू यादव ने भी उनकी कांग्रेस भक्ति देखकर उनसे दूरी बना ली है।

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