हाथ मिलाते ही दिखने लगे झंझट के आसार, भूमिहारों पर महागठबंधन में होगा रार

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बिहार में महागठबंधन सरकार बहुत जल्द चुनाव में जाने वाली है। यह चुनाव परिणाम से अलग राजद और जदयू के रिश्तों को लेकर महत्वपूर्ण साबित होने वाली होगी। दरअसल, मोकामा विधानसभा क्षेत्र से राजद विधायक अनंत सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना है। नीतीश और तेजस्वी के मिलन से पूर्व राजद के पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी इस सीट से चुनाव की तैयारी कर रही थी। वहीं, एनडीए में यह सीट जदयू के खाते में गई थी, इस लिहाज से अनंत सिंह की सदस्यता जाने के बाद यहां से जदयू भी तैयारी कर रहा था। उपचुनाव की घोषणा होते ही इस सीट को लेकर जबरदस्त माथापच्ची होने की संभावना है। ऐसा भी हो सकता है कि जदयू और राजद के बीच इस सीट को लेकर खींचतान भी हो सकती है।

क्यों करेंगे ललन विरोध?

इस सीट से चुनाव लड़ने वाले दो प्रमुख अलग-अलग दल एक हो चुके हैं। इस स्थिति में यह तय कर पाना मुश्किल होगा कि इस सीट से चुनाव कौन लड़ेगा। वहीं, जदयू विरोध इसलिए करेगी, क्योंकि ललन सिंह यह बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि यहां फिर से अनंत सिंह के परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े। वर्तमान में मुंगेर लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें है, जहां से भाजपा के 3, राजद के 2 ( एक की सदस्यता जा चुकी है) तथा कांग्रेस के खाते में एक सीट है। और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष इसी सीट से चुनाव लड़ते हैं। इस स्थिति में ललन सिंह इस सीट पर अपनी दावेदारी सुनिश्चित करने के लिए हर हाल में मोकामा विधानसभा सीट जदयू को देने कहेंगे और ऐन-केन-प्रकारेण जीत सुनिश्चित करना चाहेंगे। ताकि बाद में राजद यह कहकर इस सीट पर अपनी दावेदारी न कर सके कि आपने तो इस लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा की एक भी सीट नहीं जीते हैं, तो फिर लोकसभा में कैसे जीत होगी?

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राजद को क्यों चाहिए सीट?

इसके अलावा राजद इस सीट पर दावेदारी करने के पीछे यह तर्क देगी कि यहाँ से हमारी जीत हुई थी। इसलिए चुनाव राजद को ही लड़ना चाहिए। वहीं, अन्य महत्वपूर्ण पहलू की बात करें तो राजद के दावे के मुताबिक उनके पक्ष में भूमिहार लामबंद हो रहा है और इसका संदेश मोकामा विधानसभा परिणाम से ही शुरू हुआ था। इसलिए राजद इस समाज को अपने पाले में बनाये रखने के लिए हर हाल में इस सीट पर दावेदारी करेगी। वैसे हालिया स्थिति की बात करें, तो यहां से अभी राजद उम्मीदवार की जीत की संभावना अधिक है।

भाजपा किसे देगी सीट?

भाजपा गठबंधन की बात करें, तो अगर भाजपा इस सीट से चुनाव लड़ने में दिलचस्पी दिखाती है, तो अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। अगर भाजपा यह सीट अपने सहयोगियों को देती है, तो यह सीट पशुपति कुमार पारस के खाते में जा सकती है। पशुपति कुमार पारस को सीट देने के साथ भारतीय जनता पार्टी यह प्रस्ताव रखेगी कि आप और चिराग अब एक हो जाएं, ताकि मजबूती से इस सीट पर चुनाव लड़ सकें और महागठबंधन को शिकस्त दे सकें। अगर पशुपति कुमार पारस को यह सीट दी जाती है, तो यहां से कोई सुरजभान सिंह के करीबी या उनके परिवार का कोई सदस्य उम्मीदवार हो सकता है!

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